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Monday, 9 December, 2024
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व्यस्त कैंपेन, मुसलमानों को समझाना, बशीरहाट में संदेशखाली की ‘अग्निकन्या’ रेखा पात्रा है BJP का तुरुप का पत्ता

रेखा पात्रा संदेशखाली में टीएमसी के शाहजहां शेख के खिलाफ महिलाओं के विरोध प्रदर्शन की अग्रिम पंक्ति में थीं, जो मुस्लिम बहुल बशीरहाट लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है.

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बशीरहाट: गुलाबी और हरे रंग की साड़ी पहने और माथे पर सिंदूर लगाए रेखा पात्रा उत्तर 24 परगना जिले के बशीरहाट के टाउन हॉल बाजार की तंग गलियों में हाथ जोड़े हुए चलती हैं. उनके पीछे पुरुषों का एक जुलूस चल रहा है, जो भाजपा के झंडे लहरा रहे हैं और नारे लगा रहे हैं, “एरा संदेशखालीर अग्निकन्या, एदर वोट कोरुन (यह संदेशखली की अग्निकन्या है, इसे वोट करें)!”

पश्चिम बंगाल के संदेशखाली यौन उत्पीड़न मामले में शिकायत दर्ज कराने वाली पहली महिला रेखा पात्रा बशीरहाट लोकसभा सीट से भाजपा की उम्मीदवार हैं. उनका मुकाबला तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के लोकप्रिय नेता और पूर्व सांसद हाजी नूरुल इस्लाम से है. अपनी राजनीतिक अनुभवहीनता से बेपरवाह पात्रा ने साहसपूर्वक अपना एजेंडा सामने रखा: महिलाओं का सम्मान और सुरक्षा.

काली मंदिर के सामने सिर झुकाते हुए पात्रा ने कहा, “मैं चाहती हूं कि महिलाएं अपनी गरिमा के लिए खड़ी हों. आत्म-सम्मान बाज़ार से नहीं लाया जा सकता. सबसे पहले, हम बशीरहाट की महिलाएं आत्म-सम्मान चाहती हैं. जब हम आत्म-सम्मान के लिए लड़ेंगे तभी बाकी सब अपने आप होगा.”

कुछ महीने पहले तक, पात्रा बंगाल के सुंदरबन क्षेत्र के उत्तर 24 परगना जिले के एक द्वीप गांव संदेशखाली में किसी भी अन्य मां और पत्नी की तरह थीं. लेकिन इस साल की शुरुआत में, उन्होंने और अन्य महिलाओं ने टीएमसी के एक स्थानीय जिला परिषद सदस्य शेख शाहजहां और उसके सहयोगियों के खिलाफ़ ज़मीन हड़पने और यौन शोषण के आरोप में झाड़ू और लाठियों से लैस होकर, उग्र विरोध प्रदर्शन करके देश भर का ध्यान अपनी ओर खींचा.

यह घटना राज्य में टीएमसी बनाम भाजपा की लड़ाई में एक मुख्य बिंदु बन गया है, जिसमें रेखा पात्रा इसका ताज़ा उदाहरण हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद उन्हें “शक्ति स्वरूपा” कहा है, जो देवी का स्वरूप है.

बशीरहाट में एक बुज़ुर्ग से आशीर्वाद मांगती रेखा पात्रा | फोटो: सागरिका किस्सू | दिप्रिंट

अपने पति और तीन बच्चों के साथ, पात्रा संदेशखाली से लगभग 35 किलोमीटर दूर बशीरहाट शहर में आ गई हैं, जहां पार्टी ने उनके लिए एक आवास की व्यवस्था की है. भाजपा सूत्रों ने कहा कि ऐसा इसलिए किया गया है ताकि लोकसभा क्षेत्र के सभी सात विधानसभा क्षेत्रों में वह आसानी से कैंपेन कर सकें. यहां 1 जून को मतदान होना है.

अब, पात्रा प्रतिदिन सैकड़ों लोगों से बात करती हैं, उनकी समस्याएं सुनती हैं और संसद में चुने जाने पर उनके जीवन को बेहतर बनाने का वादा करती हैं.

वह कहती हैं, “मैं एक ऐसे गरीब परिवार से आती हूं, जहां हमें नहीं पता था कि अगले दिन हमारे पास खाने के लिए पर्याप्त भोजन होगा या नहीं.”

पार्टी में शामिल होने के बाद से पात्रा की जीवनशैली बदल गई है; अब बच्चों की देखभाल के लिए उनके पास एक घरेलू सहायिका है. लेकिन कुछ पुरानी आदतें अभी भी बनी हुई हैं.

उनके साथ सेल्फी लेने के लिए शोर मचाती हुई महिलाओं के बीच पात्रा कहती हैं, “मैं सुबह 5 बजे उठती हूं और सुबह के कैंपेन के लिए निकलने से पहले अपने बच्चों के लिए नाश्ता तैयार करती हूं. अगर आप गृहिणी हैं, तो आपको राजनीति आसान लगेगी.”


