कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद दिलीप घोष के ‘पिता’ के तंज ने विवाद खड़ा कर दिया है, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने इसे “महिलाओं का अपमान” बताते हुए निर्वाचन आयोग से शिकायत की है.
मंगलवार देर शाम बीजेपी ने घोष को कारण बताओ नोटिस दिया और टीएमसी सुप्रीमो के खिलाफ उनकी टिप्पणी के लिए स्पष्टीकरण मांगा.
बीजेपी ने नोटिस में कहा है, “आपकी टिप्पणियां असंसदीय और भाजपा की संस्कृति के खिलाफ हैं. पार्टी ऐसी टिप्पणियों की निंदा करती है. पार्टी प्रमुख जे.पी.नड्डा के निर्देश पर, आपसे तुरंत अपनी टिप्पणी पर स्पष्टीकरण देने को कहा जाता है.”
वहीं, निर्वाचन आयोग ने ममता बनर्जी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए बुधवार को दिलीप घोष को कारण बताओ नोटिस जारी किया है.
आयोग ने कहा कि प्रथम दृष्टया, टिप्पणई आदर्श आचार संहिता और चुनाव प्रचार के दौरान राजनीतिक दलों को गरिमा बनाए रखने की सलाह का उल्लंघन हैं. घोष को 29 मार्च शाम तक कारण बताओ नोटिस का जवाब देने को कहा गया है.
दरअसल, विवाद सोशल मीडिया पर एक वीडियो सामने आने के बाद शुरू हुआ जिसमें पूर्व राज्य भाजपा प्रमुख को कहते सुना जा सकता है: “दीदी गोवा जाती हैं और कहती हैं, ‘मैं गोवा की बेटी हूं’, फिर त्रिपुरा जाती हैं और कहती हैं, ‘मैं त्रिपुरा की बेटी हूं’. तय कीजिए कि आपके पिता कौन हैं? सिर्फ किसी की बेटी बनना अच्छा नहीं है.”
यह भारतीय जनता पार्टी के लिए एक बड़ी शर्मिंदगी की तरह है, जो भाजपा की मंडी लोकसभा उम्मीदवार और अभिनेत्री कंगना रनौट के खिलाफ कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत की कथित ‘अभद्र’ टिप्पणी पर हमला कर रही थी.
बार-बार अपना पैर अपने मुंह में डालने के लिए जाने जाते हैं — चाहे वह ‘गाय के दूध में सोना’ वाली टिप्पणी हो या ‘बरमूडा’ घोष ने संदेशखाली में कथित यौन उत्पीड़न की रिपोर्टों के आसपास के विवाद को टालने के लिए टीएमसी को चारा दे दिया है.
घोष ने बुधवार को दिप्रिंट को बताया, “माननीय मुख्यमंत्री से मेरी कोई निजी दुश्मनी नहीं है. मैंने उनकी राजनीतिक टिप्पणियों का जवाब दिया है. अगर पार्टी ने इसे असंवैधानिक पाया है तो मुझे इसके लिए खेद है. मैं अपनी आधिकारिक प्रतिक्रिया भेजूंगा.”
मुख्यमंत्री के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने घोष के खिलाफ हंगामा खड़ा कर दिया है. 10 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को भाजपा सांसद के खिलाफ चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई.
दिप्रिंट द्वारा प्राप्त पत्र में लिखा है, “आदर्श आचार संहिता के घोर उल्लंघन और पश्चिम बंगाल की माननीय मुख्यमंत्री के खिलाफ ऐसे अपमानजनक बयान देने के लिए श्री दिलीप घोष के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करें.”
टीएमसी मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने दिप्रिंट को बताया, “पश्चिम बंगाल की महिलाएं इन टिप्पणियों को सुन रही हैं, वे दिलीप घोष के खिलाफ अपने वोटों से जवाब देंगी. जो लोग महिलाओं का अपमान करते हैं, उन्हें माफ नहीं किया जा सकता. मैं बर्दवान-दुर्गापुर के मतदाताओं से आग्रह करती हूं कि वे दिलीप घोष को वोट न दें.”
यहां तक कि भाजपा नेताओं के एक वर्ग ने भी इस टिप्पणी की निंदा की है और पार्टी नेतृत्व से आग्रह किया है कि वे घोष के लिए सुधार सुनिश्चित करें, जो चुनावी वर्ष में पार्टी की छवि को प्रभावित कर सकता है और बदले में बंगाल में टीएमसी के साथ चौतरफा लड़ाई में इसके चुनावी परिणाम को प्रभावित कर सकता हैं.
बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “यह पहली बार नहीं है जब दिलीप घोष ने अपनी टिप्पणियों से विवाद खड़ा किया है. ऐसा पहले भी हुआ है. हालांकि, घोष सीधे-सादे हैं, लेकिन उनके शब्द बंगाल में पार्टी को नुकसान पहुंचा सकते हैं और इनसे बचना ही बेहतर है. उन्हें सीएम के खिलाफ कुछ भी नहीं कहना चाहिए था, न कि तब जब चुनाव आ रहे हों.”
मेघालय के पूर्व राज्यपाल तथागत रॉय, जो स्वयं अपने शब्दों को टालने के लिए जाने जाते हैं, ने सोशल मीडिया पर पार्टी को “बेतुकी” टिप्पणियां करने के बारे में चेतावनी दी.
उन्होंने मंगलवार को अप्रत्यक्ष रूप से दिलीप घोष या पीएम मोदी के कुख्यात ‘दीदी-ओ-दीदी’ तंज का नाम लिए बिना एक्स पर पोस्ट किया, “पश्चिम बंगाल भाजपा के कुछ उम्मीदवारों को राजनीतिक प्रशिक्षण की ज़रूरत है. उसके लिए उम्मीदवार बदलने की ज़रूरत नहीं है, लेकिन किसी को सावधान रहना होगा कि वे उत्साह में बहकर पार्टी की नीति के खिलाफ या हास्यास्पद बेतुकी बात न कहे. ऐसा खतरा 2021 में हुआ था.”
राजनीतिक विश्लेषक स्निग्धेंदु भट्टाचार्य का भी मानना है कि घोष का तंज बंगाल में पार्टी के लिए नुकसानदेह हो सकता है. उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “ऐसे समय में जब भाजपा महिलाओं के मुद्दों को उजागर कर रही है, अपने अभियान के हिस्से के रूप में पीएम मोदी और बशीरहाट उम्मीदवार रेखा पात्रा के बीच टेलीफोन पर बातचीत को सार्वजनिक कर रही है, घोष की टिप्पणी पार्टी की अभियान योजना के लिए हानिकारक है. यही कारण है कि अरुण सिंह ने उन्हें तुरंत कारण बताओ नोटिस दिया है.”
(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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