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Wednesday, 20 November, 2024
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पटना लौटकर लालू ने कहा उपचुनावों के बाद NDA में मचेगी ‘भगदड़’, अंत में RJD बनाएगी सरकार

RJD प्रमुख लालू प्रसाद 3.5 साल के बाद बिहार वापस आ गए हैं, और वो कुशेश्वर अस्थान तथा तारापुर में रैलियों को संबोधित करेंगे, जहां 30 अक्तूबर को उपचुनाव होने हैं.

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पटना: साढ़े तीन साल के अंतराल के बाद बिहार लौटे प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव का दृढ़ विश्वास है कि उनकी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल ‘अंतत:’ बिहार में सरकार बनाएगी, क्योंकि 30 अक्टूबर को दो विधानसभा क्षेत्रों में होने वाले उपचुनावों में ‘हारने के बाद’, सत्ताधारी एनडीए में ‘भगदड़’ मच जाएगी.

2017 में चारा घोटाले से जुड़े केस में दोषी क़रार दिए जाने के बाद, अप्रैल में लालू को ज़मानत पर रिहा कर दिया गया, लेकिन उसके बाद से वो दिल्ली में अपना इलाज करा रहे थे, और अपनी राज्यसभा सांसद बेटी मीसा भारती के आवास पर रह रहे थे. रविवार शाम वो पटना लौट आए. इससे पहले बिहार में वो अप्रैल 2018 में अपने बेटे तेज प्रताप की शादी में शिरकत के लिए आए थे. उस वक्त रांची जेल में सज़ा काट रहे थे और पेरोल पर आए थे.

जिन चुनाव क्षेत्रों में उपचुनाव होने हैं, वह हैं दरभंगा में कुशेश्वर अस्थान और मुंगेर में तारापुर. दोनों सीटें सीएम नीतीश कुमार के जनता दल (युनाइटेड) के पास थीं, लेकिन इसी साल दोनों विधायकों की मौत हो जाने से, इन उपचुनावों की ज़रूरत आन पड़ी है.

लालू ने एक इंटरव्यू में दिप्रिंट से कहा, ‘जेडी(यू) और उसके सहयोगियों के बीच भगदड़ मचेगी. आख़िरकार दोनों सीटें जेडी(यू) के पास ही थीं. अंत में हम ही सरकार बनाएंगे’.

2020 के चुनावों के बाद 243 सदस्यीय असेम्बली में, एनडीए ख़ेमे में 128 विधायक थे– जिनमें 43 सदस्य जेडी(यू) से थे, 74 बीजेपी से, और चार-चार सदस्य जीतन राम मांझी की हिंदुस्तान अवाम मोर्चा, और मुकेश साहनी की विकासशील इंसान पार्टी से थे, जबकि उसे एक निर्दलीय का समर्थन था और लोक जनशक्ति पार्टी तथा बहुजन समाज पार्टी के एक-एक अकेले विधायक, जेडी(यू) में शामिल हो गए थे. लेकिन अगर जेडी(यू) उपचुनावों में दोनों सीटों को बचा पाने में विफल रहती है, तो सदन में अपना बहुमत बनाए रखने के लिए, नीतीश को एचएएम तथा वीआईपी दोनों को ख़ुश रखना होगा.

लालू उपचुनावों में अपने बेटे तेजस्वी के नेतृत्व में आरजेडी के प्रचार पर क़रीबी नज़र रखे हुए हैं. उन्होंने टिप्पणी की, ‘आज मैंने एक वीडियो देखा …महिलाएं काफी बड़ी संख्या में मौजूद थीं.


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भक्त चरण दास पर विवाद

रविवार को लालू विवादों में घिर गए, जब उन्होंने कांग्रेस के बिहार प्रभारी भक्त चरण दास का, अपमानजनक शब्दों के साथ उल्लेख किया. लालू बिहार में आरजेडी-कांग्रेस गठबंधन को लेकर, दास की हालिया टिप्पणियों पर पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे.

इस बात पर बल देते हुए कि उनकी पार्टी बिहार में किसी ‘महागठबंधन’ का हिस्सा नहीं है, दास ने पिछले शुक्रवार को मीडिया से कहा था: ‘जब आरजेडी कुशेश्वर की एक सीट भी, उपचुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस को नहीं दे पाई, जो कि हमारी परंपरागत सीट रही है, तो फिर ‘महागठबंधन’ कहां है?’

रविवार को लालू ने जवाब देते हुए पूछा था: ‘क्या हमें एक सीट इसलिए छोड़ देनी चाहिए थी, कि कांग्रेस उसे हारे और अपनी ज़मानत ज़ब्त करा ले?’ फिर उन्होंने दास के लिए एक अपमानजनक शब्द इस्तेमाल किया. उसके बाद बहुत से लोगों ने लालू की भाषा की आलोचना की है, जिनमें पूर्व लोकसभा स्पीकर और वरिष्ठ कांग्रेस नेता मीरा कुमार भी शामिल हैं, जिन्होंने सोमवार को कहा कि लालू की टिप्पणी से, बिहार और देशभर के दलित समुदाय के आत्म-सम्मान को ठेस पहुंची है’. दास एक दलित नेता है.

मीरा ने लालू के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के तहत कार्रवाई किए जाने की भी मांग की.

आरजेडी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा कि, दास के बारे में इस्तेमाल किए गए लालू के शब्दों को, अपमान की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता, और वो केवल एक अशिष्ट शब्द है, जो ग़ैर-हाज़िर दिमाग़ वाले लोगों के लिए इस्तेमाल होता है.

