नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 124वें एपिसोड में बताया कि 12 मराठा किलों को मिलाकर अब उन्हें यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है.
ये किले, जो महाराष्ट्र और तमिलनाडु में फैले हुए हैं, अब संयुक्त रूप से ‘भारत के मराठा सैन्य परिदृश्य’ (Maratha Military Landscapes of India) कहलाएंगे, जैसा कि भारत सरकार ने 2024-25 में यूनेस्को को विश्व धरोहर दर्जा पाने के लिए अपने नामांकन दस्तावेज़ में प्रस्तावित किया था.
“ग्यारह किले महाराष्ट्र में; एक तमिलनाडु में. हर किले से इतिहास का एक अध्याय जुड़ा है. हर पत्थर किसी ऐतिहासिक घटना का गवाह है,” प्रधानमंत्री मोदी ने कहा और श्रोताओं को भारत की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और पारिस्थितिक विरासत की यात्रा पर ले गए.
अपने ‘मन की बात’ संबोधन में उन्होंने भारत की हाल की कई उपलब्धियों और मील के पत्थरों को उजागर किया—शुभांशु शुक्ला के अंतरिक्ष मिशन से लेकर दुर्लभ पक्षियों की गणना तक। इसके अलावा, प्रधानमंत्री मोदी ने आगामी त्योहारों के मौसम को लेकर उत्साह भी साझा किया.
यूनेस्को की यह मान्यता पेरिस में आयोजित विश्व धरोहर समिति के 47वें सत्र में मिली, जिससे ‘भारत के मराठा सैन्य परिदृश्य’ देश की 44वीं संपत्ति बन गई जिसे वैश्विक मान्यता प्राप्त हुई है.
यूनेस्को सूची में शामिल 12 किले हैं—महाराष्ट्र के साल्हेर, शिवनेरी, लोहगड़, खांदेरी, रायगढ़, राजगढ़, प्रतापगढ़, सुवर्णदुर्ग, पन्हाला, विजयदुर्ग और सिंधुदुर्ग; और तमिलनाडु का जिन्जी किला.
प्रधानमंत्री मोदी ने नागरिकों से इन ऐतिहासिक किलों को देखने और भारत के समृद्ध अतीत के बारे में जानने का आग्रह किया.
“ये किले केवल ईंट-पत्थर नहीं हैं; ये हमारी समृद्ध विरासत के प्रतीक हैं. इन ऊंची दीवारों से आज भी मूल्य और स्वाभिमान की गूंज सुनाई देती है. मैं नागरिकों से आग्रह करता हूं कि इन किलों को देखें, इनके इतिहास को जानें और गर्व महसूस करें,” उन्होंने कहा.
क्रांति का महीना
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में आने वाले महीने के महत्व पर बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ में याद दिलाया कि अगस्त बलिदान और क्रांति का महीना है, जिसने आज़ादी तक पहुंचाया.
मोदी ने स्वतंत्रता सेनानियों जैसे खुदीराम बोस और अनगिनत गुमनाम नायकों को याद किया जिन्होंने देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए. विशेष रूप से खुदीराम बोस को श्रद्धांजलि देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “उन्हें सिर्फ किताबों में नहीं, उनके आदर्शों को जीवन में उतारना चाहिए.”
ब्रिटिश शासन के दौरान खुदीराम बोस को 18 साल की उम्र में मुज़फ्फरपुर षड्यंत्र मामले—एक ब्रिटिश जज की हत्या की कोशिश—में फांसी की सजा सुनाई गई थी.
प्रधानमंत्री ने नागरिकों से भारतीय क्रांतिकारियों की विरासत को सेवा, नागरिक जिम्मेदारी और अटूट देशभक्ति के कार्यों के ज़रिए जीवित रखने का आह्वान किया.
“जब खुदीराम बोस फांसी की ओर बढ़ रहे थे, तो उनके चेहरे पर मुस्कान थी,” उन्होंने ‘मन की बात’ में कहा. “इतने सारे बलिदानों के बाद, सदियों की तपस्या के बाद, हमें आज़ादी मिली. देशभक्तों ने अपने खून से स्वतंत्रता आंदोलन को सींचा.”
