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Tuesday, 5 November, 2024
होमराजनीतिखरगे ने धनखड़ से मोदी का बचाव न करने को कहा, वी-पी बोले — ‘हर भारतीय को PM पर गर्व होना चाहिए’

खरगे ने धनखड़ से मोदी का बचाव न करने को कहा, वी-पी बोले — ‘हर भारतीय को PM पर गर्व होना चाहिए’

विपक्षी सांसद ने कहा कि मणिपुर पर बिना किसी देरी के बहस होनी चाहिए क्योंकि मानसून सत्र आखिरी चरण में है और लोकसभा अगले हफ्ते मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने वाली है.

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नई दिल्ली: राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सुझाव दिया कि उपराष्ट्रपति को प्रधानमंत्री का “बचाव” नहीं करना चाहिए, जिस पर जवाब देते हुए कहा, धनखड़ ने कहा कि हर भारतीय को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर “गर्व होना चाहिए”.

धनखड़ ने जून में मोदी की अमेरिका की आधिकारिक यात्रा का ज़िक्र करते हुए कहा, “हमारे प्रधानमंत्री का बचाव मुझे नहीं करना है. अमेरिका में सीनेट और कांग्रेस जैसे वैश्विक मंचों पर उन्हें पहचाना जाने लगा है.”

उन्होंने विपक्षी दलों पर उंगली उठाई और उनसे पूछा कि वे “कठिन सच्चाई से भाग क्यों रहे हैं” कि “भारत पहले की तरह कभी नहीं बढ़ रहा है” और वर्तमान में “उदय और अजेय है”.

इससे पहले दिन में विपक्ष द्वारा उच्च सदन में मणिपुर में जातीय हिंसा पर चर्चा करने की इच्छा दिखाने पर, धनखड़ ने सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच गतिरोध को तोड़ने के तौर-तरीकों पर चर्चा करने के लिए विपक्षी नेताओं को चाय पर आमंत्रित किया.

चर्चा के बाद खरगे ने कहा कि विपक्ष ने नियम 267 और 176 के तहत मणिपुर पर चर्चा के लिए नोटिस दिया है. उन्होंने कहा, “लेकिन मुझे नहीं पता कि 267 एक प्रतिष्ठा का मुद्दा क्यों बन गया है. हमने 267 को स्वीकार करने का कारण बताया है, लेकिन मुझे नहीं पता कि आप (धनखड़) प्रधानमंत्री का इतना बचाव क्यों कर रहे हैं. हमने पीएम से (उच्च सदन में) आने के लिए कहा और आप उस पर भी सहमत नहीं हुए, सर, आप एक छोटे से अनुरोध पर सहमत नहीं हैं.”

जवाब में धनखड़ ने कहा, “भारत पहले की तरह बढ़ रहा है” और “सभी ने इसमें योगदान दिया है”. उन्होंने कहा कि केंद्र में तीन दशकों की गठबंधन सरकारों के बाद, उन्हें “किसी का बचाव करने की आवश्यकता नहीं है”.

उन्होंने कहा, “मुझे संविधान की रक्षा करना ज़रूरी है. मुझे आपके अधिकारों की रक्षा करने की आवश्यकता है.”

खरगे के सुझाव पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कि उपराष्ट्रपति को प्रधानमंत्री का बचाव नहीं करना चाहिए, धनखड़ ने कहा, “हम कहां जा रहे हैं? आप (खरगे) राजनीतिक रुख के हकदार हैं. मैं राजनीति में हितधारक नहीं हूं. मुझे पार्टियों की राजनीति से कोई सरोकार नहीं है. मुझे शासन की चिंता है. मैं देश के विकास को लेकर चिंतित हूं.”

इसके अलावा, कांग्रेस सांसद पी.चिदंबरम द्वारा की गई टिप्पणियों का ज़िक्र करते हुए धनखड़ ने कहा कि संसद सदस्यों की अलग-अलग विचारधारा हो सकती है, लेकिन किसी को भी “दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री के कद को कम करने” की अनुमति नहीं दी जा सकती है.

विपक्षी बेंच के एक सांसद ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, “एक भावना उभर रही है कि हमें मणिपुर पर चर्चा करनी चाहिए क्योंकि सरकार ने पलक नहीं झपकाई है और अपने विधायी व्यवसाय के साथ जारी है. लोकसभा अगले हफ्ते अविश्वास प्रस्ताव पर विचार करने जा रही है. हम मानसून सत्र के अंतिम सप्ताह में प्रवेश कर रहे हैं; हमें मणिपुर में हिंसा पर चर्चा की मांग के लिए अपनी रणनीति में बदलाव करना होगा.”


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राज्यसभा में मणिपुर पर बोलेंगे अमित शाह

बुधवार को धनखड़ ने विपक्ष की इस मांग का जवाब दिया था कि मोदी सदन के पटल पर मणिपुर पर बोलें, उन्होंने कहा था कि उन्होंने (धनखड़) “स्पष्ट शब्दों में बहुत दृढ़ता से संकेत दिया था” कि अध्यक्ष के रूप में वो अपनी शपथ का “उल्लंघन” करेंगे. मांग के अनुरूप प्रधानमंत्री को उच्च सदन में उपस्थित रहने का “निर्देश” जारी करना होगा.

उपराष्ट्रपति की टिप्पणी से पहले खरगे ने कहा था कि उन्होंने नियम 267 के तहत मणिपुर पर चर्चा के लिए दिए गए नोटिस में अपने तर्क के समर्थन में आठ बिंदु सूचीबद्ध किए थेय

इसके बाद विपक्ष के हंगामे के बीच सरकार अपने विधायी एजेंडे पर आगे बढ़ी.

मणिपुर पर रणनीति में बदलाव के पहले संकेत में विपक्ष ने गुरुवार को पूर्वोत्तर राज्य में जातीय हिंसा पर बिना किसी देरी के चर्चा करने के अपने झुकाव का संकेत दिया.

गुरुवार को उच्च सदन का सत्र बुलाए जाने के तुरंत बाद, तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने जोर देकर कहा कि सभापति मणिपुर पर चर्चा शुरू करें. उन्होंने कहा, “मणिपुर एक संवेदनशील मुद्दा है जिस पर बहस की ज़रूरत है.”

सदन के नेता पीयूष गोयल ने जवाब देते हुए कहा कि उन्हें मणिपुर पर चर्चा करने में “बहुत खुशी” होगी. उन्होंने कहा, संसद को मणिपुर के लोगों को “संदेश भेजना” चाहिए कि वह उपचारात्मक स्पर्श लागू करने के लिए तैयार और इच्छुक है.

गोयल ने कहा, “पहले दिन से हम (मणिपुर पर) बहस के लिए अपनी तत्परता दिखा रहे हैं.” उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सदन के पटल पर सरकार का पक्ष तभी रखेंगे जब उन्हें राज्यसभा को संबोधित करते हुए “परेशान” नहीं किया जाएगा.

(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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