लखनऊ: यूपी में अवैध खनन मामले में सीबीआई जांच की आंच सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव तक पहुंचने के बाद उनके बचाव में बसपा सुप्रीमो मायावती खुद उतर आई हैं. उन्होंने अखिलेश यादव को फोन कर इस मामले में बिलकुल भी परेशान न होने की सलाह दी है. बीएसपी की ओर से जारी प्रेस नोट में बताया गया है कि कहा कि मायावती ने अखिलेश से कहा कि भाजपा द्वारा इस प्रकार की राजनीति करना इनका पुराना हथकंडा रहा है जिसे जनता समझती है. बसपा, इन षडयंत्रों की भुक्तभोगी रही है.
मायावती ने कहा कि अखिलेश को घबराने की नहीं बल्कि डटकर मुकाबला करके, इनके षडयंत्र को विफल करने की ज़रूरत है. मायावती के मुताबिक जिस दिन से सपा-बसपा के शीर्ष नेतृत्व की मुलाकात से संबंधित खबर मीडिया में आम हुई तो उसी ही दिन बौखलाहट में बीजेपी सरकार द्वारा सीबीआई को लम्बित पड़े खनन मामले में एक साथ कई जगह छापेमारी करावाई गई और अखिलेश यादव से पूछताछ कर जानबूझकर खबर फैलवाई गई. ये सपा-बसपा गठबंधन की बदनामी करवाने के लिए कराया जा रहा है.
गठबंधन में गुरू की भूमिका में मायावती
बता दें कि यूपी में सपा-बसपा का गठबंधन लगभग तय है. इस गठबंधन में मायावती अखिलेश के गुरू की भूमिका में दिख रही हैं. उन्होंने अखिलेश को फोन कर भरोसा दिलाया है कि वे मिलकर बीजेपी का मुकाबला करेंगे. इसके बाद अखिलेश के पक्ष में प्रेस नोट जारी कर दिया. वहीं अखिलेश भी इन दिनों ‘बुआ जी’ की सलाह बखूबी मान रहे हैं. इसके कई उदाहरण देखे जा सकते हैं. मायावती का रुख साफ होने के बाद ही वह हर मुद्दे पर अपना पक्ष रखते हैं.
एक मंच पर आए दोनों दल
खनन घोटाले आंच अखिलेश तक पहुंचने के बाद सपा और बसपा ने सोमवार को साझा प्रेस कॉनफ्रेंस कर बीजेपी सरकार पर हमला बोला. बीएसपी महासचिव सतीश मिश्रा और सपा सांसद रामगोपाल यादव ने इस प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि सपा-बसपा के गठबंधन की ख़बर से ही बीजेपी डर गई है. और सरकार ने तोते से गठबंधन कर लिया है. सांसद रामगोपाल यादव ने कहा कि यूपी में बीजेपी को पैर रखने की जगह नहीं मिलेगी. पीएम नरेंद्र मोदी को वाराणसी छोड़कर कहीं और जाना होगा. समाजवादी पार्टी और हमारे सहयोगी दल जब सड़कों पर उतरेंगे तो इन्हें काम करना मुश्किल हो जाएगा.
वहीं सतीश मिश्रा ने कहा कि नए साल पर दोनों पार्टी के नेताओं की दिल्ली में औपचारिक मुलाकात से बीजेपी हताशा में है और इसीलिए सीबीआई का गलत इस्तेमाल कर रही है. उन्होंने कहा, ‘खनन घोटाले में आईएएस अधिकारी के ऊपर एफआईआर है. एफआईआर इस बात की है कि प्रदेश में जो कानून बनाया उसका उल्लंघन करके उन्होंने अलॉटमेंट किया. तो इसमें तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव को क्यों फंसाया जा रहा है. सपा-बसपा की इस साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस से संकेत साफ है कि अब दोनों दल खुलकर बीजेपी का मुकाबला करने का मन बना चुके हैं. वहीं गठबंधन में सीट बंटवारे पर भी जल्द ही मुहर लग जाएगी. सूत्रों की मानें तो मायावती अपने जन्मदिन (15 जनवरी) पर ये घोषणा कर सकती हैं.