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Friday, 20 December, 2024
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पूर्वोत्तर में कांग्रेस का अंतिम गढ़ मिजोरम एमएनएफ के खाते में, मुख्यमंत्री दोनों सीट हारे

तेलंगाना में कांग्रेस पार्टी को न केवल विधानसभा चुनाव में भारी हार का सामना करना पड़ा है, बल्कि शर्मिंदगी का भी सामना करना पड़ा है.

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नई दिल्ली: मिजोरम की 40 सदस्यीय विधानसभा में पूर्ण बहुमत सुनिश्चित करते हुए मीजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) ने मंगलवार को एक दशक बाद यहां सत्ता में वापसी की है. इसके साथ ही कांग्रेस पूर्वोत्तर में अपना अंतिम गढ़ भी हार गई. 2013 विधानसभा चुनाव में केवल पांच सीटें प्राप्त करने वाले एमएनएफ ने 21 सीटे जीत ली हैं और पांच पर बढ़त बनाए हुए है, जबकि सत्तारूढ़ कांग्रेस यहां केवल पांच सीटों पर ही जीत दर्ज कर सकी है.

भाजपा ने यहां तुइचावंग सीट पर जीत दर्ज कर राज्य में अपना खाता खोला है. मुख्यमंत्री ललथनहवला को चंपई दक्षिण और सेरछिप दोनों विधानसभा सीटों पर हार का सामना करना पड़ा है. उन्हें यहां क्रमश: एमएनएफ के टीजे लालनुन्टुआंगा और जोराम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) के अध्यक्ष लालदुहोमा से हार का सामना करना पड़ा.

एमएनएफ प्रमुख और मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार जोरामथांगा आइजोल पूर्व-1 से पांचवी बार चुने गए. उन्होंने यहां निर्दलीय उम्मीदवार के सेपदांगा को हराया.

कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे और 28 नवंबर को होने वाले चुनाव से ठीक पहले भाजपा में शामिल हुए बुद्धा धन चकमा ने चकमा जनजातीय बहुल तुइचवांग सीट पर एमएनएफ के अपने प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार को 1,594 मतों से हराया.

पांच निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है और तीन अन्य बढ़त बनाए हुए हैं. पूर्व आईपीएस अधिकारी और जोराम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) प्रमुख लालदुहोमा ने मुख्यमंत्री थनहावला को सेरछिप में 410 मतों से हराया. लालदुहोमा ने दो वर्ष पहले जेपीएम का गठन करने के लिए कांग्रेस छोड़ दी थी.

प्रसिद्ध आइजोल फुटबॉल क्लब(आइजोल एफसी) के मालिक राबर्ट रोमाविया रोयटे ने भी जीत हासिल की है. वह एमएनएफ के टिकट पर आइजोल ईस्ट-2 सीट से चुनाव लड़ रहे थे.

भाजपा ने पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में खुद के दम या अन्य पार्टियों के सहयोग से सरकार गठन के बाद कांग्रेस को मिजोरम से उखाड़ फेंकने के लिए काफी जोर लगाया था.

भाजपा नीत नार्थ इस्ट डेमोक्रेटिक गठबंधन (एनईडीए) के घटक दल रहे एमएनएफ ने 10 वर्षों (1998-2003 और 2003-2008) तक मिजोरम में राज किया था.

हालांकि इस बार भाजपा और एमएनएफ ने क्रमश: 40 और 39 सीटों पर अपने-अपने उम्मीदवार खड़े किए थे.

राज्य में दस वर्षों तक मुख्यमंत्री रहने वाले ललथनहवला ने सेरछिप विधानसभा क्षेत्र से पिछले चुनाव में 734 मतों से जीत दर्ज की थी. मिजोरम में भाजपा को एक, कांग्रेस को पांच, मिजो नेशनल फ्रंट को 26 और निर्दलीय उम्मीदवारों को 7 ​सीटें मिलती दिख रही हैं.

शीर्ष नेताओं को हार मिली

तेलंगाना में कांग्रेस पार्टी को न केवल विधानसभा चुनाव में भारी हार का सामना करना पड़ा है, बल्कि शर्मिंदगी का भी सामना करना पड़ा है, क्योंकि लगभग सभी शीर्ष नेताओं को हार का मुंह देखना पड़ा है. कांग्रेस नेतृत्व वाले पीपुल्स फ्रंट की जीत की स्थिति में जिन्हें मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में देखा जा रहा था, उन्हें भी हार का स्वाद चखना पड़ा है.

नेता प्रतिपक्ष के जना रेड्डी भी नागार्जुनसागर निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव हार गए. कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रेवंत रेड्डी, जिनकी गिरफ्तारी पर पिछले सप्ताह काफी बवाल मचा था, वह भी कोडंगल सीट बरकरार रखने में नाकाम रहे.

रेवंत ने मतदान के बाद घोषित कर दिया था कि अगर वह हार जाते हैं तो राजनीति छोड़ देंगे. तेलंगाना राष्ट्र समिति के पी नरेंद्र रेड्डी ने कांग्रेस नेता को 9,077 मतों से पराजित किया.

कांग्रेस के एक अन्य कार्यकारी अध्यक्ष पोन्नम प्रभाकर, करीमनगर सीट से हार गए. पूर्व केंद्रीय मंत्री सर्व सत्यरायण सिकंदराबाद छावनी से जीतने में नाकाम रहे. आंध्र प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री दामोदर राजानरसिम्हा एंडोल से हार गए.

वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं व आंध्र प्रदेश के मंत्रियों जे गीता रेड्डी, डीके अरुणा, जीवन रेड्डी, कोमटरेड्डी वेंकट रेड्डी, पोन्नला लक्ष्मैया, मोहम्मद अली शब्बीर, कोंडा सुरेखा, जी चिन्ना रेड्डी, एन जनार्दन रेड्डी और मुकेश गौड़ को भी हार का मुंह देखना पड़ा है.

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