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Wednesday, 6 November, 2024
होमराजनीति'बागी विधायक आएं, मांग उठाएं तो CM पद छोड़ दूंगा', महाराष्ट्र में गहराते संकट पर बोले उद्धव ठाकरे

‘बागी विधायक आएं, मांग उठाएं तो CM पद छोड़ दूंगा’, महाराष्ट्र में गहराते संकट पर बोले उद्धव ठाकरे

ठाकरे ने कहा, 'अगर कोई विधायक चाहता है कि मैं मुख्यमंत्री नहीं रहूं, तो मैं अपना सारा सामान वर्षा बंगले (सीएम का आधिकारिक आवास) से मातोश्री ले जाने के लिए तैयार हूं.'

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मुंबई: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, जिनकी सरकार पार्टी के भीतर विद्रोह के कारण संकट का सामना कर रही है, ने बुधवार को कहा कि वह पार्टी विधायकों को अपना इस्तीफा देने के इच्छुक हैं जो इसे राजभवन ले जा सकते हैं.

फेसबुक पर लोगों को संबोधित करने वाले ठाकरे ने कहा कि अगर पार्टी कार्यकर्ताओं की मांग है तो वह पार्टी प्रमुख का पद छोड़ने को भी तैयार हैं. यह उल्लेख करते हुए कि पार्टी के विधायकों का एक वर्ग उन्हें हटाने के लिए गोलियां चला रहा था, उन्होंने कहा कि सूरत जाने के बजाय, वे अपनी भावनाओं को उन्हें बता सकते थे. ठाकरे ने कहा कि अगर ‘एक भी विधायक’ उनके खिलाफ है तो यह उनके लिए शर्म की बात है.

शिवसेना के नेतृत्व वाली सरकार के सामने संकट बुधवार को और गहरा गया जब पार्टी नेता और राज्य के कैबिनेट मंत्री एकनाथ शिंदे ने दावा किया कि उनके पास छह से सात निर्दलीय विधायकों सहित 46 विधायकों का समर्थन है.

ठाकरे ने कहा कि वह पार्टी विधायकों की मांग पर ही इस्तीफा देने को तैयार हैं.

ठाकरे ने कहा, ‘अगर कोई विधायक चाहता है कि मैं मुख्यमंत्री नहीं रहूं, तो मैं अपना सारा सामान वर्षा बंगले (सीएम का आधिकारिक आवास) से मातोश्री ले जाने के लिए तैयार हूं.’

उन्होंने कहा, ‘मैं विधायकों को अपना इस्तीफा देने के लिए तैयार हूं, वे यहां आएं और मेरा इस्तीफा राजभवन ले जाएं. मैं शिवसेना पार्टी प्रमुख का पद भी छोड़ने को तैयार हूं, दूसरों के कहने पर नहीं बल्कि अपने कार्यकर्ताओं के कहने पर.’

ठाकरे ने कहा कि यह संख्या के बारे में नहीं है, लेकिन कितने उनके खिलाफ हैं और अगर एक भी व्यक्ति या विधायक उनके खिलाफ है तो वह चले जाएंगे.

उन्होंने कहा, ‘यदि आप (विधायक) कहते हैं, तो मैं सीएम पद छोड़ने के लिए तैयार हूं. यह संख्या के बारे में नहीं है, लेकिन कितने मेरे खिलाफ हैं. अगर एक भी व्यक्ति या विधायक मेरे खिलाफ है तो मैं छोड़ दूंगा. यह मेरे लिए बहुत शर्मनाक है अगर यहां तक ​​​​कि एक भी विधायक मेरे खिलाफ है.’

सत्तारूढ़ महा विकास अघाड़ी गठबंधन का जिक्र करते हुए, जिसमें शिवसेना के अलावा कांग्रेस और एनसीपी शामिल हैं, ठाकरे ने कहा कि जब 2019 में तीनों दल एक साथ आए, तो एनसीपी नेता शरद पवार ने उनसे कहा कि उन्हें सीएम पद की जिम्मेदारी लेनी होगी.

