नई दिल्ली: जब मोदी मंत्रिमंडल की घोषणा में फग्गन सिंह कुलस्ते का नाम सामने आया तो सभी पुराने राजनीति पर नज़र रखने वालों को एक दशक पहले की वो घटना याद आ गई जिसने तहलका मचा दिया था. वो था 22 जुलाई 2008 का दिन. लोकसभा में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार के खिलाफ विश्वास मत प्रस्ताव को लेकर बहस चल रही थी. शाम के 4 बजे थे. तब भी भाजपा के तीन सांसद इनमें मध्य प्रदेश से फग्गन सिंह कुलस्ते (मंडला), अशोक अर्गल ( मुरैना) और राजस्थान के महावीर भागौरा (सलुंबर) सदन में एक बैग लेकर पहुंचे. उन्होंने इसे लोकसभा महासचिव की टेबल पर रखा. तीनों सांसदों ने बैग से नोटों की गड्डियों को निकाला और लहराने लगे.
शोर शराबे और हंगामे के बीच तीनों सांसदों ने आरोप लगाया कि विश्वासमत के समर्थन में वोट देने के लिए उन्हें करोड़ों रुपए की पेशकश की गई है. सांसदों को 9 करोड़ रुपए देने का वादा किया गया था. उस समय मनमोहन सरकार भारत अमरीका परमाणु समझौते को पारित कराने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही थी. हर वोट महत्वपूर्ण था. समाजवादी पार्टी के समर्थन से मनमोहन सरकार की जान में जान में आई थी. दिन विश्वास मत प्राप्त करने का था और तनाव हवा में व्याप्त था. जब वोट के बदले नोट के इस कांड ने संसद को हिला के रख दिया. संसद की समिति बनाई गई, जांच हुई, आरोपों की बौछार हुई. और फग्गन सिंह कुलस्ते का नाम घर घर पहुंचा. पहले इस मामले की जांच संसदीय समिति ने की और 2009 को मामला दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच को सौंप दिया गया.
शपथ ग्रहण में गलती कर बैठे कुलस्ते, राष्ट्रपति ने सुधरवाई
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरुवार को शपथ ग्रहण सामारोह में फग्गन सिंह कुलस्ते को शपथ लेने में गड़बड़ाने पर टोका और रोका. राज्यमंत्री के तौर पर कुलस्ते शपथ की पहली लाइन बोलना भूल गए. इस पर राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि मैं भी बोलना है. इसके बाद उन्होंने दोबारा अपनी शपथ पढ़ना शुरू की.
कौन है फग्गन सिंह कुलस्ते
मध्य प्रदेश की मंडला लोकसभा सीट से फग्गन सिंह कुलस्ते छह बार जीतकर लोकसभा पहुंचे हैं. वह भाजपा का सबसे बड़ा आदिवासी चेहरा हैं. इसके पहले भी कई बार केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं. महाकौशल के दिग्गज आदिवासी नेता कुलस्ते मंडल जिले के बारबटी गांव के रहने वाले हैं. एमए, बीएड और विधि में ग्रेजुएट 1990 में पहली बार विधायक बने और 1996 में पहली बार लोकसभा के सदस्य बने. 18 मई 1959 में जन्में कुलस्ते ने अपनी उच्च शिक्षा सागर विश्वविद्यालय व रानी दुर्गावती विवि जबलपुर से हुई है.
कुलस्ते ने भाजपा से अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत 1988 में सामान्य कार्यकर्ता के रूप में शुरू की. 1999 के लोकसभा चुनाव में जीतकर केन्द्रीय संसदीय कार्य राज्यमंत्री का प्रभार संभाला. वहीं 1999 से 2004 तक केंद्रीय जनजातीय कार्य राज्यमंत्री बने. 2012 में राज्यसभा में चुने गए. 2014 में लोकसभा चुनाव जीते. 2016 से 2017 तक केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण राज्य मंत्री रहे. हालांकि बाद में हुए फेरबदल में उन्हें मंत्रिमंडल से हटा दिया गया.
2019 के लोकसभा चुनाव में कुलस्ते ने कांग्रेस के कमल मरावी को हराकर संसद पहुंचे हैं. आदिवासी बहुल इस सीट पर 1996 सीट से फग्गनसिंह कुलस्ते ही भाजपा के प्रत्याशी रहे हैं. 1996 से अब तक भाजपा को यहां से छह बार और कांग्रेस को एक बार जीत हासिल हुई है.