प्रधानमंत्री मोदी ने श्रोताओं को 7 अगस्त की भी याद दिलाई, जिस दिन 1905 में स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत हुई थी और भारतीय हथकरघा उद्योग को नया जीवन मिला. अब यह दिन ‘राष्ट्रीय हथकरघा दिवस’ के रूप में मनाया जाता है. प्रधानमंत्री ने बताया कि यह दिन महाराष्ट्र से लेकर बिहार और ओडिशा तक हथकरघा क्षेत्र की सफलता की कहानियों को प्रेरित करता है. “जैसे खादी ने स्वतंत्रता आंदोलन को ताकत दी, वैसे ही आज हमारा वस्त्र क्षेत्र प्रगति का स्तंभ है,” उन्होंने जोड़ा.
शुभांशु शुक्ला की घर वापसी
‘मन की बात’ के 124वें एपिसोड की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला की घर वापसी का जश्न मनाते हुए की—यह देश के लिए गर्व का क्षण था क्योंकि शुक्ला, राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष जाने वाले दूसरे भारतीय और अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर जाने वाले पहले भारतीय बने.
प्रधानमंत्री मोदी ने याद किया कि किस तरह देश ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि को मिलकर सम्मान दिया, जो भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक बड़ा पड़ाव है. उन्होंने अगस्त 2023 में चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग को भी याद किया और कहा कि यह भी एक अहम पल था, जो देश के युवाओं को प्रेरित करेगा और अंतरिक्ष व विज्ञान के प्रति रुचि जगाएगा. “पिछले कुछ वर्षों में अंतरिक्ष, विज्ञान और नवाचार की ओर लोगों की रुचि काफी बढ़ी है,” प्रधानमंत्री ने कहा.
शुभांशु शुक्ला की एक्सोमी 4 मिशन में भागीदारी उस समय ऐतिहासिक बनी जब भारत का अंतरिक्ष स्टार्टअप क्षेत्र तेज़ी से बढ़ रहा है—इस बात का ज़िक्र प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में किया. “पांच साल पहले तक इस क्षेत्र में देश में 50 से भी कम कंपनियां थीं. आज यह संख्या 200 से अधिक हो चुकी है. ये स्टार्टअप्स तकनीकी प्रगति ला रहे हैं, रोजगार पैदा कर रहे हैं और भारत की वैश्विक अंतरिक्ष खोज की महत्वाकांक्षाओं को आगे बढ़ा रहे हैं,” उन्होंने कहा.
पहली बार घासभूमि पक्षी गणना
‘मन की बात’ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक समय वन्यजीव और संरक्षण की ओर भी ध्यान खींचा. उन्होंने असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की एक नई पहल को बताया, जहां पहली बार घासभूमि में रहने वाले पक्षियों की विशेष गणना की गई. यह सर्वे खासतौर पर उन पक्षियों पर केंद्रित था जो काजीरंगा की अनोखी घासभूमि पर निर्भर करते हैं.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “यह हमारे संरक्षण प्रयासों में एक अहम पड़ाव है.”
इस सर्वे में वन अधिकारियों, वैज्ञानिकों और पक्षी प्रेमियों ने मिलकर भाग लिया, जिससे काजीरंगा में घासभूमि पक्षियों की जैव विविधता को बेहतर ढंग से समझा जा सका. इस गणना में 40 से ज्यादा पक्षियों की प्रजातियां दर्ज की गईं, जिनमें कई दुर्लभ प्रजातियां भी थीं.
प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि पहचान की यह प्रक्रिया विशेषज्ञों के ज्ञान और आधुनिक तकनीक के मेल से संभव हो सकी. टीम ने खेतों में साउंड रिकॉर्डिंग डिवाइस लगाए, और पक्षियों की आवाज़ रिकॉर्ड करके उन्हें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से विश्लेषित किया गया, जिससे बिना पक्षियों को परेशान किए उनकी प्रजातियों की पहचान की जा सकी. “जब तकनीक और संवेदनशीलता मिलते हैं, तो प्रकृति को समझना बहुत आसान और गहरा हो जाता है,” उन्होंने कहा.
प्रधानमंत्री ने युवा प्रकृतिप्रेमियों और शोधकर्ताओं से ऐसे अभियानों में भाग लेने का आग्रह किया और देश की समृद्ध जैव विविधता की रक्षा व उसका उत्सव मनाने के महत्व पर ज़ोर दिया.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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