नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने आम आदमी पार्टी (आप) को 2016-17 में कथित रूप से सरकारी विज्ञापनों के रूप में प्रकाशित अपने राजनीतिक विज्ञापनों के लिए 163 करोड़ रुपये जमा करने को कहा है जिसके लिए 10 दिनों का समय दिया है.
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इसको लेकर भाजपा पर आरोप लगाया कि, ‘वह दिल्ली सरकार के अफसरों पर कब्जा किए है, उनका गलत इस्तेमाल कर रही है. उन्होंने यह भी कहा खुद भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री दिल्ली के अखबारो में प्रचार देते हैं, लेकिन क्या बीजेपी उनसे भी वसूली करेगी. हमने नोटिस भेजने वाली अधिकारी एलिस वास चिट्ठी लिखी है कि कौन से विज्ञापन हैं जो कि अवैध हैं, और हमने इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया है.’
गौरतलब है कि दिल्ली सरकार के सूचना और प्रचार निदेशालय (डीआईपी) ने बुधवार को आप को रिकवरी नोटिस जारी किया, जिसमें कहा गया कि उसने सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी राजनीतिक विज्ञापनों पर दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया और राज्य के खजाने की कीमत चुकाई है. सूत्रों के अनुसार, अगर आप भुगतान करने में विफल रहती है, तो आप के कार्यालय को सील करने और पार्टी की संपत्तियों को कुर्क करने समेत कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
संयोग से, दिल्ली के उपराज्यपाल, वीके सक्सेना ने 19 दिसंबर, 2022 को दिल्ली के मुख्य सचिव को AAP से 2015-2016 में विज्ञापनों पर खर्च किए गए 99.31 करोड़ रुपये वसूलने का निर्देश दिया था.
एलजी के निर्देशों के बाद, डीआईपी ने कुल 163.62 करोड़ रुपये की वसूली के लिए नोटिस जारी किया, जिसमें मूलधन के रूप में 99.31 करोड़ रुपये और ब्याज के रूप में 64.31 करोड़ रुपये शामिल हैं.
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सुप्रीम कोर्ट ने रिट याचिकाओं पर मई 2015 और मार्च 2016 के अपने निर्णयों में, विज्ञापन सामग्री को रेग्युलेट करने और सरकारी राजस्व के अनुत्पादक खर्च को समाप्त करने के लिए केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय के तहत सरकारी विज्ञापन सामग्री विनियमन (CCRGA) की तीन सदस्यीय समिति का गठन अप्रैल 2016 में किया था.
कांग्रेस पार्टी के अजय माकन की ओर से की गई शिकायत के बाद, सीसीआरजीए ने एक जांच की थी और दिल्ली सरकार द्वारा कुछ विज्ञापनों को शीर्ष अदालत के दिशानिर्देशों का उल्लंघन पाया था.
CCRGA ने दिल्ली सरकार के DIP को ऐसे विज्ञापनों में खर्च की गई राशि की मात्रा निर्धारित करने और इसे AAP से वसूलने का निर्देश दिया था.
CCRGA ने 16 सितंबर, 2016 को अपने आदेश में कहा था, ‘सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तैयार किए गए दिशानिर्देशों का मुख्य उद्देश्य राजनेता या सत्ता में राजनीतिक दल की छवि बनाने के लिए सरकारी धन के दुरुपयोग को रोकना था.’
सीसीआरजीए ने कहा, ‘चूंकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी ऐसा ही हुआ है, इसलिए इसे ठीक करने का एकमात्र तरीका राजनीतिक दल, उल्लंघन की प्रक्रिया में मुख्य लाभार्थी, सरकार द्वारा किए गए खर्च को वसूलना है.’
सीसीआरजीए के आदेश के बाद आप सरकार ने 22 सितंबर, 2016 को पुनर्विचार याचिका दायर की थी, जिसे समिति ने 11 नवंबर, 2016 को खारिज कर दिया था.
इसके बाद, 30 मार्च, 2017 को डीआईपी, दिल्ली सरकार द्वारा आप संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को नोटिस जारी किया था. आप ने दिल्ली उच्च न्यायालय में नोटिस को चुनौती दी लेकिन अदालत ने आप से राशि की वसूली पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था.
97.14 करोड़ रुपये (97,14,69,137 रुपये) की निर्धारित राशि की भरपाई के तौर पर आप द्वारा राज्य के खजाने में की जानी है.
आप के संयोजक को वसूली नोटिस में कहा गया है कि वित्तीय वर्ष 2022-2023 में पुनर्मूल्यांकन के बाद, एक अपडेटेड राशि 106,42,26,121 रुपये होती है.
मनीष सिसोदिया ने कहा- केजरीवाल को बनाया जा रहा है निशाना
सिसोदिया ने आरोप लगाया, ‘दिल्ली सरकार में जो अफसर काम करते हैं उन पर मोदी सरकार ने अवैध नियंत्रण कर रखा है. वह इनका अपने राजनीतिक हित के लिए दुरुपयोग करती रही है. इसका एक उदाहरण कल एक नोटिस के रूप में मिलता है. इसे दिल्ली सूचना विभाग की सचिव एलिस वास जी ने जारी किया है. उन्होंने लिखा है कि 2016-17 के आसपास दिल्ली सरकार ने जो दिल्ली के बाहर जो विज्ञापन दिए थे उसको लेकर 163 करोड़ रुपये की वसूली अरविंद केजरीवाल जी से की जाएगी.’
उन्होंने कहा कि एलिस वास ने केजरीवाल को कानूनी रूप से धमकी दी है. आप ये 163 करोड़ रुपये को 10 दिन में जमा करे नहीं तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री ने कहा, ‘केजरीवाल को दिल्ली के लोगों ने चुना है ताकि वह दिल्ली सरकार के जो अफसर हैं इनसे दिल्ली के हित में काम ले. लेकिन भारतीय जनता पार्टी असंवैधानिक रूप से इन अफसरों पर कब्जा कर रखी है. वह इन अफसरों का केजरीवाल के खिलाफ इस्तेमाल कर ही है. ये अफसर जनता के काम करते हैं तो बीजेपी उन्हें रुकवा देती है. इनके जरिए अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्रियों को टारगेट किया जा रहा है.’
उन्होंने कहा कि 163 करोड़ का मसला 2016 से चल रहा है, कहा जा रहा है कि दिल्ली सरकार को बाहर एड नहीं देने चाहिए. वहीं दिल्ली के एक महीने के अखबार देखे जा सकते हैं जो बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के विज्ञापन से भरे पड़े हैं. मध्य प्रदेश, उत्तराखंड हर जगह के. कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों के भी दिल्ली अखबारों में खूब एड मिलेंगे.
अगर ये गलत है तो क्या वहां के मुख्यमंत्रियों से मोदी सरकार पैसा वसूलेगी करेगी?
उन्होंने कहा कि वह बीजेपी से अनुरोध करेंगे कि चुनी हुई सरकार के पास ताकत है कि वह अफसरों से काम कराए.
सिसोदिया ने कहा कि हमने एलिस वास जी को चिट्ठी लिखी है कि वह उन एड की जानकारी दें, जिसमें कुछ भी कानूनी तौर पर गलत हुआ है.
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