दिप्रिंट द्वारा कांग्रेस-आरजेडी गठबंधन की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर, लालू ने जवाब देते हुए पूछा था: ‘भक्त चरण दास की दिल्ली में क्या अहमियत है?’

पूर्व सीएम ने कहा, ‘परेशानी तब शुरू होती है जब बिहार के कांग्रेस नेताओं को लगता है, कि नीतीश के पास मुझसे ज़्यादा वोट हैं. अतीत में, पूर्व (कांग्रेस) प्रदेश अध्यक्ष अनिल शर्मा ने स्वर्गीय कांग्रेस नेता सदानंद सिंह को (2009 के आम चुनाव) अकेले लड़ने के लिए राज़ी कर लिया था. (2020 असेम्बली चुनावों में) उन्होंने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा, और महागठबंधन सरकार को बनने से रोक दिया, क्योंकि वो केवल 19 सीटें जीत पाए’.

लालू ने कहा, ‘क्या मैं कुशेश्वर अस्थान सीट कांग्रेस को दे दूं? क्या मुझे वो सीट दे देनी चाहिए, ताकि वो अपनी ज़मानत ज़ब्त करा लें? अशोक राम (वरिष्ठ कांग्रेस नेता जिनका बेटा अतिरेख कुमार कांग्रेस टिकट पर लड़ रहा है) मुझसे दिल्ली में मिलने आए थे और निवेदन कर रहे थे कि उनके बेटे को एक आरजेडी टिकट दे दिया जाए. मैंने मना कर दिया क्योंकि राम का वहां कोई असर नहीं है’.


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रैलियों में वापसी और नीतीश से मतभेद

लालू बुधवार को कुशेश्वर अस्थान और तारापुर दोनों में जनसभाएं करने जा रहे हैं- जो छह वर्षों में उनकी पहली रैलियां होंगी. आख़िरी बार उन्होंने जो चुनाव रैली की थी वो 2015 में थी, जब उन्होंने और नीतीश कुमार ने बीजेपी और उसके सहयोगियों के खिलाफ, बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए हाथ मिला लिया था.

उन्होंने कहा, ‘मैं बहुत उत्साहित हूं. मैंने 2019 के लोकसभा और 2020 के असेम्बली चुनाव के मौक़े खो दिए थे’.

लालू और नीतीश के बीजेपी के खिलाफ हाथ मिलाने की नियमित अटकलें लगाई जा रही हैं, लेकिन पूर्व बिहार सीएम ने अपनी पार्टी और ‘पीएम मटीरियल’ के बीच, ऐसी किसी भी संभावना को ख़ारिज कर दिया. नीतीश कुमार पर तंज़ करने में लालू उनके लिए इन्हीं शब्दों का इस्तेमाल करते हैं, चूंकि उनकी पार्टी ने नीतीश को ऐसा ही घोषित किया हुआ है.

प्रदेश आरजेडी अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने, जो दिप्रिंट से इंटरव्यू के दौरान लालू के साथ ही मौजूद थे, दोहराया: ‘क्या आप चाहते हैं कि इस बारे में हम स्टांप पेपर पर लिख कर दें?’

लालू ने आगे कहा: ‘जब मैं एम्स में इलाज करा रहा था, तो सभी पार्टियों के नेता कॉल करके मेरी तबीयत पूछते थे. लेकिन ‘पीएम मटीरिल’ ने मेरी तबीयत पूछने के लिए, एक बार भी फोन तक नहीं किया. जब वो (नीतीश) हमारे साथ महागठबंधन में थे, और मुझसे मिलने आते थे तो मैं हमेशा उनके माथे पर टीका लगाता था. ये एक प्रतीकात्मक इशारा था कि मैं उन पर भरोसा करता था. और देखिए उन्होंने क्या किया’.

नीतीश के राज में शासन की हालत के बारे में पूछने पर लालू ने आरोप लगाया, ‘कैसा शासन?’ हर दिन और हर जगह हत्याएं हो रहीं हैं’.

बेटे के सामने बेटा

पटना लौटकर उन्हें कैसा लग रहा है, ये पूछे जाने पर लालू ने कहा: ‘मैं जहां भी होता हूं एक सा ही रहता है. डॉक्टरों ने मेरी जीवन शैली को सीमित कर दिया है. मैं हर दिन सुबह में टहलता हूं. आज भी मैं टहलने के लिए पार्क में गया था’.

जिस चीज़ के बारे में वो बात नहीं करना चाहते, वो है उनके दो बेटों- तेजस्वी और तेज प्रताप के बीच- पार्टी के नियंत्रण को लेकर विवाद.

रविवार शाम जब वो पटना पहुंचे, तब भी तेज प्रताप ने आरोप लगाया, कि उन्हें लालू के 10 सर्कुलर रोड आवास में दाख़िल नहीं होने दिया गया. उन्होंने ऐलान किया कि जब तक जगदानंद सिंह प्रदेश अध्यक्ष बने रहेंगे, तब तक वो आरजेडी से कोई वास्ता नहीं रखेंगे. उन्होंने आरोप लगाया कि सिंह ने पटना हवाई अड्डे पर (जहां वो अपने पिता के स्वागत के लिए गए थे) उनके साथ हाथापाई की, और उन्हें आरजेडी प्रमुख के साथ समय नहीं बिताने दिया.

आधी रात के बाद जाकर लालू और उनकी पत्नी, पूर्व बिहार सीएम राबड़ी देवी उनके पास गए और अपने नाराज़ बेटे को मनाया. एक वरिष्ठ आरजेडी नेता ने स्वीकार किया, ‘ये एक ऐसी समस्या है जिससे पटना में रहते हुए, लालू जी को निपटना पड़ेगा.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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