उन्होंने कहा कि पवार और सोनिया गांधी ने उनकी बहुत मदद की और उन पर अपना विश्वास बनाए रखा.

उन्होंने कहा, ‘मेरे पास पहले का अनुभव भी नहीं था. लेकिन मैंने जिम्मेदारी ली. शरद पवार और सोनिया गांधी ने मेरी बहुत मदद की, उन्होंने मुझ पर अपना विश्वास बनाए रखा.’

उन्होंने कहा, ‘लेकिन जब मेरे अपने लोग (विधायक) मुझे नहीं चाहते हैं तो मैं क्या कह सकता हूं. अगर उनके पास मेरे खिलाफ कुछ था, तो सूरत में यह सब कहने की क्या जरूरत थी, वे यहां आकर मेरे चेहरे के सामने यह कह सकते थे.’

उन्होंने कहा कि लोगों का स्नेह ‘असली संपत्ति’ है, उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का पद ‘आएगा और जाएगा’, और वह  भाग्यशाली थे कि ‘लोगों से बहुत स्नेह’ मिला.

‘मुख्यमंत्री पद आते हैं और जाते हैं लेकिन असली संपत्ति लोगों का स्नेह है. पिछले 2 वर्षों में, मैं भाग्यशाली रहा कि मुझे लोगों से बहुत स्नेह मिला.’

ठाकरे ने कहा कि वह पिछले कुछ महीनों में अपनी स्वास्थ्य स्थिति के कारण लोगों से नहीं मिल सके, लेकिन अब ऐसा कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘यह सच है कि मैं अपनी सर्जरी और स्वास्थ्य की स्थिति के कारण पिछले कुछ महीनों में लोगों से नहीं मिल सका. लेकिन अब, मैंने लोगों से मिलना शुरू कर दिया है.’

पार्टी के बागियों पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि शिवसेना की जड़ें हिंदुत्व में हैं और यह वही पार्टी है जो उसके संस्थापक बालासाहेब ठाकरे द्वारा चलाई गई थी.

उन्होंने कहा, ‘कुछ लोग कहते हैं कि यह बालासाहेब की शिवसेना नहीं है. उन्हें बताना चाहिए कि बालासाहेब के विचार क्या थे. यह वही शिवसेना है जो उनके समय में ‘हिंदुत्व’ हमारा जीवन है’ थी.

शिवसेना ने इससे पहले पार्टी विधायकों को एक पत्र जारी कर उन्हें शाम 5 बजे बैठक में उपस्थित होने के लिए कहा था, जिसमें कहा गया था कि जो उपस्थित नहीं होंगे उन्हें पार्टी से बाहर माना जाएगा.

सत्ताधारी गठबंधन पर राजनीतिक संकट आने के बाद यह अल्टीमेटम जारी किया गया था.

एकनाथ शिंदे ने बुधवार को कहा कि उनके साथ जो संख्या है व बढ़ेगी.

शिंदे ने एएनआई से फोन पर कहा, ‘अभी हमारे पास 46 विधायक हैं, जिनमें 6-7 निर्दलीय विधायक हैं. आने वाले समय में यह संख्या और बढ़ेगी. अभी तक हमें न तो भाजपा से कोई प्रस्ताव मिला है और न ही हम उनसे कोई बातचीत कर रहे हैं.’

संकट को खत्म करने के लिए गठबंधन के तीन सहयोगी दलों कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना द्वारा बैक-टू-बैक बैठकें की जा रही हैं.

शिवसेना के मुख्य सचेतक सुनील प्रभु ने पार्टी के सभी विधायकों को एक पत्र जारी कर आज शाम को होने वाली एक महत्वपूर्ण बैठक में उपस्थित रहने को कहा था.

पत्र में चेतावनी दी गई है कि यदि कोई विधायक बिना उचित कारण और पूर्व सूचना के बैठक से अनुपस्थित रहता है तो संवैधानिक प्रावधानों के तहत उनकी सदस्यता रद्द करने की कार्रवाई शुरू की जाएगी.

एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में बागी विधायक बुधवार सुबह भाजपा शासित असम के गुवाहाटी के एक लग्जरी होटल में पहुंचे हैं.


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