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‘जय श्री राम मत बोलो’

जब पात्रा और उनका दल वोट मांगने के लिए बशीरहाट के मछली बाज़ार पहुंचा, तो कुछ उत्साही पार्टी कार्यकर्ता जय श्री राम का नारा लगाना शुरू कर देते हैं. लेकिन दूसरे कार्यकर्ता तुरंत उन्हें डांटकर चुप करा देते हैं.

“जय श्री राम बोल बे ना” (जय श्री राम मत बोलो) नारे तुरंत बदलकर “रेखा पात्रा की जय, नरेंद्र मोदी की जय, जेपी नड्डा की जय” हो जाते हैं.

यह सावधानी बशीरहाट के जनसांख्यिकीय परिदृश्य को दर्शाती है, जहां मुस्लिम आबादी लगभग 54 प्रतिशत है. 2009 से, बशीरहाट ने केवल मुस्लिम प्रतिनिधियों को चुना है, वर्तमान सांसद टीएमसी की नुसरत जहां हैं, जो एक प्रसिद्ध बंगाली अभिनेत्री हैं. भाजपा के सायंतन बसु को लगभग 3.5 लाख वोटों से हराने वाली नुसरत जहां को संदेशखाली की घटना पर उनकी मौन प्रतिक्रिया के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा और इस बार पार्टी ने उन्हें मैदान में नहीं उतारा है.

बशीरहाट में एक बीजेपी समर्थक| फोटो: सागरिका किस्सू | दिप्रिंट

लेकिन संदेशखाली फैक्टर के बावजूद, इस निर्वाचन क्षेत्र में बीजेपी के लिए कड़ी टक्कर है.

भाजपा जिला समिति के सदस्य कुणाल ब्रोहमा ने स्वीकार करते हुए कहा, “हमें मुस्लिम बेल्ट में पैठ बनाने में मुश्किल हो रही है.”

पार्टी का कैंपेन तीन मुद्दों पर केंद्रित है- विकास, महिलाओं की सुरक्षा और मुस्लिम तुष्टीकरण का विरोध- जो मुख्य रूप से संदेशखाली और 2017 के बदुरिया-बशीरहाट सांप्रदायिक दंगों को लेकर टीएमसी से नाराज़ हिंदुओं के बीच गूंजते हैं.

एक अन्य भाजपा कार्यकर्ता का कहना है, “हम हिंदुओं से कह रहे हैं कि अगर आप टीएमसी को वोट देंगे, तो हमें यकीन नहीं है कि आप अगली बार दुर्गा पूजा मना पाएंगे या नहीं.”

लेकिन पात्रा का कहना है कि वह मुसलमानों को यह समझाने की भी कोशिश कर रही हैं कि टीएमसी किस तरह से दोनों समुदायों के बीच दरार पैदा कर रही है. वह कहती हैं, “मैं मुसलमानों से कहती हूं कि उन्हें टीएमसी के इरादों के बारे में पता होना चाहिए. यह वोटों के लिए हमें बांटने की कोशिश कर रही है, लेकिन हमें एकजुट रहने की जरूरत है,”

हालांकि, राजनीतिक विश्लेषक सुमन भट्टाचार्य का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुसलमानों के बारे में बयानों से भाजपा उम्मीदवारों के लिए समुदाय तक पहुंचना काफी कठिन हो रहा है, खासकर बशीरहाट जैसे टीएमसी के गढ़ों में.

भट्टाचार्य कहते हैं, “2019 में, पीएम मोदी ने ट्रिपल तलाक पर प्रतिबंध लगाने की बात कही थी, लेकिन अब उनके बयान ध्रुवीकृत हो गए हैं और फोकस मंगलसूत्र पर है. अगर पीएम मोदी मुसलमानों को शैतान बता रहे हैं, तो वे भाजपा को कैसे वोट देंगे?”

हिंदू-मुस्लिम विभाजन और ‘नारी शक्ति’ की राजनीति इस मुस्लिम बहुल निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा के लिए काम नहीं कर सकती है. भट्टाचार्य कहते हैं, “केवल हिंदू महिलाएं ही नारी शक्ति के विचार से जुड़ती हैं, मुस्लिम महिलाएं अपनी अल्पसंख्यक स्थिति को लेकर अधिक चिंतित हैं. जनसांख्यिकी टीएमसी की ओर झुकी हुई है. इस जनसांख्यिकीय विभाजन को पार करना और भाजपा के लिए बशीरहाट सीट जीतना एक कठिन काम होगा.”

रेखा पात्रा के रोड शो का इंतजार कर रहे समर्थक बशीरहाट में तख्तियां थामे हुए हैं जिन पर लिखा है, “अमी मोदी पोरिवार” (हम मोदी का परिवार हैं) | फोटो: सागरिका किस्सू | दिप्रिंट

‘यह जीतने की क्षमता के बारे में नहीं है’

लोकसभा की दावेदार होने के बावजूद, फैसले लेने का काम पात्रा नहीं करती हैं. अपनी पार्टी के सदस्यों के लिए, वह एक नई सदस्य हैं जो अभी राजनीतिक निर्णय नहीं ले सकती हैं. ज़मीन पर, वह बड़े-बड़े वादे नहीं करती हैं, बल्कि महिलाओं की सुरक्षा और संदेशखाली घटना पर ध्यान केंद्रित करती हैं.

