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Thursday, 25 April, 2024
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भ्रष्ट अधिकारियों की सूची बनाएं, ज्यादा वोटर्स तक पहुंचें – BJP महासचिव संतोष का हरियाणा के लिए नुस्खा

संतोष ने पिछले सप्ताह के अंत में पंचकूला में एक विचार-मंथन सत्र के दौरान राज्य के भाजपा नेताओं से मुलाकात की. इस राज्य में विधानसभा चुनाव अभी 2 साल से अधिक दूर हैं, लेकिन हरियाणा में मई में नगरपालिका चुनाव होने हैं.

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नई दिल्ली: हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने में भले ही दो साल से ज्यादा का बक्त बाकी हो, लेकिन भाजपा यह बात नहीं भूली है कि उसे पिछली बार इस राज्य में बहुमत हासिल करने के लिए दुष्यंत चौटाला के नेतृत्व वाली जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के साथ गठबंधन करना पड़ा था.

अब, इस साल मई में होने वाले नगरपालिका चुनाव और आम आदमी पार्टी (आप) की तरफ से बढ़ती हुई चुनौती के मद्देनजर भाजपा पहले से ही अपने घर की अच्छे से देखभाल के साथ 2024 के चुनाव के लिए कमर कस रही है.

पिछले सप्ताहांत में, पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बी.एल. संतोष ने पंचकुला में एक विचार मंथन सत्र के दौरान राज्य के भाजपा आलाकमान के साथ मुलाकात की, जहां पार्टी के विधायकों और सांसदों ने शासन के ऊपर नौकरशाही के बढ़ते प्रभाव सहित, पार्टी की छवि खराब करने वाले भ्रष्टाचार और हरियाणा से सटे दिल्ली और पंजाब में अपनी जीत के बाद आप के इस राज्य में भी आगे बढ़ने के खतरे सहित अपनी शिकायतों के बारे में खुल कर बातें की.

भाजपा सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि इसके जवाब में संतोष ने पार्टी पदाधिकारियों को भ्रष्ट अधिकारियों की एक सूची तैयार करने का निर्देश दिया ताकि उन पर कार्रवाई शुरू की जा सके. उन्होंने पार्टी सांसदों और विधायकों से कहा कि वे जिला भाजपा प्रमुखों की बातों पर ध्यान दें और उनके साथ जिला टोलियों में भाग लें, ताकि पार्टी के विभिन्न रैंकों के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित किया जा सके. इसके अलावा, हरियाणा के नेताओं को मतदाताओं के साथ अपना सम्पर्क (वोटर आउटरीच) बनाये रखने के लिए प्रोत्साहित किया गया, भले ही विधानसभा चुनाव अभी बहुत दूर हों.


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भ्रष्टाचार, नौकरशाही का सामना करना

पार्टी सूत्रों ने कहा कि मंत्रियों, सांसदों, विधायकों और पार्टी पदाधिकारियों के साथ एक के बाद एक हुई बैठकों में, संतोष ने 2024 के चुनावों के लिए हरियाणा के भाजपा नेताओं को प्रेरित करने की भी कोशिश की.

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इन बैठकों में मौजूद एक विधायक ने दिप्रिंट को बताया कि कई नेताओं ने इस बारे में अपनी चिंता व्यक्त की कि नौकरशाह विधायकों के सुझावों और शिकायतों की अनदेखी करते हैं और केवल मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) की बात पर ही ध्यान देते हैं.

भ्रष्टाचार एक और दुखती रग था. इस विधायक ने आरोप लगाते हुए कहा, ‘कई ऐसे विधायक हैं जिन्होंने व्यक्तिगत रूप से अधिकारियों और ठेकेदारों द्वारा भ्रष्टाचार के मामलों की शिकायत की, लेकिन मामले को सीएमओ के साथ उठाने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई. हमने संतोष जी को स्थिति से अवगत करा दिया है.‘

विशेष बात यह है कि पार्टी सदस्यों के साथ संतोष की बैठकों के बाद, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी इस रविवार को एक जनसभा को संबोधित करते हुए भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया. इस बात पर फिर से बल देते हुए कि उनकी सरकार ने भ्रष्टाचार नीति के प्रति जीरो टॉलरेंस (एकदम बर्दाश्त नहीं करने) वाली नीति का पालन किया, उन्होंने ‘भ्रष्टाचार का काल, मनोहर लाल, मनोहर लाल’ वाले नारे का ऐलान किया. उन्होंने यह भी कहा कि अगर सरकार को किसी भी अधिकारी के भ्रष्ट आचरण में लिप्त होने के बारे में सूचित किया गया, तो वह ‘आधी रात में भी उसे पकड़ लेगी’.

पिछले महीने भी, खट्टर ने चंडीगढ़ में राज्य के शीर्ष अधिकारियों की एक बैठक बुलाई थी और इस मुद्दे पर विपक्ष के द्वारा किये जा रहे हमलों के मद्देनजर भ्रष्टाचार से निपटने के लिए एक उच्चाधिकार प्राप्त पैनल (समिति) के गठन की घोषणा की थी.

