पुणे: महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और भारतीय जनता पार्टी ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) तथा केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) का महत्व घटा दिया है.
उन्होंने केंद्र सरकार पर प्रहार करते हुए कहा कि हालांकि उसने एक अलग सहकारिता मंत्रालय बनाया है और इसका अतरिक्त प्रभार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को सौंपा है, जो सहकारिता आंदोलन के बारे में कुछ नहीं जानते हैं.
पटोले ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘ईडी और सीबीआई देश की शीर्ष जांच एजेंसियां हैं, लेकिन मोदी सरकार और भाजपा ने उन्हें महत्वहीन बना दिया है. कोई भी अब उनकी परवाह नहीं करता। उनका महत्व केंद्र सरकार ने घटा दिया है.’
उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस नेता मुकुल रॉय ईडी की निगरानी के दायरे में थे, लेकिन भाजपा में शामिल होने के बाद उन्हें पाक-साफ करार दे दिया गया था, हालांकि अन्य पार्टियों के नेताओं को भ्रष्ट बताया गया.
रॉय कुछ साल पहले भाजपा में शामिल हो गये थे लेकिन वह हाल में तृणमूल कांग्रेस में लौट आए हैं.
पटोले ने ईंधन की कीमतों में वृद्धि और बेरोजगारी सहित अन्य मुद्दों को लेकर भी केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा, ‘हमने (कांग्रेस ने) महंगाई और मोदी सरकार के विनाशकारी एजेंडा के खिलाफ राज्यव्यापी आंदोलन शुरू किया है. आंदोलन 17 जुलाई तक चलेगा.’
महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष के लंबित चुनाव पर उन्होंने कहा, ‘मॉनसून सत्र का आयोजन करना जरूरी था, लेकिन महामारी की स्थिति पर विचार करते हुए इसे संक्षिप्त रखना भी जरूरी था. इसलिए, संक्षिप्त अवधि में चुनाव कराना संभव नहीं था.’
हालांकि, उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव जल्द ही विधानसभा के एक विशेष सत्र में कराया जाएगा.
उन्होंने कहा, ‘महाराष्ट्र सरकार ने विधानसभा में कृषि, सहकारिता और खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति से संबधित तीन विधेयक पेश करने का फैसला किया है. हमने किसानों जैसे हितधारकों से भी सुझाव मांगे हैं. जब हमें सुझाव मिल जाएंगे, तब हम विशेष सत्र का आयोजन करेंगे और उस वक्त विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव भी करा सकते हैं.’
राज्य विधानसभा का दो दिवसीय मॉनसून सत्र इस हफ्ते की शुरूआत में हुआ था.
केंद्रीय मंत्रिपरिषद में फेरबदल से एक दिन पहले मोदी सरकार ने सहकारिता के लिए एक अलग मंत्रालय सृजित किया था, जिसका जिक्र करते हुए पटोले ने आरोप लगाया, ‘केंद्र सरकार अब देश को बेचने के लिए तैयार है. उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र के ज्यादातर उपक्रमों का निजीकरण करने की घोषणा की है. मैं इस बारे में टिप्पणी नहीं कर सकता कि सहकारिता मंत्रालय क्या करेगा. लेकिन जो व्यक्ति (अमित शाह) इसका नेतृत्व कर रहे हैं, वह सहकारिता आंदोलन के बारे में कुछ नहीं जानते हैं. यह सहकारिता क्षेत्र को बर्बाद करने का कदम साबित हो सकता है या फिर उनका कोई और लक्ष्य होगा, समय ही बताएगा कि उनके दिमाग में क्या है.’