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Friday, 15 November, 2024
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शिंदे को क़ाबू में रखना, पर पूर्व CM के लिए भी संदेश- BJP ने फडणवीस पर डिप्टी CM बनने का दबाव क्यों बनाया

देवेंद्र फडणवीस ने पहले बृहस्पतिवार को ऐलान किया था कि वो महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे सरकार का हिस्सा नहीं होंगे, लेकिन उसके बाद उन्होंने डिप्टी CM की हैसियत से शपथ ले ली.

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नई दिल्ली/मुम्बई: बीजेपी नेता फडणवीस ने बृहस्पतिवार को अपनी ख़ुद की पार्टी के सदस्यों समेत बहुत लोगों को चौंका दिया, जब उन्होंने ऐलान किया कि शिवसेना के बागी एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री होंगे.

उनके हाव-भाव में आत्मविश्वास और भाषा में नम्रता थी, जब उन्होंने आगे ऐलान किया कि वो ख़ुद शिवसेना बागियों तथा बीजेपी द्वारा बनाई जा रही नई सरकार से बाहर रहेंगे, और जब तब आवश्यकता होगी उसे केवल ‘समर्थन’ देंगे.

लेकिन, मुम्बई के राजभवन में शपथ ग्रहण से कुछ ही पहले, मंच पर एक और कुर्सी लाकर रख दी गई और फडणवीस ने शिंदे के डिप्टी सीएम के तौर पर शपथ ले ली, जिससे पहले राज्य में 2014-19 की बीजेपी-शिवसेना सरकार में, वो पांच साल तक शिंदे के बॉस रहे थे.

शिवसेना (उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, और कांग्रेस की महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार को गिराने की अन्यथा बारीकी से तैयार की गई योजना में, हो सकता है कि ये एक आख़िरी समय की गड़बड़ी लगी हो.

लेकिन बहुत सारे बीजेपी सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि फडणवीस को डिप्टी सीएम के तौर पर लाने का फैसला पार्टी नेतृत्व द्वारा ‘सोच-समझकर’ लिया गया था, और हालांकि फडणवीस के साथ इस पर पहले ही चर्चा हो चुकी थी, लेकिन अंतिम निर्णय के तौर पर इसे प्रदेश नेतृत्व को आख़िरी समय पर बताया गया.

सूत्रों ने कहा कि फडणवीस को शिंदे का डिप्टी बनाने से सुनिश्चित रहेगा कि सरकार में एक मज़बूत आवाज़ मौजूद रहेगी, जिससे उस पर बीजेपी की छाप बनी रहे.

बीजेपी में बहुत से लोगों ने ये भी संकेत दिया कि पार्टी नेतृत्व इस बात को लेकर फडणवीस से नाराज़ था कि उन्होंने ख़ुद को एक असाधारण रूप से बड़े नेता के रूप में पेश करने की कोशिश की. उन्होंने आगे कहा कि पार्टी को लगा कि शिंदे का डिप्टी बनाने से वो क़ाबू में रहेंगे.

बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘ये एक सोच-समझकर लिया गया निर्णय था, जिससे बीजेपी को फायदा होने वाला है. इसे बस आख़िरी समय पर अंतिम निर्णय के रूप में प्रदेश नेतृत्व को बताया गया. उन्होंने आगे कहा, ‘फडणवीस के लिए ये एक झिड़की है या नहीं, आप जैसा चाहें अपने निष्कर्ष निकाल सकते हैं’.


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‘फडणवीस तय सीमा से आगे बढ़ गए’

बीजेपी सूत्रों के अनुसार, कुछ दिन पहले केंद्रीय नेतृत्व के साथ एक बैठक में देवेंद्र फडणवीस को संकेत दिया गया था, कि मौजूदा स्थिति में एकनाथ शिंदे को महाराष्ट्र सीएम बनाना ‘ज़्यादा अनुकूल’ रहेगा, हालांकि उस समय तक उन्हें कुछ भी पुष्ट नहीं किया गया था.

ऊपर हवाला दिए गए पदाधिकारी ने कहा, ‘उनसे कहा गया था कि पार्टी शिंदे को सीएम बनाने पर ग़ौर कर रही है, जो दीर्घ-काल में सरकार तथा बीजेपी दोनों के हित में रहेगा, चूंकि इससे (उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली) शिवसेना की पकड़ और ज़्यादा कमज़ोर होगी’.

नेता ने कहा कि ठाकरे के नेतृत्व में सेना ने बीजेपी की ये कहते हुए आलोचना की थी, कि (राज्य में सियासी उथल-पुथल के अंतिम दिनों में) वो सत्ता के लालच में पड़ी है. उन्होंने कहा कि एक ‘शिव सैनिक’ को गद्दी पर बिठाने से विरोधी भी शांत हो जाएंगे.

लेकिन, सूत्रों के अनुसार, बृहस्पतिवार को फडणवीस अपनी सीमा से आगे बढ़ गए, और उन्होंने ऐलान कर दिया कि वो सरकार और मंत्रिमंडल का हिस्सा नहीं रहेंगे. सूत्रों ने बताया कि नेतृत्व से परामर्श किए बग़ैर जिस तरह का बर्ताव करते हुए फडणवीस ने ऐसी घोषणा की, उससे शीर्ष नेतृत्व नाख़ुश हो गया.

