नई दिल्ली : केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनी बीबीसी की एक डॉक्यूमेंट्री पर तीखा हमला किया, जिसके रिलीज होने के बाद से ही विवाद छिड़ गया है, और कहा कि कुछ लोग अब भी अपने ‘औपनिवेशिक खुमारी’ से बाहर नहीं निकले हैं और उनके लिए ‘गोरे’ अभी भी उनके ‘मालिक’ बने हुए हैं.
रिजिजू ने हिंदी में ट्वीट किया है, ‘कुछ लोगों के लिए गोरे शासक अभी भी मालिक हैं जिनका भारत पर फैसला अंतिम है न कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय का फैसला या भारत के लोगों की इच्छा.’
रिजिजू ने देश में अल्पसंख्यकों पर अपने पहले के ट्वीट को टैग करते हुए यह ट्वीट हिंदी में किया है, जिनके बारे में उन्होंने दावा किया कि वे सकारात्मकता के साथ आगे बढ़ रहे हैं.
दो दिन पहले, रिजिजू ने यह भी कहा था: ‘भारत में कुछ लोग अभी भी औपनिवेशिक खुमारी से नहीं उबरे हैं. वे बीबीसी को भारत के सर्वोच्च न्यायालय से ऊपर मानते हैं और अपने नैतिक आकाओं को खुश करने के लिए देश की गरिमा और छवि को किसी भी हद तक गिरा देते है.’
रिजिजू ने एक राष्ट्रीय दैनिक द्वारा साझा किए गए एक राय के अंश पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा: ‘अल्पसंख्यक, या उस मामले के लिए, भारत में हर समुदाय सकारात्मक रूप से आगे बढ़ रहा है. भारत के अंदर या बाहर शुरू किए गए दुर्भावनापूर्ण अभियानों से भारत की छवि को बिगाड़ा नहीं किया जा सकता है. पीएम @narendramodi जी की आवाज 1.4 अरब भारतीयों की आवाज है.’
पिछले हफ्ते, प्रधानमंत्री मोदी पर विवादास्पद बीबीसी डॉक्यूमेंट्री सीरीज की निंदा की गई, इसे एक ‘प्रोपेगेंडा पीस’ बताया गया जो कि बदनाम करने के नैरेटिव को आगे बढ़ाने के लिए बनाई गई थी.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने 19 जनवरी को एक साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान कहा था, ‘हमें लगता है कि यह खासतौर से बदनाम करने वाले नैरेटिव को आगे बढ़ाने के लिए बनाया गया एक प्रोपेगेंडा पीस है. पूर्वाग्रह, निष्पक्षता की कमी और औपनिवेशिक मानसिकता साफतौर से दिखाई दे रही है.’
एमईए के प्रवक्ता ने कहा कि यह डॉक्यूमेंट्री उन व्यक्तियों का प्रतिबिंब है जो इस कथा को फिर से पेश कर रहे हैं.
इस बीच, शनिवार को बीबीसी के डॉक्यूमेंट्री की कड़ी प्रतिक्रिया में, सेवानिवृत्त न्यायाधीशों, नौकरशाहों और सशस्त्र बलों के दिग्गजों सहित 300 से अधिक प्रतिष्ठित भारतीयों ने भारत और उसके नेता के प्रति ‘कठोर पूर्वाग्रह’ दिखाने के लिए ब्रिटिश नेशनल ब्रॉडकास्टर की आलोचना करते हुए एक बयान पर हस्ताक्षर किए.
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने सोमवार को एक मीडिया के सवाल का जवाब देते हुए कहा: ‘आप जिस डॉक्यूमेंट्री का जिक्र कर रहे हैं, मैं उससे वाकिफ नहीं हूं, हालांकि, मैं उन साझा मूल्यों और जीवंत लोकतंत्र से बहुत परिचित हूं जो संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत को समृद्ध बनाते हैं.’
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