गुरुग्राम: हरियाणा में बेरोजगारी दर देश के बड़े राज्यों में दूसरे सबसे अधिक है, जो राज्य सरकार और विपक्ष के बीच विवाद का एक प्रमुख मुद्दा बन गई है, जिसने पूर्व सरकार पर युवाओं के लिए पर्याप्त नौकरियां पैदा करने में विफल रहने का आरोप लगाया है.
हालांकि, नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) के नवीनतम आंकड़ों का हवाला देते हुए, राज्य सरकार ने दावा किया है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के प्रयासों से वास्तव में बेरोजगारी दर में कमी आई है.
एनएसएसओ – जो सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अंतर्गत आता है, ने 9 अक्टूबर को जुलाई 2022 से जून 2023 की अवधि के लिए आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण जारी किया, जिससे पता चलाता है कि 15 वर्ष से अधिक आयु वालों के बीच हरियाणा की बेरोजगारी दर 6.1 प्रतिशत थी, जो 2021-2022 की समान अवधि में 9 प्रतिशत से कम थी.
इस बीच, हरियाणा सरकार ने इस सप्ताह की शुरुआत में एक प्रेस नोट जारी कर दावा किया कि उनके प्रयासों से स्थिति को सुधारने में मदद मिली है.
राज्य के सूचना और जनसंपर्क विभाग द्वारा मंगलवार को जारी प्रेस नोट में कहा गया कि “मुख्यमंत्री मनोहर लाल के दूरदर्शी मार्गदर्शन के तहत, हरियाणा में रोजगार सृजन के निरंतर प्रयासों का फल मिला है, जिससे राज्य की बेरोजगारी दर प्रभावशाली 6.5 प्रतिशत तक गिर गई है. सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा हाल ही में किए गए आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण में यह महत्वपूर्ण उपलब्धि सामने आई है.”
प्रेस नोट में 6.5 प्रतिशत की बेरोजगारी दर उद्धृत की गई, जो, हालांकि, समग्र आंकड़ा नहीं था. एनएसएसओ के आंकड़ों में हरियाणा की शहरी बेरोजगारी दर 6.5 फीसदी थी. आंकड़ों के अनुसार, ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में संयुक्त बेरोजगारी दर 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों के लिए 6.1 प्रतिशत थी.
दिप्रिंट से बात करते हुए, हरियाणा सरकार के मीडिया सचिव, प्रवीण अत्रेया ने कहा कि खट्टर सरकार ने न केवल नौकरी प्लेसमेंट की सुविधा प्रदान करके, बल्कि लोगों को कौशल प्रदान करके और उन्हें अधिक रोजगार योग्य बनाकर बेरोजगारी को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं.
उन्होंने दावा किया कि 2014 में जब से खट्टर सत्ता में आए हैं, 1.10 लाख से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरियां प्रदान की गई हैं.
हालांकि, विपक्षी दलों ने सरकार के दावों की आलोचना की है और कहा है कि राज्य में बेरोजगारी अब तक के उच्चतम स्तर पर है.
हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा ने मंगलवार को दिप्रिंट को बताया, “सरकार को 15 से 29 आयु वर्ग में बेरोजगारी दर देखनी चाहिए, जो कि 17.5 प्रतिशत है क्योंकि ये वे लोग हैं जिन्हें 2014 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से नौकरियां नहीं मिल रही हैं. 2019 में दूसरी बार सत्ता में आने के बाद से युवाओं को बहुत कम सरकारी नौकरियां प्रदान की गई हैं.”
हरियाणा युवा कांग्रेस के अध्यक्ष दिव्यांशु बुद्धिराजा ने कहा कि हरियाणा में बेरोजगारी की स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि “ग्रुप डी की नौकरियों के 1,35,366 पदों के लिए 13,75,151 लोगों ने आवेदन किया है.”
