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Friday, 17 May, 2024
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विपक्षी दलों की बैठक पर मायावती का तंज-‘दिल मिले न मिले, हाथ मिलाते रहिए’

इस बैठक में हिस्सा लेने वाली पार्टियों पर निशाना साधते हुए बसपा प्रमुख ने कहा कि विपक्षी दलों के रवैये को देखते हुए ऐसा नहीं लगता है कि वे उत्तर प्रदेश में अपने लक्ष्य को लेकर गंभीर हैं.

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नई दिल्ली: आगामी शुक्रवार को विपक्षी दलों की पटना में होने वाली बैठक से पहले बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने गुरुवार को कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा बुलाई गई यह बैठक ‘दिल मिले न मिले, हाथ मिलाते रहिए’ की कहावत को चरितार्थ करती है.

गौरतलब है कि मायावती को इस बैठक में आमंत्रित नहीं किया गया है.

जनता दल (यूनाइटेड) के प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा, “हमने सिर्फ उन दलों को आमंत्रित किया है, जो 2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ लड़ने को तैयार हैं.”

त्यागी ने कहा, “बसपा कह रही है कि वह गठबंधन का हिस्सा नहीं बनेगी. ऐसे में हम अपना निमंत्रण क्यों बर्बाद करें.”

लेकिन इस बैठक में हिस्सा लेने वाली पार्टियों पर निशाना साधते हुए बसपा प्रमुख ने कहा कि विपक्षी दलों के रवैये को देखते हुए ऐसा नहीं लगता है कि वे उत्तर प्रदेश में अपने लक्ष्य को लेकर गंभीर हैं.

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इसे लेकर मायावती ने सिलसिलेवार ट्वीट किए हैं.

मायावती ने कहा, “उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों को चुनावी सफलता की कुंजी माना जाता है, लेकिन विपक्षी दलों के रवैये से ऐसा नहीं लगता है कि वे राज्य में अपने लक्ष्य के प्रति सही मायने में चिंतित और गंभीर हैं. उचित प्राथमिकताओं के बिना लोकसभा चुनाव की तैयारियां क्या यहां हकीकत में ज़रूरी बदलाव ला पाएंगी?”

उन्होंने ट्वीट किया, “महंगाई, गरीबी, बेरोज़गारी, पिछड़ापन, अशिक्षा, जातीय द्वेष, धार्मिक उन्माद/हिंसा आदि से जूझ रहे देश में बहुजन के त्रस्त हालात से स्पष्ट है कि बीजेपी और कांग्रेस जैसी पार्टियों में परम पूज्य बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के मानवतावादी समतामूलक संविधान को सही तरीके से लागू करने की क्षमता नहीं है.”

बसपा प्रमुख ने कहा, “ऐसे में नीतीश कुमार द्वारा 23 जून को विपक्षी दलों की पटना में बुलाई गई बैठक ‘दिल मिले न मिले, हाथ मिलाते रहिए’ की कहावत को ज्यादा चरितार्थ करती है.”

उन्होंने आगे कहा, “वैसे इस तरह की पहल करने के पहले ये पार्टियां अगर अगले लोकसभा चुनाव की तैयारियों को ध्यान में रखकर अगर ये पार्टियां, जनता में उनके प्रति आम विश्वास जगाने की गज़र से, अपने गिरेबान में झांककर अपनी नीयत को थोड़ा पाक-साफ कर लेतीं तो बेहतर होता. ‘मुंह में राम बगल में छुरी’ आखिर कब तक चलेगा?

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा मणिपुर की स्थिति पर 24 जून को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक पर पश्चिम बंगाल CM ममता बनर्जी ने कहा,“अब बहुत देर हो चुकी है, मणिपुर जल रहा है. मणिपुर के लोग मुसीबत में है. सेंट्रल फोर्स की मौजूदगी में मंत्री का घर जल रहा है. यह पूरी तरह विफलता है, उन्होंने बैठक बुलाई है इसलिए पार्टी की ओर से डेरेक ओ ब्रायन जाएंगे.”

शुक्रवार को विपक्ष का कार्यक्रम बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा बुलाया जा रहा है – जिन्होंने 2024 के आम चुनावों से पहले आम जमीन तलाशने के लिए समान विचारधारा वाले नेताओं से मुलाकात करते हुए देश का दौरा किया है. कुमार पिछले साल अगस्त में भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को छोड़कर विपक्षी मंच में शामिल होने के बाद से ही विपक्षी एकता की वकालत कर रहे हैं.

मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, ममता बनर्जी, अखिलेश यादव, एम.के. समेत कई पार्टियों के शीर्ष नेता. स्टालिन अरविंद केजरीवाल और सीताराम येचुरी शामिल होंगे.


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