scorecardresearch
शुक्रवार, 27 जून, 2025
होमराजनीतितिरंगे के लिए L-G की पसंद — 2022 के बाद से तीसरे मंत्री ‘केजरीवाल के हनुमान’ कैलाश गहलोत ने छोड़ी AAP

तिरंगे के लिए L-G की पसंद — 2022 के बाद से तीसरे मंत्री ‘केजरीवाल के हनुमान’ कैलाश गहलोत ने छोड़ी AAP

डीटीसी बेड़े में इलेक्ट्रिक वाहनों सहित नई बसों को शामिल करने के अलावा, गहलोत ने दिल्ली सरकार की सार्वजनिक सेवाओं की डोरस्टेप डिलीवरी योजना को भी आगे बढ़ाया.

Text Size:

नई दिल्ली: सितंबर में आबकारी नीति मामले में ज़मानत पर बाहर आने के दो दिन बाद, दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की घोषणा करते हुए आम आदमी पार्टी (आप) सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने बताया कि कैसे तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को उनके निर्देश बताने से इनकार करके उनका “अपमान” किया.

केजरीवाल ने जिन उदाहरणों को सूचीबद्ध किया, उनमें तिहाड़ प्रशासन द्वारा उनके पत्र को एलजी को अग्रेषित करने से इनकार करना भी शामिल था, जिसमें स्वतंत्रता दिवस पर उनके स्थान पर तिरंगा फहराने के लिए आतिशी को मंत्री के रूप में नामित किया गया था.

केजरीवाल ने कहा, “तिहाड़ के अधिकारियों ने मुझे चेतावनी दी कि अगर मैं फिर से एलजी से संपर्क करने की कोशिश करता हूं, तो मुझे अपने परिवार से मिलने से रोक दिया जाएगा.”

मंच पर मौजूद आप के वरिष्ठ नेताओं ने एक स्वर में “शर्म करो” चिल्लाया. हालांकि, एक नेता को पोकर फेस बनाए देखा जा सकता था, जबकि उनके कैबिनेट और पार्टी के सहयोगियों ने केजरीवाल के साथ जेल में किए गए व्यवहार की निंदा की. 50-वर्षीय कैलाश गहलोत हमेशा से ही कम बोलने वाले व्यक्ति रहे हैं, लेकिन उस दिन मंच पर उनकी खामोशी उनके आस-पास के शोर से कहीं ज़्यादा ज़ोरदार थी.

आखिरकार, गृह और परिवहन जैसे मंत्रालयों का कार्यभार संभाल रहे गहलोत को ही सक्सेना ने तिरंगा फहराने के लिए नामित किया था.

सक्सेना के इस फैसले ने AAP के हलकों में चर्चा का विषय बना दिया क्योंकि पिछले कुछ महीनों में गहलोत की पहचान एक ऐसे व्यक्ति के रूप में हो गई थी, जो पार्टी के एलजी के साथ तीखी नोकझोंक के बावजूद उनके साथ उल्लेखनीय रूप से घर्षण-मुक्त समीकरण का आनंद लेते है.

अपने त्यागपत्र में जिसे उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया, गहलोत ने आरोप लगाया कि “राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं लोगों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता से आगे निकल गई हैं, जिससे कई वादे अधूरे रह गए हैं”. “उदाहरण के लिए यमुना को लें, जिसे हमने एक स्वच्छ नदी में बदलने का वादा किया था, लेकिन कभी ऐसा नहीं कर पाए. अब यमुना नदी शायद पहले से भी ज़्यादा प्रदूषित हो गई है.”

उन्होंने आरोप लगाया कि AAP के लिए अपने राजनीतिक एजेंडे के लिए लड़ना लोगों के अधिकारों को बनाए रखने की उसकी प्रतिबद्धता की जगह ले चुका है.

उन्होंने लिखा, “इसके अलावा, अब ‘शीशमहल’ जैसे कई शर्मनाक और अजीबोगरीब विवाद हैं, जो अब सभी को संदेह में डाल रहे हैं कि क्या हम अभी भी आम आदमी होने में विश्वास करते हैं…अब यह स्पष्ट है कि अगर दिल्ली सरकार अपना अधिकांश समय केंद्र से लड़ने में बिताती है तो दिल्ली का वास्तविक विकास नहीं हो सकता है.”


यह भी पढ़ें: विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा की ‘परिवर्तन यात्रा’ में दिल्ली का प्रदूषण शीर्ष मुद्दों में शामिल


‘केजरीवाल के हनुमान’

बमुश्किल दो महीने पहले, जब उन्हें आतिशी के नेतृत्व वाली नई दिल्ली कैबिनेट में मंत्री बनाया गया था, तब गहलोत ने एक्स पर पोस्ट किया था कि वे “केजरीवाल के हनुमान” बनकर लोगों की सेवा करेंगे.