ऊपर हवाला दिए गए वरिष्ठ पार्टी पदाधिकारी ने कहा, ‘उनका (फडणवीस) का काम करने का अंदाज़ ऐसा ही है. जितना बोलना चाहिए था, उन्होंने उससे ज़्यादा बोल दिया. उनसे अपेक्षा थी कि वो केवल ये ऐलान करेंगे कि एकनाथ शिंदे सीएम बनेंगे, और वहीं रुक जाएंगे’.

बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व के एक दूसरे सूत्र ने कहा, ‘ये एक ऐसी बात थी जिस पर चर्चा नहीं हुई थी, और इसने केंद्रीय नेतृत्व को चौंका दिया था. इसके तुरंत बाद अमित शाह और जेपी नड्डा जैसे वरिष्ठ नेताओं ने इस विषय में बात की, और फडणवीस से कहा गया कि उन्हें उप-मुख्यमंत्री के तौर पर सरकार में शामिल होना है’.

शिंदे के बॉस से शिंदे के डिप्टी तक

महाराष्ट्र में 2014-19 की बीजेपी-शिवसेना सरकार के दौरान, शिंदे फडणवीस की मंत्रि परिषद का हिस्सा थे और लोक निर्माण विभाग (उपक्रम) देखते थे.

सीएम की हैसियत से फडणवीस को मुख्यमंत्री कार्यालय में ताक़त केंद्रित करने के लिए जाना जाता था, और उन्होंने महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम (एमएसआरडीसी) की फ्लैगशिप परियोजना, महत्वाकांक्षी मुम्बई-नागपुर एक्सप्रेसवे को- जिसे ‘समृद्धि महामार्ग’ कहा जाता था, लगभग अपनी प्रिय परियोजना के तौर पर चलाया, हालांकि वो शिंदे के मंत्रिस्तरीय क्षेत्राधिकार में आती थी.

पार्टी सूत्रों के अनुसार, महाराष्ट्र मुख्यमंत्री के पद पर रहने के बाद सीएम की कुर्सी बागी शिवसेना लीडर के हाथों गंवाने की बजाय, फडणवीस ‘शिंदे के डिप्टी के तौर पर काम करने की संभावना से ज़्यादा परेशान थे’.

दूसरे सूत्र ने कहा, ‘हालांकि वो सीएम न बनाए जाने से परेशान थे, फिर भी उन्होंने उससे समझौता कर लिया था. लेकिन वो इसे लेकर बहुत निश्चित थे कि सरकार का हिस्सा नहीं बनेंगे, और सार्वजनिक रूप से शिंदे के साथ दोयम दर्जे पर काम नहीं करेंगे’.

लेकिन, पार्टी नेतृत्व अपने निर्देशों को लेकर बहुत स्पष्ट था, जिसके बाद फडणवीस ने बतौर डिप्टी सीएम शपथ ले ली.

शपथ ग्रहण समारोह से कुछ पहले ही बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने ऐलान किया कि पार्टी ने फैसला किया है कि फडणवीस को डिप्टी सीएम की हैसियत से सरकार में शामिल होना चाहिए.

उसके बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का ट्वीट आया, जिसमें कहा गया कि नड्डा के अनुरोध पर ‘बड़ा मन दिखाते हुए’, फडणवीस ने सरकार में शामिल होने का फैसला किया है.

शपथ समारोह से पहले फडणवीस ने ट्वीट किया कि ‘एक ईमानदार कार्यकर्ता होने के नाते मैं पार्टी के आदेशों का पालन कर रहा हूं’. उन्होंने आगे कहा, ‘जिस पार्टी ने मुझे सर्वोच्च पद पर पहुंचाया, उसका आदेश मेरे लिए सर्वोपरि है’.

दूसरे पार्टी सूत्र ने कहा, ‘अगर आप उनके पोस्ट किए गए ट्वीट को देखें तो उन्होंने ख़ासतौर से कहा है कि एक सच्चे पार्टी कार्यकर्ता के नाते उन्होंने पार्टी के निर्देशों का पालन करने का फैसला किया है, जिसमें एक अंतर्निहित संदेश है कि वो ख़ुशी से ऐसा नहीं कर रहे हैं’.

पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व में कुछ लोगों ने इस ओर भी ध्यान आकृष्ट किया कि किस तरह शपथ ग्रहण समारोह के दौरान फडणवीस के हाव-भाव उनकी नाराज़गी को दर्शा रहे थे.

बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व के एक तीसरे सूत्र ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस मामले में हस्तक्षेप किया था और फडणवीस से सरकार में शामिल होने को कहा था. उन्होंने आगे कहा, ‘पूरी प्रदेश इकाई इस घटनाक्रम (शिंदे के सीएम बनने) से नाराज़ थी’.

महाराष्ट्र के एक बीजेपी नेता ने दिप्रिंट को बताया कि डिप्टी सीएम के तौर पर फडणवीस की नियुक्ति चौंकाने वाली थी, लेकिन ये एक रणनीतिक क़दम है जिससे ‘बीजेपी को एक मज़बूत नेता के ज़रिए प्रशासन चलाने में सहायता मिलेगी’.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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