बुद्धिराजा ने शुक्रवार को कहा, “जिन लोगों को ग्रुप डी की नौकरियों में भर्ती किया जाता है, उन्हें चपरासी, हेल्पर, सफ़ाई कर्मचारी, क्लीनर आदि के रूप में रखा जाता है. फिर भी, सरकार के अपने रिकॉर्ड के अनुसार, लगभग 100 लोगों ने एक पद के लिए आवेदन किया है. यह राज्य में बेरोजगारी के स्तर को दर्शाता है.”
बेरोजगारी के मुद्दे ने पिछले साल दिसंबर में भी राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया था जब सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) ने बेरोजगारी के आंकड़े जारी किए थे, जिसमें हरियाणा में बेरोजगारी 37.4 प्रतिशत बताई गई थी. इससे हरियाणा विधानसभा के अंदर और बाहर सरकार और विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी हरियाणा को “बेरोजगारी में चैंपियन” बताते हुए राज्य सरकार की आलोचना की थी, जब उनकी भारत जोड़ो यात्रा राज्य से गुजरी थी. इस साल जनवरी में राज्य विधानसभा के शीतकालीन सत्र में खट्टर सरकार और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक हुई.
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’12 लाख से अधिक युवाओं को रोजगार’
प्रेस नोट में मंगलवार को कहा गया कि विकास के प्रति सीएम की प्रतिबद्धता ने हरियाणा को “निरंतर प्रगति के पथ पर” आगे बढ़ाया है.
इसमें आगे कहा गया कि “जैसे-जैसे राज्य औद्योगिक रूप से आगे बढ़ रहा है, रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं. हर दिन नई कंपनियां हरियाणा में निवेश कर रही हैं, जिससे राज्य के युवाओं के लिए नौकरी की संभावनाएं बढ़ रही हैं.”
इसके अलावा, राज्य सरकार की नवीन योजनाओं ने कई युवाओं को स्वरोजगार की राह पर चलने के लिए प्रोत्साहित किया है. साथ ही, विभिन्न सरकारी विभाग सक्रिय रूप से नई भर्ती में लगे हुए हैं.
पहले उद्धृत अत्रेय के अनुसार, सरकारी नौकरियों के अलावा, 12 लाख से अधिक युवाओं को रोजगार और स्वरोजगार दोनों के माध्यम से निजी क्षेत्र में रोजगार मिला है.
उन्होंने कहा, “सरकार ने इस साल अतिरिक्त 60,000 नौकरियों की घोषणा की है और इनमें से 41,217 की भर्ती की प्रक्रिया पहले से ही प्रगति पर है. इनके अलावा, हरियाणा कौशल रोजगार निगम (एचकेआरएन) द्वारा एक लाख से अधिक लोगों को नौकरियां प्रदान की गई हैं.”
एनएसएसओ रिपोर्ट
हरियाणा अभी भी सबसे खराब बेरोजगारी दर वाले राज्यों में से एक है और केरल के बाद बड़े राज्यों (1 करोड़ से अधिक की आबादी) में दूसरे स्थान पर है, जहां पिछले साल के 9.6 प्रतिशत के मुकाबले 7 प्रतिशत की बेरोजगारी दर दर्ज की गई है.
एनएसएसओ के आंकड़ों के मुताबिक इस बार राष्ट्रीय औसत 3.2 फीसदी है.
बड़े राज्यों में, मध्य प्रदेश में सबसे कम बेरोजगारी दर 1.6 प्रतिशत है, इसके बाद गुजरात और झारखंड में 1.7 प्रतिशत है.
15 से 29 वर्ष के आयु वर्ग में, हरियाणा की बेरोजगारी दर 17.5 प्रतिशत है, जबकि 15 से 59 वर्ष के आयु वर्ग में यह 6.4 प्रतिशत है और 15 और उससे अधिक आयु वर्ग में यह दर 6.1 प्रतिशत है.
2021-2022 में, हरियाणा में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग में बेरोजगारी दर 9 प्रतिशत थी, जबकि राष्ट्रीय आंकड़ा 4.1 प्रतिशत था.
केरल में थोड़ी अधिक दर 9.6 प्रतिशत थी, जबकि गुजरात और झारखंड में बहुत कम दर 2 प्रतिशत थी.
(संपादन: अलमिना खातून)
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