नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा चुनाव संचालन नियम, 1961 में संशोधन कर चुनावी CCTV फुटेज की सार्वजनिक जांच को प्रतिबंधित करने के फैसले पर हंगामा मच गया है. विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने इसे चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर “एक और हमला” करार दिया है.
यह संशोधन पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के उस आदेश को पलटने के लिए किया गया है, जिसमें चुनाव आयोग को 2024 हरियाणा चुनावों से संबंधित CCTV फुटेज और अन्य दस्तावेजों को अधिवक्ता महमूद प्रचा को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था. हाई कोर्ट ने 9 दिसंबर को यह आदेश दिया था कि प्रचा द्वारा आवेदन करने और जरूरी शुल्क जमा करने के बाद, छह हफ्ते के भीतर ये दस्तावेज़ प्रदान किए जाएं.
इसके बाद, शुक्रवार को कानून और न्याय मंत्रालय ने चुनाव संचालन नियमों के नियम 93(2)(a) में संशोधन करते हुए एक अधिसूचना जारी की. इस अधिसूचना में कहा गया कि यह संशोधन चुनाव आयोग से परामर्श करने के बाद किया गया है.
पूर्व संशोधित नियम में “चुनाव से संबंधित अन्य सभी कागजात” की सार्वजनिक जांच की अनुमति थी. अब संशोधन के बाद कहा गया है कि सार्वजनिक जांच केवल “इन नियमों में निर्दिष्ट अन्य कागजात” तक सीमित होगी.
इस संशोधन से चुनाव से संबंधित इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड और CCTV फुटेज की जांच को प्रभावी रूप से प्रतिबंधित कर दिया जाएगा.
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इस संशोधन को चुनाव आयोग की “तेजी से घटती हुई निष्पक्षता” के संबंध में किए गए दावों की पुष्टि करार दिया. उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “चुनाव आयोग पारदर्शिता से इतना क्यों डरता है?” और यह दावा किया कि चुनाव आयोग के इस कदम को कानूनी तौर पर चुनौती दी जाएगी.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी इस संशोधन को “मोदी सरकार की चुनाव आयोग की संस्थागत निष्पक्षता को नष्ट करने की साजिश” करार दिया. उन्होंने इसे चुनावी जानकारी को रोकने की कोशिश बताया और कहा कि यह संशोधन यह दिखाता है कि चुनाव आयोग स्वतंत्र रूप से काम नहीं कर रहा है.
हालांकि, चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने कहा कि उम्मीदवारों को पहले ही सभी दस्तावेजों और कागजात तक पहुंच प्राप्त है, और इस संबंध में नियमों में कोई संशोधन नहीं किया गया है. अधिकारी ने दावा किया कि CCTV फुटेज के दुरुपयोग से बचने के लिए यह संशोधन किया गया है.
अधिकारी ने इस कदम का बचाव करते हुए कहा कि मूल रूप से चुनावी कागजात और दस्तावेजों का उल्लेख किया गया था, जो इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को विशेष रूप से संदर्भित नहीं करता था. इसलिए, इस भ्रम को दूर करने और मतदान की गोपनीयता के उल्लंघन और पोलिंग स्टेशन के अंदर CCTV फुटेज के दुरुपयोग के गंभीर मुद्दे को ध्यान में रखते हुए यह संशोधन किया गया.
“विशेष रूप से संवेदनशील क्षेत्रों जैसे जम्मू-कश्मीर, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में CCTV फुटेज साझा करने से गंभीर परिणाम हो सकते हैं, जहां गोपनीयता महत्वपूर्ण है. मतदाताओं की जान भी जोखिम में पड़ सकती है। सभी चुनावी कागजात और दस्तावेज़ अन्यथा सार्वजनिक जांच के लिए उपलब्ध हैं,” अधिकारी ने कहा.
अधिकारी ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी मामले में, उम्मीदवारों को सभी दस्तावेजों, कागजात और रिकॉर्ड्स तक पहुंच है. “यहां तक कि श्री प्रचा को भी लोकसभा चुनाव 2024 में अपने निर्वाचन क्षेत्र से सभी दस्तावेजों और रिकॉर्ड्स तक पहुंच प्राप्त थी,” उन्होंने कहा.
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