नई दिल्ली: राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा को उनकी सरकार के मंत्रियों और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अन्य वरिष्ठ नेताओं की ओर से आलोचना का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि सभी सार्वजनिक रूप से उनके शासनकाल में अपने मुद्दों को उजागर कर रहे हैं.
भाजपा आलाकमान ने पिछले दिसंबर में पहली बार विधायक बने शर्मा को मुख्यमंत्री नियुक्त कर सभी को चौंका दिया था, जिससे इस प्रतिष्ठित पद पर नज़र गड़ाए कई वरिष्ठ नेता नाराज़ हो गए थे.
अब, राज्य में चल रहे बिजली और पानी संकट को लेकर उनकी सरकार की आलोचनाएं खुलकर सामने आ रही हैं.
राजस्थान के राज्य मंत्री के.के. बिश्नोई ने शुक्रवार को सीएम को पत्र लिखकर इस बेहद खराब स्थिति पर प्रकाश डाला.
इस बात पर जोर देते हुए कि भीषण गर्मी हर दिन नए रिकॉर्ड बना रही है और बाड़मेर में तापमान लगभग 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है, उन्होंने लिखा, “बाड़मेर जिले में अनियमित बिजली कटौती ने स्थिति अव्यवस्थित कर दी है. जिले के लोग गर्मी से बेहाल हैं. अनियमित बिजली कटौती को लेकर हर दिन 625 से ज्यादा शिकायतें मिल रही हैं.”
बिश्नोई ने कहा कि भीषण गर्मी के बीच नियमित जल आपूर्ति की कमी ने संकट पैदा कर दिया है, लोग निजी पानी के टैंकरों के लिए अपनी जेब से भुगतान करने के कारण वित्तीय बोझ से जूझ रहे हैं.
मंत्री ने कहा, “क्षेत्र में पानी की समस्या के संबंध में हर दिन 450 से अधिक शिकायतें मिल रही हैं.” उन्होंने बताया कि मानसून आने में अभी वक्त है, इसलिए स्थिति से निपटने के लिए पानी की वैकल्पिक व्यवस्था करना ज़रूरी है.
इससे पहले, पूर्व नेता प्रतिपक्ष, भाजपा नेता राजेंद्र सिंह राठौड़ ने भी चूरू, जिसका वे प्रतिनिधित्व भी कर चुके हैं और आसपास के जिलों में पानी की कमी के बारे में सीएम को पत्र लिखा और उसे एक्स पर पोस्ट भी किया.
राजेंद्र राठौड़ ने अपनी पोस्ट में लिखा, “भीषण गर्मी और आम जनता की पेयजल समस्या को देखते हुए इंदिरा गांधी नहर की रावतसर वितरिका से पेयजल की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए माननीय मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा को पत्र लिखा.”
भाजपा के एक अन्य पूर्व विधायक और प्रवक्ता रामलाल शर्मा ने चोमू विधानसभा क्षेत्र में “अघोषित बिजली कटौती” और पानी की कमी पर मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है, जिसका वे प्रतिनिधित्व करते हैं.
शर्मा ने कहा, “इस भीषण गर्मी में आम लोगों को होने वाली पेयजल समस्या और अघोषित बिजली कटौती की समस्या का उचित समाधान करने की मांग की गई.”
दूसरी ओर, राजस्थान के कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने करीब 10 दिन पहले शर्मा को लिखे पत्र में जयपुर में एक आवासीय परियोजना को वापस लेने की मांग की थी. मीणा ने पत्र में कहा कि सामान्य प्रशासन विभाग, जो सीएम के अधीन आता है, कैबिनेट की मंजूरी के बिना परियोजना पर आगे बढ़ रहा है और इससे राज्य के खजाने को 1,140 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान होगा.
बीजेपी नेताओं के मुताबिक, नौकरशाहों ने सभी फैसले लेने की जिम्मेदारी अपने हाथ में ले ली है और गर्मी से पहले जिस तरह की योजना बननी चाहिए थी, वो ज़मीन पर नज़र नहीं आ रही है.
बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, “मुख्यमंत्री कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनके लिए सब कुछ नया है. उन्हें इसकी आदत पड़ने में कुछ समय लगेगा. उन्होंने कहा कि आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) लागू होने के दौरान सीएम को कैबिनेट बैठक आयोजित करने की अनुमति नहीं है और मुख्य सचिव को चीज़ों को व्यवस्थित करने का निर्देश दिया गया है.”
राजस्थान सूचना और जनसंपर्क विभाग के सूत्रों ने यह भी कहा कि एमसीसी लागू होने पर, मुख्यमंत्री कुछ फैसले नहीं ले सकते हैं, लेकिन उन्होंने मुख्य सचिव को पानी और बिजली संकट को हल करने का निर्देश दिया है.
सूत्र ने कहा, “जून में वो जिस पीक (गर्मी) की उम्मीद कर रहे थे वो मई में आ गया है, जिससे बहुत पहले की गई योजना प्रभावित हुई है. फिर भी, चीज़ों को व्यवस्थित रखने के उद्देश्य से, सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए जिला-स्तरीय नियंत्रण कक्ष स्थापित किए हैं कि लोग टैंकर के लिए कॉल कर सकें.”
सूत्र ने आगे कहा, “साथ ही, जिलों के प्रभारी सचिवों को क्षेत्र में कुछ दिन बिताने के बाद पानी और बिजली की स्थिति और स्वास्थ्य आपात स्थिति के बारे में एक रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं.”
सूत्र के मुताबिक, मुख्यमंत्री ने तीन दिन पहले ‘सेवा ही संगठन’ कार्यक्रम के तहत सभी भाजपा जिला अध्यक्षों की एक वीडियो कॉन्फ्रेंस की और पार्टी पदाधिकारियों से मौजूदा संकट से निपटने में राज्य के लिए अपना योगदान देने को कहा था.
पार्टी के एक अन्य नेता ने कहा कि सार्वजनिक पोस्ट करने वाले नेता यह सुनिश्चित करने के लिए ऐसा कर रहे हैं कि उन्हें जनता की आलोचना का सामना न करना पड़े.
पार्टी के एक पदाधिकारी ने कहा, “कई जिलों में पानी एक प्रमुख मुद्दा है और गर्मी ने इसे और अधिक गंभीर बना दिया है. ये पोस्ट जनता के गुस्से को कम करने और यह दिखाने का एक तरीका है कि ये नेता अपना काम कर रहे हैं, लेकिन साथ ही, ये सरकार और पार्टी में दरार को भी उजागर करते हैं – कि दोनों एक साथ नहीं हैं.”
उन्होंने कहा, “कई लोग इस मौके का फायदा ऐसी स्थितियों से निपटने में मुख्यमंत्री की अनुभवहीनता को दिखाने के लिए भी करने की कोशिश कर रहे हैं.”
विपक्ष ने भी इन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया है. राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने सीएम शर्मा पर निशाना साधा है. डोटासरा ने कहा, “मुख्यमंत्री पानी की कमी और बिजली संकट का समाधान खोजने के बजाय विभिन्न राज्यों में लोकसभा चुनावों के प्रचार में व्यस्त हैं.”
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