scorecardresearch
Thursday, 14 November, 2024
होमराजनीतिममता ने कोलकाता रैली में 2024 का रोडमैप बताया—‘BJPको नहीं मिलेगा बहुमत, TMC विपक्ष को एकजुट करेगी’

ममता ने कोलकाता रैली में 2024 का रोडमैप बताया—‘BJPको नहीं मिलेगा बहुमत, TMC विपक्ष को एकजुट करेगी’

कोलकाता में तृणमूल कांग्रेस की वार्षिक शहीद दिवस रैली में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 2024 के बाद चुनाव-बाद विपक्षी दलों के गठबंधन के संकेत दिए.

Text Size:

कोलकाता : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने गुरुवार को कोलकाता में पार्टी की वार्षिक शहीद दिवस रैली में कहा, ‘देश में तृणमूल की ही विचारधारा होगी. तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) विपक्ष को एक साथ लाने वाली पार्टी बनेगी.’

मध्य कोलकाता स्थित आयोजन स्थल में लाखों तृणमूल समर्थकों और पार्टी कार्यकर्ताओं से खचाखच भरा हुआ था क्योंकि इस बार यह कार्यक्रम कोविड के कारण दो साल बाद हो पाया है.

तालियों की गड़गड़ाहट और पूरे उत्साह से लग रहे नारों के बीच ममत बनर्जी मंच पर पहुंची. 2024 के लोकसभा चुनावों के संदर्भ में बात करते हुए उन्होंने भाजपा पर निशाना साधा, ‘मैं चुनौती के साथ कहती हूं 2024 में भाजपा को बहुमत नहीं मिलेगा और फिर अन्य दल एक साथ आ जाएंगे.’

यह रैली टीएमसी कैलेंडर के लिहाज से खासी अहम है जो राष्ट्रीय स्तर पर अपनी भूमिका मजबूत करके केंद्र में सत्तासीन भाजपा के लिए सबसे कड़ी चुनौती बनने पर नजरें टिकाए है.

रैली में मौजूद लोगों से ‘जन-समर्थक सरकार लाने’ का आह्वान करते हुए ममता ने कहा कि ‘भाजपा अक्षमताओं का पिटारा है.’ तीन कार्यकाल से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, ‘यह लोकसभा चुनाव, किसी सरकार को चुनने के लिए नहीं बल्कि खारिज करने का चुनाव होगा.’

उन्होंने आगे कहा, ‘हम पश्चिम बंगाल में सभी सीटें जीतेंगे. हम मित्र दलों की मदद से असम, उत्तर प्रदेश, त्रिपुरा, गोवा, मेघालय में भी जीतेंगे.’

इधर, नई दिल्ली में संसद भवन में राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतगणना जारी थी, वहीं, तृणमूल सांसद सुदीप बंदोपाध्याय ने मंच से पूछा, ‘चुनाव आयोग ने आज राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे घोषित करने का फैसला क्यों किया? प्रवर्तन निदेशालय ने आज ही (कांग्रेस प्रमुख) सोनिया गांधी को क्यों तलब किया?’

उन्होंने कहा, ‘वे यहां टीएमसी के कार्यक्रम से ध्यान हटाना चाहते हैं.’

ममता के भाषण का जिक्र करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि ममता ने ‘2019 में भी यही दावा किया था.’

उन्होंने कहा, ‘उन्होंने तमाम विपक्षी नेताओं को जुटाया और यहां कोलकाता में रैली की और फिर (लोकसभा चुनाव के) नतीजे भी हमारे सामने हैं. उन्होंने कहा था कि भाजपा हटाओ लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ. ममता की पार्टी के नेता सीबीआई और ईडी के दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं और भ्रष्टाचार में डूबे हैं. पहले वह खुद अपनी पार्टी संभाल लें और देश हम संभाल लेंगे.’

इस बीच, राजनीतिक विश्लेषक ‘2024 में भाजपा को बहुमत नहीं मिलने’ के ममता बनर्जी के दावे का जिक्र करते हुए इसे रैली के दौरान उनकी एक महत्वपूर्ण टिप्पणी बता रहे हैं.