संतोष ने अब अपनी तरफ से सभी विधायकों को भ्रष्ट अधिकारियों की सूची तैयार करने को कहा है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि, ‘कार्यकर्ताओं के मनोबल को बनाए रखने के लिए कार्रवाई की जाएगी. वे पार्टी के लिए एक ‘बड़ी संपत्ति’ जैसे हैं और हरियाणा में भाजपा सरकार के लिए एक और कार्यकाल सुनिश्चित करेंगे.‘


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गैर-भाजपा मतदाताओं को आकर्षित करने का आह्वान

हरियाणा के नलवा से भाजपा विधायक रणबीर गंगवा के अनुसार, संतोष ने प्रत्येक विधायक से कहा कि वे इस बारे में अपने अनुभव साझा करें कि वे मतदाताओं से कैसे जुड़ते हैं. गंगवा ने कहा, ‘वह बेहतर समन्वय और संगठन में कमियों को दूर करने के लिए प्रत्यक्ष रूप से मिली जानकारी और अनुभवों को साझा करना चाहते थे.’

अपने वोटर आउटरीच के प्रयासों के बारे में जानकारी साझा करने वालों में फरीदाबाद के बड़कल से भाजपा विधायक सीमा त्रिखा भी शामिल थीं. उन्होंने विस्तार से बताया कि कैसे उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि उद्घाटन कार्यक्रमों के दौरान न केवल पार्टी कार्यकर्ताओं बल्कि उनके अभिभावकों को भी ताजा नारियल भेंट किये जाएं. जाहिर तौर पर, उन्होंने कुछ बुजुर्गों के साथ-साथ उन लोगों के बीच भी नारियल बांटने की नीति रखी है जिन्होंने भाजपा को वोट नहीं दिया था.

संतोष ने इस बात से सहमति जताते हुए कहा, ‘भाजपा का दर्शन लोगों की भलाई के लिए काम करना और सभी को छूने वाला (सर्वस्पर्शी) है … हमें उन लोगों को भी आत्मसात करना होगा जो हमारी पार्टी को वोट नहीं देते हैं. हमें उन वजहों की भी तलाश करनी होगी कि वे भाजपा को वोट क्यों नहीं दे रहे हैं.’

‘पार्टी की संरचना की कोई अनदेखी नहीं होनी चाहिए’

संतोष ने सभी सांसदों और विधायकों को जिला प्रमुखों के साथ समन्वय में काम करने की आवश्यकता पर भी बल दिया.

सांसदों और विधायकों द्वारा जिला प्रमुखों की बात नहीं सुने जाने के कुछ उदाहरणों का हवाला देते हुए, उन्होंने कहा, ‘चाहे वह सांसद हों या मंत्री, सभी को जिला, मंडल प्रमुख के साथ मिलकर काम करना होगा – पार्टी की संरचना (ढांचे) की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए’.

संतोष ने सांसदों और विधायकों को जिला प्रमुख के साथ बेहतर संबंध सुनिश्चित करने और उनसे सीखने के लिए उन्हें अपने घर पर आमंत्रित करने या फिर मिलन समारोह आयोजित करने की सलाह दी.

इसके लिए उन्होंने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ के उदाहरण का उल्लेख किया, जिन्होंने एक ‘जिला टोली’ शुरू की है. यह एक मासिक रूप से आयोजित होने वाला ‘मिलन समारोह’ है जिसमें पार्टी के नेता एवं उनके जिला प्रमुख शामिल होते हैं और जहां वे शासन के मुद्दों पर चर्चा करते हैं तथा अपने काम की समीक्षा करते हैं.

संतोष ने पार्टी के सदस्यों से पूछा कि क्या उन्होंने इस ‘प्रयोग’ के बारे में सुना है और अगर वे इन टोलियों में शामिल हुए हैं तो उनके अनुभव कैसे थे. उन्होंने पार्टी के नेताओं से उन बूथों का दौरा करने का आग्रह किया जहां पार्टी ने पिछली बार अच्छा प्रदर्शन नहीं किया था और उनसे इस बात की समीक्षा के लिए कहा कि क्या वहां भाजपा के बारे में बनी धारणाओं को सुधारने के लिए कुछ किया गया है.

आप के बारे में चिंताएं

कुछ विधायकों ने यह मुद्दा भी उठाया कि आप एक बढ़ती हुई चुनौती है और दिल्ली एवं पंजाब के बाद, पार्टी हरियाणा में भी गंभीर पैठ बनाने की कोशिश करेगी.

एक विधायक, जो मई में होने वाले नगरपालिका चुनावों के बारे में स्पष्ट रूप से चिंतित थे, ने कहा, ‘पहली चुनौती नगरपालिका चुनाव की है, जहां आप पंजाब में अपनी जीत, किसानों के विरोध, बेरोजगारी के मुद्दे के साथ हमारा मुकाबला करेगी. ये मुद्दे स्थानीय निकाय चुनावों को प्रभावित कर सकते हैं.’

हालांकि, भाजपा नेतृत्व आप को किसी तात्कालिक खतरे के रूप में नहीं देखता है. हरियाणा में आप की पिछले आठ साल से मौजूदगी रही है, लेकिन अब तक उसके पास ज्यादा समर्थक नहीं हैं. मगर चिंतित विधायकों का कहना है कि पिछले महीने पंजाब में मिली जीत के बाद चीजें बदल भी सकती हैं. आप हरियाणा के 41 नगर निकायों में अपने चुनाव चिह्न के तहत चुनाव लड़ने की योजना बना रही है. हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर भी इस सोमवार आप में शामिल हो गए, जिससे इसे और बढ़ावा मिला है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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