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मंगलवार, 10 जून, 2025
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मेवाणी Vs गोहिल: उपचुनाव से पहले राहुल की सुधार योजना के बीच गुजरात कांग्रेस में बढ़ा अंदरूनी कलह

गुजरात में कड़ी और विसावदर विधानसभा सीटों पर उपचुनाव से पहले कांग्रेस में ‘बीजेपी एजेंटों’ को लेकर अंदरूनी कलह तेज हो गई है.

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नई दिल्ली: गुजरात में कांग्रेस ने अपने ज़िला संगठनों को नए सिरे से तैयार करने की जो महत्वाकांक्षी योजना शुरू की है, वह अंदरूनी खींचतान में उलझती दिख रही हैं. पार्टी के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष और विधायक जिग्नेश मेवाणी ने राज्य कांग्रेस अध्यक्ष शक्तिसिंह गोहिल (राज्यसभा सांसद) के खिलाफ बगावत का झंडा उठा लिया है.

अहमदाबाद में ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (एआईसीस) का 86वां अधिवेशन आयोजित होने के महज़ दो महीने बाद ही राज्य की कांग्रेस इकाई संकट में घिर गई. ऐसे समय में जब राज्य में कड़ी और विसावदर विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं, पार्टी में अंदरूनी कलह सामने आई है. मतदान 19 जून को होगा.

16 अप्रैल को गुजरात के अरावली जिले के मोडासा में राहुल गांधी ने देशभर में ज़िला कांग्रेस कमेटियों (डीसीसी) को नए सिरे से तैयार करने की प्रक्रिया की शुरुआत की थी. यह कदम उन्होंने तब उठाया जब कुछ ही दिन पहले उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा था कि गुजरात कांग्रेस को उन नेताओं से छुटकारा पाना होगा जो भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से मिलीभगत कर रहे हैं.

इसके बाद कांग्रेस नेतृत्व ने राज्य में नए ज़िला अध्यक्षों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की. इस प्रक्रिया के लिए मुकुल वासनिक की अगुवाई में एक आंतरिक समिति बनाई गई, जिसमें कन्हैया कुमार, सचिन राव, मीनाक्षी नटराजन और कृष्णा अल्लावरु शामिल थे.

समिति की सिफारिशों के आधार पर, एआईसीसी ने हर ज़िले के लिए एक पर्यवेक्षक की नियुक्ति की, और प्रत्येक पर्यवेक्षक की सहायता के लिए 3-4 राज्य स्तरीय नेताओं को जोड़ा गया. वासनिक समिति ने अपनी सिफारिशें एआईसीसी को सौंप दी थीं और 31 मई तक नए ज़िला अध्यक्षों की घोषणा होनी थी. लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ है.

राज्य स्तरीय पर्यवेक्षकों में से एक मेवाणी कुछ समय से यह आरोप लगा रहे हैं कि कुछ ज़िलों में चयन प्रक्रिया से समझौता किया गया, और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नेतृत्व ने राहुल गांधी की इस सलाह को अनदेखा किया कि “बीजेपी एजेंटों” को बाहर किया जाए.

मेवाणी ने एक्स पर लिखा, “अब तो दूसरी पार्टियों के नेता भी कह रहे हैं कि आप (कांग्रेस) फुस्स कारतूसों से भरे पड़े हो. तो निकालो उनको—किसका इंतजार है? बी-टीम वाले, फुस्स कारतूस, जो सामने वाले खेमे से डील कर रहे हैं, बारात के घोड़े जैसे लोग—इन सबको निकालने में दर्द क्या है? अगर मेरी बात नहीं सुनते तो कम से कम राहुल जी की तो सुनो!!”

जब दिप्रिंट ने मेवाणी से बात की, तो उन्होंने कहा कि पार्टी ने पहले ही उनकी कुछ चिंताओं को दूर कर दिया है. उन्होंने यह भी कहा कि उनका एक्स पोस्ट गुजरात कांग्रेस की मौजूदा स्थिति पर था, न कि ज़िला कांग्रेस कमेटियों की नियुक्तियों पर.

