नई दिल्ली: लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के चिराग पासवान की अगुवाई वाले धड़े ने मंगलवार को पांच असंतुष्ट पार्टी सांसदों को निष्कासित कर दिया, वहीं उनके चाचा पशुपति कुमार पारस के नेतृत्व वाले गुट ने चिराग को पार्टी अध्यक्ष पद से हटा दिया.
एक दिन पहले ही लोकसभा सचिवालय ने पारस को सदन में लोजपा के नेता के तौर पर मान्यता दी थी. इसके बाद दोनों धड़ों ने आनन-फानन में पार्टी पर नियंत्रण पाने की कोशिशें तेज कर दीं. पारस पार्टी संस्थापक दिवंगत राम विलास पासवान के सबसे छोटे भाई हैं.
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पार्टी मां समान उसके साथ ‘विश्वासघात’ नहीं किया जाना चाहिए: चिराग
अपने चाचा पशुपति कुमार पारस द्वारा लोकसभा में लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के नेता पद से हटाये जाने के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में पार्टी अध्यक्ष चिराग पासवान ने मंगलवार को पार्टी की तुलना एक मां से करते हुए कहा कि इसके साथ ‘विश्वासघात’ नहीं किया जाना चाहिए.
एक ट्वीट में उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने पिता रामविलास पासवान द्वारा बनाई गई पार्टी और अपने परिवार को एक साथ रखने के प्रयास किये, लेकिन असफल रहे.
पासवान ने कहा कि लोकतंत्र में लोग सर्वोच्च हैं, और उन्होंने पार्टी में विश्वास रखने वालों को धन्यवाद दिया.
पासवान ने मार्च में अपने पिता के सबसे छोटे भाई पारस को लिखे गए एक पत्र को भी साझा किया, जिसमें उन्होंने उन्हें पार्टी अध्यक्ष बनाये जाने सहित कई मुद्दों पर अपने चाचा की नाखुशी को उजागर किया था.
राम विलास पासवान के पुत्र चिराग संसदीय दल में अलग-थलग पड़ गये हैं क्योंकि उन्हें छोड़कर बाकी सांसद पारस का समर्थन कर रहे हैं. सूत्रों ने कहा कि पारस को पार्टी के अन्य नेताओं का भी समर्थन प्राप्त है. दोनों धड़े पार्टी पर अपने नियंत्रण का दावा कर रहे हैं, ऐसे में मामला निर्वाचन आयोग तक पहुंचने के आसार हैं.
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