उनके प्रचार अभियान पर एक पार्टी सदस्य कहते हैं, “उन्हें यही करने का निर्देश दिया गया है.”

संदेशखाली पश्चिम बंगाल में भाजपा के लिए सबसे अच्छा दांव है, और पार्टी अपने खिलाफ़ कुछ भी करने का जोखिम नहीं उठाना चाहती है.

संदेशखाली पश्चिम बंगाल में भाजपा के लिए सबसे अच्छा दांव है और पार्टी किसी भी तरह से अपने खिलाफ जाने का जोखिम नहीं उठाना चाहती.

भाजपा जिला समिति के एक सदस्य ने कहा, “जिला अध्यक्ष से लेकर पार्टी प्रवक्ता पात्रा को यह प्रशिक्षण दे रहे हैं कि उन्हें कैसे बोलना है, कैसे चलना है और मतदाताओं से कैसे बात करनी है. हम उन्हें समझा रहे हैं कि उन्हें क्या कहना है, क्या नहीं कहना है और अपनी भावनाओं को काबू में रखना है.”

लेकिन इसके बाद भी स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है. इस महीने की शुरुआत में संदेशखाली पुलिस ने पुलिस स्टेशन के सामने विरोध प्रदर्शन करने के लिए पात्रा के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज किया था. हालांकि, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मंगलवार को आदेश दिया कि चुनाव के कारण 14 जून तक उनके खिलाफ कोई भी दंडात्मक कदम नहीं उठाया जाएगा.

चुनाव विश्लेषक बिस्वनाथ चक्रवर्ती का कहना है कि पात्रा को उम्मीदवार बनाना भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा बशीरहाट में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए एक रणनीतिक निर्णय प्रतीत होता है, न कि सीट पर जीत के लिए पूरी ताकत झोंकने के लिए. चक्रवर्ती कहते हैं, “पात्रा से पहले प्रतिस्पर्धा का कोई माहौल नहीं था. यह जीतने की संभावना का सवाल नहीं है. यह शोर मचाने का सवाल है. भाजपा ने अपने संरचनात्मक दृष्टिकोण से आगे बढ़कर एक जमीनी स्तर के प्रदर्शनकारी को टिकट दिया है.”

संदेशखाली मुद्दा भाजपा के लिए सीट-विशिष्ट योजना न होकर राज्यव्यापी है और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मामले को नियंत्रण में लाने का प्रयास कर रही हैं.

22 मई को बशीरहाट में एक रैली को संबोधित करती हुईं ममता बनर्जी | फोटो: X/@AITCOfficial

मंगलवार को बशीरहाट में एक चुनावी सभा में बनर्जी ने चुनाव जीतने के बाद संदेशखाली का दौरा करने की कसम खाई, क्योंकि इससे पहले ऐसा न करने के कारण उन्हें काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था.

उन्होंने द्वीप की महिलाओं की दुर्दशा पर अपना “दुख” व्यक्त किया, साथ ही उन्होंने पीएम मोदी द्वारा पात्रा को ‘शक्ति स्वरूपा’ कहकर समर्थन देने पर भी कटाक्ष किया.

शाम के 6 बज रहे हैं और ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ की धुन पर ढोल बज रहे हैं, तभी पात्रा एक सफ़ेद स्कॉर्पियो से बाहर निकलती हैं. ‘आओमी मोदी पोरिवार’ (हम मोदी के परिवार हैं) के बैनर लिए महिलाएं उनकी ओर दौड़ती हैं. वह उन्हें गले लगाती हैं और बुजुर्ग पुरुषों और महिलाओं के पैर छूती हैं.

प्रचार के लिए बाहर निकलने से पहले वह अपने तीन बच्चों को सुलाने के बाद वह उनसे कहती हैं, “मैं आपकी हूं.”

मतदाताओं से मिलते समय, पात्रा को अक्सर एक कथित स्टिंग ऑपरेशन वीडियो के बारे में सवालों का सामना करना पड़ता है, जिसमें एक भाजपा का एक मंडल अध्यक्ष कथित तौर पर दावा करता है कि विधायक सुवेंदु अधिकारी सहित पार्टी के नेताओं ने आरोप लगाने के बदले में संदेशखाली के ग्रामीणों को पैसे दिए.

पात्रा ने जोरदार तरीके से कहा, “यह झूठ है. टीएमसी झूठ बोल रही है. वे बशीरहाट में हारने से डरते हैं, इसलिए वे हर दिन नई चालें चलते हैं. लेकिन मुझे पता है कि महिलाएं जीतेंगी. सच्चाई की जीत होगी.”

ई-रिक्शा की छत से उतरते हुए वह शोर मचाती भीड़ की ओर हाथ हिलाती हैं. फिर वह हाथ जोड़कर घोषणा करती हैं: “मैं रेखा पात्रा, संदेशखालीर अग्निकन्या.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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