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Sunday, 23 June, 2024
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मालेगांव ब्लास्ट की आरोपी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर MP चुनाव में BJP के प्रचार से बाहर

प्रज्ञा ठाकुर ‘बिना सोचे’ बोलने और विवादों को जन्म देने के लिए जानी जाती हैं. राज्य इकाई का कहना है कि चुनाव प्रचार से अनुपस्थिति ‘व्यक्तिगत प्रतिबद्धताओं के कारण हो सकती है’.

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भोपाल: मालेगांव विस्फोट की आरोपी और भोपाल से सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के प्रचार अभियान से गायब हो गई हैं.

दिप्रिंट से बात करने वाले कई बीजेपी नेताओं ने दावा किया कि उन्हें अभियान से बाहर रखना पार्टी का एक सोचा-समझा फैसला था क्योंकि वह “बिना सोचे समझे” बोलती हैं और अनावश्यक विवाद पैदा कर सकती हैं.

यह फायरब्रांड साध्वी के लिए एक बड़ी गिरावट है, जिनकी 2019 के लोकसभा चुनाव में भोपाल से उम्मीदवारी ने विवाद पैदा कर दिया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तब उनकी उम्मीदवारी का बचाव करते हुए कहा था, “एक महिला, वह भी एक साध्वी, को इस तरह से अपमानित किया गया था.” प्रधानमंत्री ने एक टेलीविजन समाचार चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा था कि उनकी उम्मीदवारी उन लोगों के लिए एक प्रतीकात्मक जवाब है जो हिंदू सभ्यता को आतंकवादी कहते थे.

इसके बाद, ठाकुर ने भोपाल में कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह को 3.65 लाख वोटों से हराया.

बमुश्किल छह महीने बाद नवंबर 2019 में उन्होंने एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया जब उन्होंने महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को “देशभक्त” कहा था. लोकसभा में की गई टिप्पणी पर इतना आक्रोश था कि शर्मिंदा भाजपा ने उन्हें पैनल में नामांकित होने के आठ दिन बाद ही रक्षा पर संसदीय सलाहकार समिति से हटा दिया.

तब से भोपाल की सांसद के लिए यह एक नकारात्मक स्थिति रही है क्योंकि भाजपा उनसे दूरी बनाए रखने की कोशिश कर रही थी. उनके एक करीबी सहयोगी ने बताया कि उनकी तबीयत ठीक नहीं है, “वह मालेगांव बम विस्फोट मामले के सिलसिले में कुछ समय के लिए मुंबई में थी. इस वजह से वह चुनाव प्रचार नहीं कर पाईं. वह अब भोपाल लौट आई हैं, लेकिन चुनाव प्रचार अब लगभग खत्म हो चुका है.”

भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के अनुसार, भोपाल सहित कुछ पार्टी उम्मीदवारों ने पार्टी नेतृत्व से अनुरोध किया था कि वे लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करने वाली ठाकुर के बिना अपने निर्वाचन क्षेत्रों में प्रचार कर सकते हैं. पदाधिकार ने स्वीकार किया, “वह अप्रत्याशित हैं और उनके भाषण वास्तव में राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं. इसी वजह से उनका नाम स्टार प्रचारकों में भी शामिल नहीं किया गया.”

एक अन्य भाजपा नेता ने कहा कि स्टार प्रचारकों की लिस्ट को अंतिम रूप देने के लिए आयोजित बैठकों में से एक के दौरान यह महसूस किया गया कि ठाकुर को सूची में शामिल करना उचित नहीं होगा क्योंकि वह अनावश्यक ध्यान आकर्षित करेंगी. वरिष्ठ नेता ने कहा, “यह पहली बार नहीं है, झाबुआ उपचुनाव के दौरान भी उनका नाम स्टार प्रचार सूची में शामिल नहीं किया गया था.”

सत्तारूढ़ भाजपा ने चुनाव अभियान से ठाकुर की अनुपस्थिति को अधिक महत्व नहीं दिया. भाजपा के राज्य प्रवक्ता हितेश बाजपेयी ने कहा, “सभी नेता चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं. अगर वे वहां नहीं हैं, तो यह कुछ व्यक्तिगत प्रतिबद्धताओं के कारण हो सकता है. पार्टी ने इन पांच चुनावों में सभी नेताओं का उपयोग किया है.”

बीजेपी के एक राज्य पदाधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, “वह बिना सोचे-समझे बोलती हैं और शांत रहने के लिए कहे जाने के बावजूद नहीं सुनती हैं और लगातार ऐसी टिप्पणियां कर रही हैं. उन्हें सूची से बाहर रखे जाने के पीछे की वजह उनकी टिप्पणियां हैं. साथ ही, वो पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करती हैं और हमेशा वीआईपी ट्रीटमेंट की मांग करती हैं और कार्यक्रमों में भी देर से आती है. जिस तरह से वह व्यवहार कर रही हैं, हो सकता है कि उन्हें दोबारा भोपाल से भी मैदान में न उतारा जाए.”

अप्रैल 2019 में ठाकुर ने अपनी टिप्पणी के लिए बहुत नाराज़गी जताई थी कि 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमले में मारे गए महाराष्ट्र एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे की मौत एक “श्राप” के कारण हुई थी, जो उन्होंने उन्हें मालेगांव जांच के दौरान “यातना” देने के बाद दिया था.

बाद में साध्वी ने गोडसे और करकरे संबंधी टिप्पणियों के लिए माफी मांगी थी.

(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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