नई दिल्ली: अडाणी समूह पर दो सीधे सवाल, समूह के स्वामित्व वाले धामरा पोर्ट पर चार, कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट पर पांच, जहां हीरानंदानी समूह के व्यावसायिक हित हैं और एच-एनर्जी पर एक, जो कंपनी की ऊर्जा इकाई है – ये उन 62 में से वह 12 सवाल हैं जिन्हें 2019 में निर्वाचित होने के बाद से तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद महुआ मोइत्रा ने लोकसभा में पूछा है.
15 अक्टूबर को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को लिखे एक पत्र में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने वकील जय अनंत देहाद्राई के आरोपों पर भरोसा करते हुए कहा कि मोइत्रा ने इनमें से कई सवाल हीरानंदानी समूह के इशारे पर “अपने व्यावसायिक हितों की रक्षा करना या उन्हें कायम रखने के इरादे से” पूछे थे.
पश्चिम बंगाल के कृष्णानगर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वालीं मोइत्रा ने आरोपों को खारिज कर दिया है और उन्हें “अपमानजनक, झूठा, निराधार” बताया है.
बिड़ला ने मामले को लोकसभा आचार समिति के पास भेज दिया है, जिसने दुबे और देहाद्राई दोनों को 26 अक्टूबर को अपने सामने पेश होने के लिए बुलाया है.
सीबीआई के पास दायर एक शिकायत में देहाद्राई ने दावा किया है कि मोइत्रा द्वारा पूछे गए लगभग 50 प्रश्न सीधे समूह के सीईओ दर्शन हीरानंदानी के व्यवसाय और व्यक्तिगत हितों से संबंधित हैं.
गुरुवार को दुबई में रहने वाले दर्शन हीरानंदानी ने समिति को एक हलफनामा सौंपा, जिसमें दावा किया गया कि मोइत्रा, जो “मेरी एक करीबी निजी दोस्त रही हैं” ने अपना संसद पोर्टल लॉगिन आईडी और पासवर्ड साझा किया था “ताकि मैं पोस्ट कर सकूं”. आवश्यकता पड़ने पर सीधे उनकी ओर से प्रश्न पूछे जाते हैं.” मोइत्रा ने दर्शन के हलफनामे को “मज़ाक” के रूप में खारिज कर दिया, आरोप लगाया कि यह प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) द्वारा लिखा गया था.
दिप्रिंट ने टीएमसी सांसद द्वारा पूछे गए सभी 62 सवालों की समीक्षा की. ऊपर बताए गए सवालों के अलावा, उनके प्रश्न एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) क्षेत्र, बीमा क्षेत्र पर कोविड के प्रभाव, वायु प्रदूषण, आवारा मवेशी, किसानों को एमएसपी, डेटा सुरक्षा और मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग जैसे विषयों के आसपास घूमते रहे.
यह भी पढ़ें: बाज़ार तो जीत गया, अब अडाणी तय करें कि वे हारेंगे या नहीं
अडाणी और हीरानंदानी पर
अडाणी ग्रुप पर दो सवालों में से एक “अडाणी समूह की कंपनियों में हिस्सेदारी रखने वाले विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के अंतिम लाभकारी स्वामित्व की जानकारी” के बारे में था.
सवाल का जवाब वित्त मंत्रालय ने 19 जुलाई 2021 को दिया, जिसमें सांसद ने यह भी जानना चाहा कि “क्या एफपीआई और/या अडाणी संस्थाएं संदिग्ध लेनदेन के लिए सेबी, आईटी, ईडी, डीआरआई, एमसीए द्वारा जांच के दायरे में हैं”.
दूसरा सवाल जिसमें विशेष रूप से अडाणी का नाम था, का उत्तर नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा 5 अगस्त 2021 को दिया गया क्योंकि यह भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण (एएआई) द्वारा पीपीपी मॉडल के तहत छह हवाई अड्डों को व्यापार समूह की एक शाखा को देने से संबंधित था.
उन्होंने धामरा बंदरगाह पर भी चार सवाल पूछे, जिसे 2014 में अडाणी ग्रुप ने अधिग्रहण कर लिया था.
एक सांसद के रूप में अपने पहले सवाल में, जिसका उत्तर 8 जुलाई 2019 को दिया गया था, मोइत्रा ने गेल और IOCL द्वारा पारादीप के बजाय धामरा में गैस टर्मिनल स्थापित करने के लिए अडाणी ग्रुप के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के पीछे का कारण जानना चाहा, जिस पर शुरुआत में विचार भी किया गया था.
हीरानंदानी समूह की सहायक कंपनी एच-एनर्जी ने 2016 में पश्चिम बंगाल के कोंटाई से ओडिशा के पारादीप बंदरगाह तक प्राकृतिक गैस पाइपलाइन के निर्माण और प्रबंधन के लिए बोलियां जीती थीं.
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने जवाब दिया कि इतनी निकटता में दो एलएनजी टर्मिनल स्थापित करना व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य नहीं होगा, उन्होंने कहा कि गेल-आईओसीएल-अडानी समझौता ज्ञापन भी समाप्त हो गया है और सरकार ने परियोजना पर कोई पूंजीगत व्यय नहीं किया है.
