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Thursday, 21 November, 2024
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केरल विधानसभा ने केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव ‘उद्योगपतियों के हित’ में बता कर पारित किया

केंद्र के तीनों विवादित कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पारित करते हुए ‘किसान विरोधी’ और ‘ उद्योगपतियों के हित’ वाला बताया गया है.

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तिरुवनंतपुरम: केरल विधानसभा ने बृहस्पतिवार को सर्वसम्मति से केंद्र के तीनों विवादित कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया. इन कानूनों के खिलाफ दिल्ली में किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रस्ताव में इन तीनों को ‘किसान विरोधी’ और ‘ उद्योगपतियों के हित’ में बताया गया है.

यह प्रस्ताव कोविड-19 के नियमों का अनुपालन करते हुए बुलाए गए विशेष सत्र में पारित किया गया. विधानसभा का यह सत्र प्रदर्शनकारी किसानों के प्रति एकजुटता प्रकट करने के लिए आयोजित किया गया था.

माकपा नीत वाम लोकतांत्रिक मोर्चे (एलडीएफ) और कांग्रेस नीत संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चे (यूडीएफ) के सदस्यों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया.

हालांकि, विधानसभ में भाजपा के एकमात्र सदस्य ओ राजगोपाल ने प्रस्ताव में शामिल कुछ संदर्भों पर आपत्ति दर्ज की लेकिन विरोध नहीं किया.

सदन के बाहर राजगोपाल ने कहा, ‘सदन में आम सहमति थी, इसलिए मैंने प्रस्ताव पर आपत्ति नहीं जताई. यह लोकतांत्रिक भावना है.’

प्रस्ताव को पेश करते हुए मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने आरोप लगाया कि केंद्र के कानूनों में संशोधन उद्योगपतियों की मदद के लिए किया गया है.

उन्होंने , ‘इन तीन विवादित कानूनों को संसद की स्थायी समिति को भेजे बिना पारित कराया गया. अगर यह प्रदर्शन जारी रहता है तो एक राज्य के तौर पर केरल को बुरी तरह से प्रभावित करेगा.’

प्रस्ताव पर करीब दो घंटे की चर्चा के बाद सदन ने इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया.

विधानसभा अध्यक्ष पी श्रीरामाकृष्ण ने कहा, ‘प्रस्ताव का पारित होना किसानों की मांग के प्रति सदन की भावना को प्रतिबिंबित करता है.’


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