मेवाणी ने दिप्रिंट से कहा, “गुजरात कांग्रेस, एआईसीसी के साथ मिलकर नए डीसीसी अध्यक्षों की पहचान कर रही है. यह प्रक्रिया हमें ज़िला स्तर पर नए और योग्य चेहरे देगी. यह हमारे कार्यकर्ताओं को प्रेरित करेगी. यह दिखाता है कि पार्टी खुद को सुधारने को लेकर गंभीर है.”

हालांकि, पार्टी सूत्रों का कहना है कि मेवाणी ने गोहिल के रवैये को लेकर अपनी नाराजगी पार्टी मंचों पर साफ़ तौर पर जाहिर की है.

गहराता संकट

पिछले हफ्ते संकट और गहरा गया जब गुजरात कांग्रेस के प्रवक्ता अमित नायक ने गुटबाजी का हवाला देते हुए राहुल गांधी को पत्र लिखकर इस्तीफा दे दिया. अपने पत्र में नायक ने अहमदाबाद शहर कांग्रेस अध्यक्ष हिम्‍मतसिंह पटेल पर बीजेपी के लिए काम करने का आरोप लगाया.

नायक ने फेसबुक पर लिखा, “आप काफी समय से दौड़ के घोड़े, बारात के घोड़े और अब तो लंगड़े घोड़े भी ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं. पार्टी का एक छोटा कार्यकर्ता होने के नाते, आपका उद्देश्य सफल हो, इसके लिए सही जानकारी देना मेरा कर्तव्य है…”

उन्होंने सवाल उठाया, “एक छोटा कार्यकर्ता, जो अपनी जान, कारोबार और सामाजिक प्रतिष्ठा को दांव पर लगाकर पार्टी की विचारधारा के लिए लड़ रहा है, वह कब तक ऐसा करता रहेगा? और वे कॉरपोरेट स्टाइल वाले नेता—जो वर्षों से राजनीतिक लाभ कमाने की कला में माहिर हो चुके हैं—कब तक पार्टी नेतृत्व को धोखा देते रहेंगे?”

दिप्रिंट से बात करते हुए, गोहिल ने मेवाणी द्वारा लगाए गए आरोपों पर कोई टिप्पणी करने से इनकार किया और कहा कि कांग्रेस पार्टी फिलहाल आगामी उपचुनावों पर ध्यान केंद्रित कर रही है. उन्होंने कहा कि हरियाणा और मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस ने इस पुनर्गठन प्रक्रिया को शुरू किया है, और एआईसीसी जल्द ही ज़िला अध्यक्षों की नियुक्तियों पर अंतिम फैसला लेगी.

कांग्रेस के लोकसभा सांसद मणिकम टैगोर, जो गुजरात में डीसीसी सुधार प्रक्रिया के लिए एआईसीसी के एक पर्यवेक्षक हैं, ने कहा कि यह प्रक्रिया काफी व्यापक रही.

उन्होंने कहा, “मुझे अहमदाबाद ग्रामीण ज़िला सौंपा गया था, जिसमें पांच विधानसभा क्षेत्र आते हैं. मैंने वहां करीब नौ दिन बिताए और लगभग 780 लोगों का साक्षात्कार किया. जिन लोगों से मैं मिला, वे तालुका स्तर के पदाधिकारी से लेकर ब्लॉक अध्यक्ष तक थे. प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षकों ने मेरी मदद की. हमने अपनी रिपोर्ट एआईसीसी को सौंप दी है, जो अब अंतिम फैसला लेगी,” टैगोर ने एआईसीसी को बताया.

टैगोर, जो तमिलनाडु के विरुधुनगर से तीसरी बार लोकसभा सांसद चुने गए हैं, हरियाणा में कांग्रेस की ज़िला स्तरीय इकाइयों के पुनर्गठन के लिए एआईसीसी द्वारा नियुक्त केंद्रीय पर्यवेक्षकों में से एक हैं.

मेवाणी ने कहा कि वासनिक समिति ने हर ज़िले के लिए तीन से पांच नेताओं के नाम सुझाए हैं, जिनमें से कोई भी अध्यक्ष बन सकता है.

मेवाणी ने कहा, “कुछ ज़िला अध्यक्ष जो पार्टी के लिए अच्छा काम कर रहे हैं, वे बने रहेंगे. उन्हें बदला नहीं जाएगा.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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