कोलकाता के बंगबासी कॉलेज में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर और राजनीतिक पर्यवेक्षक उदयन बंद्योपाध्याय ने कहा, ‘आज की रैली में ममता बनर्जी के भाषण में एकमात्र सबसे महत्वपूर्ण लाइन यही थी. उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि 2024 में चुनाव-बाद गठबंधन होगा, चुनाव से पहले नहीं.’ उन्होंने कहा, ‘चुनाव नतीजों के बाद ही तृणमूल यह तय करेगी कि भाजपा से मुकाबले के लिए किसके साथ हाथ मिलाना है.’

उन्होंने यह भी कहा कि ‘बनर्जी के भाषण में कोई नया संदेश नहीं था.’ साथ ही जोड़ा, ‘उन्होंने भाजपा पर निशाना साधने के लिए आर्थिक मुद्दों और आम लोगों की समस्याओं का इस्तेमाल किया—जैसे बेरोजगारी और ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी.’


यह भी पढ़ेंः ‘कूड़ा-कचरा हटना चाहिए’- दूसरे दल से आए नेता की गिरफ्तारी के बाद दलबदलुओं पर बंगाल BJP के भीतर तकरार तेज


जीएसटी और भ्रष्टाचार पर क्या बोलीं

बनर्जी ने दही, मुरमुरे और लस्सी जैसे खाद्य पदार्थों पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू किए जाने को लेकर मोदी सरकार पर सीधे निशाना साधा. उन्होंने सवाल उठाया, ‘गरीब क्या खाएंगे और हमें मरने पर कितना जीएसटी देना होगा?’

केंद्रीय एजेंसियों—जिस पर विपक्ष सरकार द्वारा दुरुपयोग करने का आरोप लगाता है—पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, ‘अगर सीबीआई या ईडी आपको जांच के लिए बुलाएं तो उनके सामने एक प्लेट मुरमुरे रख दें.’

हालांकि, भाजपा सांसद और बंगाल में पार्टी के प्रमुख डॉ. सुकांत मजूमदार ने दावा किया कि राज्य सरकार ने कभी भी जीएसटी लागू करने का विरोध नहीं किया. उन्होंने हावड़ा में एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा, ‘तृणमूल किस बात की शिकायत कर रही है? राज्य को भी तो जीएसटी का हिस्सा मिलेगा. अगर वे कोई विरोध नहीं करते तो इसका मतलब है कि वे फैसले का समर्थन करते हैं.’

इस बीच, पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग में कथित भर्ती घोटाले और टीएमसी नेताओं द्वारा कल्याणकारी योजना के लाभार्थियों से ‘कट मनी’ लेने के लगातार लग रहे आरोपों से बैकफुट पर आईं ममता बनर्जी ने कहा कि भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया, ‘अगर कोई व्यक्ति टीएमसी के नाम पर पैसे की उगाही करता है, तो उसे पकड़कर नजदीकी पुलिस स्टेशन ले जाएं.’


यह भी पढ़ेंः बंगाल विधानसभा में CM को विश्वविद्यालयों का चांसलर बनाने का कानून पास, BJP ने कहा- ‘पोस्ट का राजनीतिकरण’ हो रहा


शहीद दिवस कैसे टीएमसी का शक्ति प्रदर्शन बना?

21 जुलाई 1993 को ममता बनर्जी के नेतृत्व में पश्चिम बंगाल युवा कांग्रेस की तरफ से ज्योति बसु के नेतृत्व वाली तत्कालीन माकपा सरकार के खिलाफ कोलकाता में विरोध प्रदर्शन किया जा रहा था, इसी दौरान पुलिस फायरिंग में उसके 13 कार्यकर्ता मारे गए. सौगत रॉय जैसे अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ ममता बनर्जी को भी उस समय चोटें आई थी, जो तब कांग्रेस का हिस्सा थीं.

2011 में जब बनर्जी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के तौर पर पदभार संभाला तो उन्होंने न केवल 1993 की पुलिस कार्रवाई की जांच कराई बल्कि उस दिन को ‘शहीद दिवस’ भी घोषित किया. तभी से टीएमसी (जो 1998 में गठित हुई थी) की तरफ से इस घटना के पीड़ितों के सम्मान और एक राजनीतिक संदेश देने के लिए हर साल शहीद दिवस मनाया जाता है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


यह भी पढ़ेंः ‘TMC नेता ने भीड़ को उकसाया, पुलिस की भूमिका की भी जांच’- CBI ने बीरभूम चार्जशीट दायर की


 

share & View comments