उनका दूसरा प्रश्न, जिसका उत्तर 18 नवंबर 2019 को दिया गया, वह भी धामरा बंदरगाह पर था. उन्होंने, “गेल और आईओसीएल ने एक निजी इकाई से संबंधित धामरा एलएनजी टर्मिनल में क्षमता बुक करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं” और इससे संबंधित विवरण की जानकारी मांगी थी.
एच-एनर्जी का उल्लेख उनके एक प्रश्न में भी मिलता है, जहां उन्होंने यह जानना चाहा था कि क्या कंपनी, आईओसीएल और गेल को पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस नियामक बोर्ड (पीएनजीआरबी) द्वारा पश्चिम बंगाल के माध्यम से बांग्लादेश सीमा तक प्राकृतिक गैस पाइपलाइन बनाने की मंजूरी दी गई थी.
विदेश मंत्रालय ने 4 अगस्त, 2021 को लोकसभा में जवाब दिया, “पीएनजीआरबी ने कनाई छाता (पश्चिम बंगाल) से निकलने वाली और श्रीरामपुर (पश्चिम बंगाल) में बांग्लादेश सीमा के पास समाप्त होने वाली प्राकृतिक गैस पाइपलाइन बिछाने, निर्माण, संचालन या विस्तार के लिए हुगली पाइपलाइन प्राइवेट लिमिटेड (जिसे पहले एच-एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड के नाम से जाना जाता था) को जुलाई 2019 में प्राधिकरण प्रदान किया है.”
इसमें कहा गया है, “इसके अलावा, पीएनजीआरबी ने जगदीशपुर-हल्दिया-बोकारो-धामरा पाइपलाइन (जेएचबीडीपीएल) के लिए गेल को जारी केंद्र सरकार की मंजूरी स्वीकार कर ली है, जो पश्चिम बंगाल को भी कवर करती है.”
कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट, केंद्र सरकार के अधीन एक स्वायत्त निकाय, उनके प्रश्नों में एक और लगातार आने वाला विषय है.
फरवरी 2021 में कोलकाता बंदरगाह ने एलएनजी टर्मिनल के निर्माण के लिए हीरानंदानी समूह के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे. बंदरगाह पर उनके सवाल इसके राजस्व और कार्गो-हैंडलिंग क्षमता से लेकर भविष्य की विकास योजनाओं तक थे.
दुबे और देहाद्राई ने कई अन्य प्रश्न सूचीबद्ध किए हैं, उनका दावा है कि वे भी कथित तौर पर हीरानंदानी समूह द्वारा निर्देशित किए गए थे, लेकिन उनमें से कई सवालों का अडाणी ग्रुप या हीरानंदानी समूह से कोई स्पष्ट संबंध नहीं है.
उदाहरण के लिए भारत में प्रदान की जाने वाली दूरसंचार सेवा की गुणवत्ता पर एक प्रश्न देहाद्राई द्वारा उसी श्रेणी में रखा गया है, जिसमें हीरानंदानी समूह की अपनी कंपनी योट्टा के माध्यम से डेटा क्षेत्र में उपस्थिति का हवाला दिया गया है.
‘PMO ने सिर पर तानी बंदूक’
गुरुवार शाम को जारी एक प्रेस बयान में मोइत्रा ने दर्शन हीरानंदानी की आचार समिति के समक्ष प्रस्तुतिकरण पर सवाल उठाया और सुझाव दिया कि उन्हें इसे प्रस्तुत करने के लिए मजबूर किया गया था.
उन्होंने कहा, “पीएमओ ने दर्शन और उनके पिता के सिर पर बंदूक तान दी और उन्हें भेजे गए इस पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए 20 मिनट का समय दिया.”
सांसद ने कहा, “दर्शन को सभी कारोबारों को पूरी तरह से बंद करने की धमकी दी गई थी. उनके पिता रियल एस्टेट में हैं, जो सरकारी लाइसेंस पर निर्भर है और वह ऊर्जा, डेटा सेंटर और सेमीकंडक्टर चिप निर्माण में हैं, जो भी सरकारी लाइसेंस पर निर्भर है. अकेले यूपी में उनका 30,000 करोड़ से अधिक का निवेश है.”
मोइत्रा ने कहा, “उन्हें बताया गया कि वे समाप्त हो जाएंगे, सीबीआई उन पर छापा मारेगी और सभी सरकारी कारोबार बंद कर दिए जाएंगे और सभी पीएस (सार्वजनिक क्षेत्र) बैंकों का वित्तपोषण तुरंत रोक दिया जाएगा. इस पत्र का मसौदा पीएमओ द्वारा भेजा गया था और उन्हें इस पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया था.”
(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: मोदी, नेहरू के ‘ग्लोबल साउथ’ को वापस लाए हैं, लेकिन यह भूगोल, भू-राजनीति, अर्थशास्त्र पर खरा नहीं उतरता