मुंबई: “मराठों को आरक्षण मिलना चाहिए. यही नहीं आरक्षण कानून के दायरे में किया जाना चाहिए लेकिन यहां यह ध्यान रखने की जरूरत भी है कि दूसरे समुदायों के लोगों के साथ अन्याय न हो.”
मराठा आरक्षण आंदोलन के बीच राज्य की स्थिति पर चर्चा के लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के बाद कही.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने मराठा आरक्षण पर सर्वदलीय बैठक के बाद कहा, ”…इसके लिए समय दिया जाना चाहिए, ये सभी ने तय किया है.”
उन्होंने आगे कहा कि जिस तरह की राज्य में जो भी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हो रही हैं, उनको लेकर सभी ने नाराजगी जताई है…”
शिंदे ने कहा, “इस मामले को देखने के लिए तीन रिटायर जजों की एक कमेटी बनाई गई है… पिछड़ा वर्ग आयोग युद्ध स्तर पर काम कर रहा है. जल्द ही मराठा समाज को न्याय देने के लिए फैसले लिए जाएंगे… समय देने की जरूरत है और मराठा समाज को भी धैर्य रखना चाहिए…”
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का कहना है, ”…सर्वदलीय बैठक में सभी इस बात पर सहमत हुए कि मराठा समुदाय को आरक्षण मिलना चाहिए…यह निर्णय लिया गया कि आरक्षण कानून के दायरे में होना चाहिए और अन्य समुदायों के साथ अन्याय किए बिना होना चाहिए.”
बता दें कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने राज्य के कुछ हिस्सों में हिंसक रूप ले चुके मराठा आरक्षण आंदोलन के बीच राज्य की स्थिति पर चर्चा करने के लिए बुधवार को मुंबई में एक सर्वदलीय बैठक बुलाई थी. यह बैठक करीब एक घंटे तक चली. इस दौरान कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने बुधवार को दोहराया था कि अगर मराठा समुदाय को आरक्षण देने की उनकी मांग महाराष्ट्र सरकार ने पूरी नहीं की तो वह आज शाम से पानी पीना बंद कर देंगे.
जालना जिले के अंतरवाली सराटी गांव में 25 अक्टूबर से अनशन कर रहे जरांगे ने संवाददाताओं से कहा था कि सभी दलों के नेताओं को महाराष्ट्र सरकार से राज्य विधानमंडल का विशेष सत्र बुलाने और मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए कहना चाहिए.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा, ”…मैं मनोज जारांगे पाटिल से अनुरोध करता हूं कि वे सरकार के प्रयासों पर भरोसा रखें…यह विरोध एक नई दिशा लेने लगा है.”
उन्होंने कहा कि आम लोगों को असुरक्षित महसूस नहीं करना चाहिए. मैं सभी से शांति बनाए रखने और राज्य सरकार के साथ सहयोग करने का अनुरोध करता हूं.
बुधवार को मुंबई में हुई बैठक में उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस (भाजपा), राकांपा अध्यक्ष शरद पवार, वरिष्ठ कांग्रेस नेता बालासाहेब थोराट, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण (कांग्रेस), शिवसेना (यूबीटी) नेता अनिल परब समेत अन्य नेता मौजूद हैं.
इससे पहले मुख्यमंत्री कार्यालय के एक अधिकारी ने कहा कि शिंदे विपक्षी नेताओं को स्थिति से निपटने के लिए सरकार की योजनाओं से अवगत कराएंगे और उनका समर्थन मांगेंगे.
पिछले कुछ दिनों में राज्य के कई हिस्सों में हिंसा की घटनाएं देखी गई हैं.
मराठवाड़ा के पांच जिलों में सरकारी बस सेवाएं पूरी तरह से निलंबित कर दी गई हैं, जबकि बीड के कुछ हिस्सों में कर्फ्यू लगा दिया गया है और इंटरनेट बंद कर दिया गया है, जहां प्रदर्शनकारियों ने राजनीतिक दलों के नेताओं के आवासों को निशाना बनाया था.
मुख्यमंत्री ने लोगों से हिंसा नहीं करने की अपील की है और राजनीतिक दलों से भी ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल होने से बचने को कहा है जिससे स्थिति खराब हो.
महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार को एक आदेश प्रकाशित कर संबंधित अधिकारियों से पात्र मराठा समुदाय के सदस्यों को नए कुनबी जाति प्रमाणपत्र जारी करने को कहा, ताकि उनके लिए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत आरक्षण लाभ प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त हो सके.
सरकारी प्रस्ताव (जीआर) में अधिकारियों से कुनबियों के संदर्भ वाले और उर्दू तथा ‘मोड़ी’ लिपि (जिसका उपयोग पहले के समय में मराठी भाषा लिखने के लिए किया जाता था) में लिखे पुराने दस्तावेजों का अनुवाद करने के लिए कहा. इन दस्तावेजों का डिजिटलीकरण किया जाएगा, प्रमाणित किया जाएगा और फिर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराया जाएगा.
यह फैसला ऐसे वक्त आया है जब मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा कि सरकार द्वारा नियुक्त समिति ने 1.72 करोड़ पुराने दस्तावेजों (निजाम-काल सहित) की जांच की और उनमें से 11,530 ऐसे रिकॉर्ड पाए गए जहां कुनबी जाति का उल्लेख किया गया है.
कृषि से जुड़ा कुनबी समुदाय महाराष्ट्र में ओबीसी श्रेणी के अंतर्गत आता है और समुदाय को शिक्षा एवं सरकारी नौकरियों में आरक्षण लाभ मिलता है.
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