नई दिल्ली: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के 41 दिन बाद एकनाथ शिंदे ने मंगलवार को अपने दो सदस्यीय मंत्रिमंडल का विस्तार किया. शिवसेना के बागी गुट और भारतीय जनता पार्टी के नौ-नौ सदस्यों को इसमें जगह दी गयी है.
मंत्रिमंडल में किसी भी महिला को शामिल नहीं किया गया है, जिसकी नेताओं और महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने आलोचना की है.
राज्य में भाजपा की 12 महिला विधायक हैं. शिंदे गुट में दो महिला विधायक हैं तथा उसे एक निर्दलीय महिला विधायक का समर्थन भी हासिल है. महाराष्ट्र में कुल 28 महिला विधायक हैं.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की सांसद सुप्रिया सुले ने कहा, ‘महाराष्ट्र महिलाओं को आरक्षण देने वाला देश का पहला राज्य है. जब भारत की 50 फीसदी आबादी महिलाओं की है, तब भी उन्हें राज्य मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया. यह भाजपा की मानसिकता को दिखाता है.’
भाजपा की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल समेत 18 विधायकों ने दक्षिण मुंबई में राज भवन में कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ ली. इसके साथ ही महाराष्ट्र के मंत्रिमंडल में सदस्यों की संख्या अब 20 हो गयी है, जो अधिकतम 43 सदस्यों की संख्या से आधी से भी कम है.
पहले ही विस्तार में, भाजपा और विद्रोही शिवसेना समूह ने नौ मंत्रियों को शामिल किया.
मंत्रिमंडल पर नजर
भाजपा के पास 106 विधायक हैं, जबकि शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना खेमे के पास 40 हैं. इसके अलावा, सरकार के पास 10 और निर्दलीय और फ्रिंज पार्टियों के विधायकों का समर्थन है.
राजनीतिक विश्लेषक हेमंत देसाई ने दिप्रिंट को बताया कि पहले विस्तार विशेष रूप से संजय राठौड़ को शामिल करने में समान शक्ति की साझेदारी से पता चलता है कि सीएम शिंदे बीजेपी के साथ अपनी बातचीत में कामयाब रहे.
देसाई ने कहा, ‘देवेंद्र फडणवीस, प्रवीण दरेकर, और चित्रा वाघ जैसे भाजपा नेताओं ने एमवीए कैबिनेट से राठौड़ की बर्खास्तगी के लिए जोरदार प्रचार किया और इसे नैतिकता का सवाल बना दिया. उनके शामिल होने से पता चलता है कि शिंदे को अपना रास्ता मिल गया था.’
उन्होंने कहा कि विदर्भ के यवतमाल जिले में बंजारा समुदाय राठौड़ का एक मजबूत अनुयायी है और ‘शिंदे के लिए विदर्भ में अपने प्रभाव का विस्तार करने के लिए ह उपयोगी होगा जो अब तक नगण्य है.’
राठौड़ को 2021 में ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए कैबिनेट से मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था, जब भाजपा ने आरोप लगाया था कि वह पुणे में टिकटोक स्टार पूजा चव्हाण की मौत में शामिल थे.
पिछले महीने शिंदे ने राठौड़ का बचाव करते हुए कहा था कि पुलिस ने उन्हें मामले में क्लीन चिट दे दी है. भाजपा नेता चित्रा वाघ ने हालांकि राठौड़ को कैबिनेट में शामिल करने के फैसले का विरोध किया था.
शिंदे के मंत्रिमंडल में दूसरा विवादास्पद नाम अब्दुल सत्तार है. उद्धव के नेतृत्व वाली पूर्व कैबिनेट में एक कनिष्ठ मंत्री के रूप में, इन्होंने शिंदे खेमे में शामिल होने के लिए अपना पद छोड़ दिया था, सत्तार के बच्चों पर शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) के परिणाम में हेराफेरी के आरोप लग रहे हैं.
शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना से शपथ लेने वाले नौ मंत्रियों में से चार – गुलाबराव पाटिल, उदय सामंत, संदीपन भुमारे और दादा भुसे –पहले की एमवीए सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं. मंगलवार को शामिल किए गए दो अन्य – अब्दुल सत्तार और शंभूराज देसाई भी राज्य मंत्री रहे थे.
शिंदे खेमे के तीन मंत्री एमवीए सरकार में पहले जूनियर या कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। मंगलवार को शामिल किए गए दीपक केसरकर 21 जून को विद्रोह के पहले दिन से शिंदे समूह के प्रवक्ता हैं। तानाजी सावंत 2014-19 देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाले शिवसेना मंत्री के रूप में कैबिनेट का हिस्सा थे, जबकि संजय राठौड़ 2021 में अपने इस्तीफे तक एमवीए कैबिनेट का हिस्सा थे.
शिंदे ने 30 जून को मुख्यमंत्री पद की और देवेंद्र फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी.
भाजपा की ओर से मंत्रिमंडल में शामिल सदस्यों में राधाकृष्ण विखे पाटिल, सुधीर मुन्गंतीवार, चंद्रकांत पाटिल, विजयकुमार गावित, गिरीश महाजन, सुरेश खडे, रवींद्र चह्वाण, अतुल सावे और मंगलप्रभात लोढा हैं.
शिंदे गुट से मंत्री पद की शपथ लेने वाले सदस्यों में गुलाबराव पाटिल, दादा भुसे, संजय राठौड़, संदीप भुमरे, उदय सामंत, तानाजी सावंत, अब्दुल सत्तार, दीपक केसरकर और शंभुराज देसाई शामिल हैं.
शिंदे के एक सहायक ने बताया कि किसी राज्य मंत्री ने आज शपथ नहीं ली. बाद में फिर मंत्रिमंडल विस्तार होगा.
भाजपा ने मुंबई से लोढा को शामिल किया है जबकि शिंदे गुट ने वहां से किसी विधायक को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया. मुंबई महानगरपालिका के चुनाव इस साल होने हैं.
नए मंत्रियों में शिंदे समूह के विधायक संजय राठौड़ शामिल हैं जो उद्धव ठाकरे की सरकार में वन मंत्री थे तथा भाजपा द्वारा एक महिला की आत्महत्या के लिए आरोप लगाए जाने के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था.
भाजपा की प्रदेश उपाध्यक्ष चित्रा वाग ने राठौड़ को मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने का विरोध किया. उन्होंने आरोप लगाया, ‘यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि महिला की मौत के लिए जिम्मेदार पूर्व मंत्री संजय राठौड़ को फिर से मंत्री पद दिया गया है. मैं राठौड़ के फिर से मंत्री बनने के बावजूद उनके खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखूंगी.’
भाषा और मानसी फडके के इनपुट्स के साथ
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