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Tuesday, 29 July, 2025
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‘1962 के बाद सबसे कम’: मोदी सरकार में रक्षा बजट घटने पर कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने जताई चिंता

रोहतक से सांसद ने रक्षा बजट बढ़ाने की मांग की और कहा कि सेना को आधुनिक हथियार और फाइटर जेट मिलने चाहिए.

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गुरुग्राम: ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम आतंकी हमले पर लोकसभा में बहस के दौरान कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने चिंता जताई कि देश की जीडीपी के मुकाबले रक्षा बजट लगातार घट रहा है.

हुड्डा ने बताया कि साल 2025-26 के लिए रक्षा क्षेत्र को 6.81 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो पिछले साल के मुकाबले 9.5% की बढ़ोतरी है, लेकिन यह अब सिर्फ जीडीपी का 1.9% रह गया है, जबकि एक दशक पहले यह 2.5% था.

उन्होंने 11 साल में रक्षा बजट में गिरावट के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को जिम्मेदार ठहराया.

हुड्डा ने रक्षा बजट में तत्काल बढ़ोतरी की मांग करते हुए कहा कि सेना को आधुनिक हथियारों और लड़ाकू विमानों से लैस किया जाना चाहिए.

उन्होंने वायुसेना की घटती ताकत पर चिंता जताते हुए कहा कि उसकी फ्लीट अब स्वीकृत 42 स्क्वाड्रनों से भी नीचे आ चुकी है. हुड्डा ने सरकार से विपक्ष के सुझाव अपनाने की अपील की, “लड़ाई में नहीं, बल्कि हादसों में ज्यादा पायलट मारे जा रहे हैं, हरियाणा के दो पायलट छह महीनों में तीन दुर्घटनाओं में मारे गए.”

उन्होंने पूछा, “सेना ने तो अपना काम किया (ऑपरेशन सिंदूर में), लेकिन क्या सत्ताधारी पार्टी ने अपना काम किया?”

हुड्डा ने सेना के उपप्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल राहुल सिंह का हवाला देते हुए कहा कि जनवरी 2025 तक जिन रक्षा उपकरणों की आपूर्ति होनी थी, वो अब तक नहीं आई हैं, जिससे यह साफ है कि देश अभी भी दूसरों पर निर्भर है.

दीपेंद्र हुड्डा ने कहा, “अगर पर्याप्त संसाधन होते, तो ऑपरेशन सिंदूर का नतीजा कुछ और हो सकता था.”

उन्होंने वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह के उस बयान का भी हवाला दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि एक भी प्रोजेक्ट समय पर पूरा नहीं हुआ है. हुड्डा ने इसे संसद की स्थायी समिति की रिपोर्टों को नज़रअंदाज करने का उदाहरण बताया.

रोहतक सांसद ने मोदी सरकार की विदेश नीति पर भी सवाल उठाए और 10 मई को ऑपरेशन सिंदूर में अचानक हुए संघर्ष विराम की पृष्ठभूमि को याद किया.

उन्होंने कहा, “देश को सही जवाब की उम्मीद थी, लेकिन अमेरिका के राष्ट्रपति के एक ट्वीट ने ऑपरेशन खत्म करवा दिया.” हुड्डा ने डोनाल्ड ट्रंप की 28 टिप्पणियों का ज़िक्र किया, जिसमें ट्रंप ने व्यापारिक धमकियों के जरिए संघर्ष विराम कराने की बात कही थी.

हुड्डा ने कहा, “मुद्दा आतंकवाद से हटकर व्यापार पर आ गया. ट्रंप ने पांच विमान दुर्घटनाओं और कश्मीर मुद्दे के अंतरराष्ट्रीयकरण की बात की और हमारे प्रधानमंत्री ने इसका कभी खंडन नहीं किया. डोनाल्ड को चुप कराओ, डोनाल्ड का मुंह बंद कराओ या फिर हिंदुस्तान में मैकडॉनल्ड्स को बंद कराओ.”

हुड्डा ने कहा कि पाकिस्तान को इसके बदले अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और एडीबी से कर्ज़ मिल गया.

उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि एक डकैत को थाने का प्रभारी बना दिया गया.” उन्होंने यह टिप्पणी पाकिस्तान के 2025 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की तालिबान प्रतिबंध समिति की अध्यक्षता और आतंकवाद-रोधी समिति की उपाध्यक्षता को लेकर की थी.

कांग्रेस सांसद ने मोदी सरकार की इस बात पर भी आलोचना की कि वह पाकिस्तान को FATF (फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स) की ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने से नहीं रोक सकी, जबकि यूपीए सरकार ने 2011 में ऐसा कर दिखाया था.

हुड्डा ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन द्वारा पाकिस्तान को दिए समर्थन की याद दिलाई और विदेश मंत्री एस. जयशंकर पर निशाना साधा, जो हाल ही में चीन गए थे और वहां शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की अध्यक्षता चीन को सौंपने का समर्थन किया.

सांसद ने पूछा, “जब पाकिस्तान के सेना प्रमुख व्हाइट हाउस में लंच कर रहे थे और चीन-बांग्लादेश-पाकिस्तान के बीच त्रिपक्षीय बैठक हो रही थी, तब भारत की आवाज़ कहां थी?” उन्होंने यह भी दावा किया कि पाकिस्तान के 81% और बांग्लादेश के 72% हथियार चीन से आते हैं.

हुड्डा ने अमेरिका के दबाव के बावजूद 1971 के बांग्लादेश युद्ध और 1998 के परमाणु परीक्षणों के समय भारत की सख्त नीति को याद किया और वर्तमान सरकार की “हाथ धो लेने की नीति” की आलोचना की.

कांग्रेस सांसद ने मोदी सरकार से जवाबदेही की मांग करते हुए कहा, “सरकार को यह बताना चाहिए कि भारत के साथ कौन खड़ा था—जिन्हें कभी मित्र कहा जाता था, उन्होंने अब हाथ खींच लिए हैं.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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