दिल्ली के नजफगढ़ से ताल्लुक रखने वाले गहलोत शहर में AAP का जाट चेहरा थे. वे 2015 के विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी में शामिल हुए और दो बार विधायक के रूप में नजफगढ़ निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया.

पेशे से वकील, उन्हें कपिल मिश्रा को हटाने के बाद 2017 में दिल्ली कैबिनेट में शामिल किया गया था. उन्हें परिवहन, कानून और न्याय, प्रशासनिक सुधार जैसे विभागों का जिम्मा सौंपा गया था.

दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) के बेड़े में इलेक्ट्रिक वाहनों सहित नई बसों को शामिल करने के अलावा, गहलोत ने दिल्ली सरकार की सार्वजनिक सेवाओं की डोरस्टेप डिलीवरी योजना को भी आगे बढ़ाया. अन्य मंत्रियों के विपरीत, उन्होंने नौकरशाही के साथ सार्वजनिक विवादों में पड़ने से परहेज़ किया — 2019 में शक्तियों के बंटवारे को लेकर तत्कालीन विधि सचिव संजय अग्रवाल के साथ टकराव सहित कुछ अपवादों को छोड़कर.

हालांकि, गहलोत अपने मुखर सहयोगियों सौरभ भारद्वाज या आतिशी के विपरीत, मंत्रिमंडल और पार्टी में एक शांत उपस्थिति बने रहे. AAP के एक वर्ग को लगा कि उनका संयमित दृष्टिकोण अनिवार्य रूप से सामरिक था क्योंकि आयकर (IT) विभाग और प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उनके खिलाफ जांच शुरू कर दी थी. 2018 में, IT विभाग ने गहलोत से जुड़ी 16 संपत्तियों पर छापा मारा था और दावा किया था कि उनके द्वारा 120 करोड़ रुपये की कर चोरी दिखाने वाले दस्तावेज़ मिले हैं — एक ऐसा आरोप जिसका उन्होंने जोरदार खंडन किया. 2019 में ED ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में उनके भाई हरीश गहलोत की 1.4 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की थी.

2021 में गृह मंत्रालय (MHA) ने 1,000 लो-फ्लोर बसों की खरीद और वार्षिक रखरखाव अनुबंध से संबंधित DTC सौदे की केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा जांच की सिफारिश की. इस साल मार्च में गहलोत से आबकारी मामले के सिलसिले में ED ने पूछताछ की थी. रविवार को जब गहलोत ने अपने इस्तीफे की घोषणा की, तो आप नेताओं ने उनके इस कदम के लिए उनके खिलाफ इन मामलों को जिम्मेदार ठहराया.

आप विधायक दुर्गेश पाठक ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “मुख्यमंत्री आतिशी ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है. उनके पास भाजपा में शामिल होने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. यह भाजपा द्वारा रची गई साजिश है. वे ईडी और सीबीआई का दुरुपयोग करके दिल्ली विधानसभा चुनाव जीतना चाहती है.”

इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में केजरीवाल भी मौजूद थे, जिन्होंने इस घटनाक्रम पर कोई टिप्पणी नहीं की.

प्रेस कॉन्फ्रेंस में भाजपा के पूर्व विधायक अनिल झा आप में शामिल हुए.

इस बीच, आप के एक सूत्र ने दावा किया कि पार्टी इस बार नजफगढ़ से गहलोत को अपना उम्मीदवार बनाने की संभावना नहीं थी, उन्होंने “2015 और 2020 के चुनावों में बहुत कम अंतर से जीत हासिल की थी” का हवाला दिया. उन्होंने 2015 में 1,555 वोटों और 2020 में 6,231 वोटों के अंतर से जीत हासिल की.

हालांकि, गहलोत का इस्तीफा ऐसे समय में आया है जब AAP फरवरी 2025 में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले फिर से संगठित होने की कोशिश कर रही है. वे 2022 के बाद से दिल्ली कैबिनेट से इस्तीफा देने वाले तीसरे मंत्री हैं. इसके पहले राजेंद्र पाल गौतम, जो कि अब कांग्रेस में हैं, और राज कुमार आनंद, जो भाजपा में शामिल हो गए हैं.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: पराली जलाने पर प्रतिबंध के कारण ‘जुर्माने और सरकारी मुआवजे’ के बीच कैसे जूझ रहे हैं पंजाब के किसान


 

share & View comments