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Thursday, 19 December, 2024
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टिकट न मिलने से नाराज विधायक का आरोप, भाजपा ने करोड़ों में टिकट बेचे

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टीकमगढ़ से भाजपा विधायक केके श्रीवास्तव ने पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा पर चुनाव में पैसा लेकर टिकट बेचने का आरोप लगाया है. भाजपा ने कहा, गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं.

नई दिल्ली: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए टिकट बंटवारे के बाद भाजपा में घमासान छिड़ गया है. भाजपा उम्मीदवारों की पहली सूची जारी होने के बाद सत्ताधारी पार्टी के ही नेता खुलकर विरोध में आ गए हैं. भाजपा के ही टीकमगढ़ से विधायक केके श्रीवास्तव ने पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा पर दो से चार करोड़ रुपये लेकर टिकट ​बेचने का आरोप लगाया है.

केके ​श्रीवास्तव ने दिप्रिंट से फोन पर बताया, ‘हमने वही कहा है जो यहां टीकमगढ़ में चर्चाएं चल रही हैं. लोग यही कह रहे हैं कि यह बिका हुआ टिकट है. आप आकरके ​टीकमगढ़ के लोगों से पूछ सकते हैं. यहां पर नगरपालिका का भी टिकट खरीदा गया था.’

​पार्टी से टिकट न मिलने पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए श्रीवास्तव ने कहा, ‘2013 का चुनाव हमने जीता था. लेकिन जिस व्यक्ति ने कांग्रेस के साथ खुलकर मेरा विरोध किया, उसे पार्टी ने टिकट दिया है. पार्टी कह रही कि सर्वे के आधार पर टिकट बांटे गए हैं, लेकिन जो हारा हुआ प्रत्याशी है, जिसका कोई काम नहीं है, उसे टिकट दिया गया है.’


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टीकमगढ़ जिले से भाजपा ने दो मौजूदा विधायकों के टिकट काटे हैं. टीकमगढ़ शहर से विधायक केके श्रीवास्तव और पृथ्वीपुर से अनीता यादव. टीकमगढ़ से केके अग्रवाल की जगह राकेश गिरि को और पृथ्वीपुर अनीता यादव की जगह अभय यादव को उम्मीदवार बनाया गया है.

केके श्रीवास्तव ने आरोप लगाया, ‘जिस प्रत्याशी को टिकट दिया है, वे पहले ही कह रहे थे कि जितने में टिकट मिलेगा, उतने में खरीदेंगे. एक करोड़ का मिले या चार करोड़ का. यह चर्चा पूरे क्षेत्र में है. पार्टी चाहे तो खुद ही इसकी जांच कर सकती है. पार्टी में पैसे के दम पर टिकट बंटवारा हुआ है.

श्रीवास्तव के आरोपों का जवाब देते हुए भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने दिप्रिंट से कहा, ‘मनमाफिक निर्णय न होने पर भावावेश में कोई कुछ भी बोल सकता है. लेकिन उसे उतनी गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं है. हमारी पार्टी का नेतृत्व उनसे बातचीत करेगा.’ केके श्रीवास्तव के आरोप को लेकर प्रभात झा से संपर्क करने का प्रयास किया गया, मगर वे बात करने के लिए उपलब्ध नहीं हो सके.

श्रीवास्वव ने शनिवार को संवाददाता सम्मेलन बुलाकर कहा था कि टीकमगढ़ जिले में टिकट बेचे गए हैं. भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा ने दो से चार करोड़ रुपये लेकर बदले में टिकट बेचे हैं. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चाहें तो जिले में सर्वेक्षण करवा कर देख ले, सब कुछ सामने आ जाएगा.

क्या आप फिर भी चुनाव लड़ेंगे, इस सवाल पर श्रीवास्तव ने कहा, ‘हम अपने समर्थकों और जनता से राय लेकर आगे का फैसला लेंगे. हम भाजपा के लिए काम करते रहे हैं, हम एक दो सीट गंवा कर भी पार्टी को बचाने का काम करेंगे.’

भाजपा ने मध्य प्रदेश में अभी उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की है. इसमें 176 नाम हैं. पहले इसमें 177 नाम थे, लेकिन कुछ घंटे बाद इसमें संशोधन कर दिया गया. 176 प्रत्याशियों में से चार मंत्री और 33 विधायक ऐसे हैं जिनको टिकट नहीं दिया गया है.

शिवराज सरकार की कैबिनेट में नगरीय प्रशासन मंत्री माया सिंह, वन मंत्री गौरीशंकर शेजवार, सूर्यप्रकाश मीणा और मंत्री हर्ष सिंह को टिकट नहीं दिया गया है. गौरीशंकर और हर्ष सिंह की जगह उनके बेटों को टिकट दिया गया है. पार्टी ने कई ऐसे प्रत्याशियों को मौका दिया है जो 2013 में चुनाव हार गए थे. इसके अलावा भाजपा ने व्यापम घोटाले के आरोपी व पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा के भाई उमाकांत को भी सिरोंज विधानसभा से टिकट दिया है.


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गौरतलब है कि टिकट नहीं मिलने से नाराज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साले साले सिंह ने भी पहली सूची जारी होने के बाद भाजपा छोड़कर कांग्रेस ज्वाइन कर लिया. कांग्रेस ज्वाइन करने के बाद उन्होंने जमकर कांग्रेस और कमलनाथ की तारीफ करते हुए कहा कि अब मध्य प्रदेश को शिवराज की नहीं, कमलनाथ ​की जरूरत है.

230 सीटों वाली विधानसभा के लिए 176 नामों की पहली लिस्ट जारी होने के बाद भाजपा के कई दिग्गज नेताओं के लिए अब टिकट पाने की संभावना खत्म हो गई है. इसके चलते ऐसे नेता और उनके समर्थकों में गुस्सा है.

सरदारपुर से विधायक वेल सिंह भूरिया भी अपने समर्थकों के साथ 25 गाड़ियों में भरकर मुख्यमंत्री आवास पर पहुंचे और हंगामा किया. इसी तरह भाजपा नेता बाबूलाल गौर की सीट गोविंदपुरा पर अभी नाम की घोषणा नहीं हुई है. गौर को आशंका है कि उनका टिकट काटा जा सकता है. इसे लेकर नाराज गौर समर्थकों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के आवास पर हंगामा भी कर चुके हैं.

एक तरफ 15 साल के शासन से उपजी सत्ता विरोधी लहर तो दूसरी तरफ बड़ी संख्या में भाजपा के विधायकों को टिकट नहीं मिलने से पार्टी को अंदरूनी कलह से निपटने की चुनौती होगी.

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