नई दिल्ली : कर्नाटक विधानसभा में विश्वास मत के लिए शुक्रवार को दिनभर चली कोशिश आखिरकार नाकाम रही. सदन को सोमवार 22 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दिया गया है. वहीं राज्य के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी राज्यपाल के हस्तक्षेप से परेशान होकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गये हैं.
Karnataka Assembly Session has been adjourned till July 22. The trust vote will be held on Monday, July 22. pic.twitter.com/219kBE6eCv
— ANI (@ANI) July 19, 2019
कुमारस्वामी ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा
कर्नाटक मुख्यमंत्री एचडी कुमार स्वामी ने राज्यपाल की बहुमत साबित करने के लिए बार बार तय की जाने वाली डेडलाइन से परेशान होकर शुक्रवार को सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है. कुमारस्वामी ने शीर्ष अदालत से 17 जुलाई के आदेश पर स्पष्टीकरण की मांग की जिसमें 15 बागी विधायकों को सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं लेने के विकल्प चुनने की अनुमति प्रदान की गई है. मुख्यमंत्री ने कहा कि शक्ति परीक्षण करने के संबंध में राज्यपाल हस्तक्षेप कर रहे हैं.
Karnataka Chief Minister, H D Kumaraswamy has also moved the Supreme Court and challenged the
Governor's letter which had asked him to complete the trust vote by 1.30 pm today pic.twitter.com/rvgOc3VQfM— ANI (@ANI) July 19, 2019
कुमारस्वामी ने कहा कि संविधान की 10वीं अनुसूची के साथ शीर्ष अदालत के हस्तक्षेप के फलस्वरूप राज्यपाल विश्वास मत हासिल करने के संबंध में दखल दे रहे हैं और विधानसभा को हुक्म दे रहे हैं.
याचिका में उन्होंने कहा, ‘विश्वास प्रस्ताव पर बहस इस समय चल रही है और सदन का सत्र चल रहा है. विधानसभा अध्यक्ष ने बताया है कि बहस के आखिर में मतों का विभाजन होगा.’
विधानसभा में सीएम ने कहा कि दिल्ली से कुछ भी तय नहीं होगा. बहुमत परीक्षण का फैसला वह स्पीकर पर छोड़ते हैं. उन्होंने गवर्नर से गुजारिश की कि वह उन्हें राज्यपाल द्वारा भेजी गई चिट्ठी से बचाएं. राज्यपाल वजुभाई वाला के निर्देश को चुनौती देते हुए उन्होंने कहा कि वह विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए सदन को निर्देश नहीं दे सकते.
बता दें शुक्रवार दोपहर डेढ़ बजे तक बहुमत साबित करने के लिए कहा था. राज्यपाल की डेडलाइन बीतने के बाद भी सदन में विश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग नहीं हो पाई, जिसके बाद उन्होंने फिर से पत्र लिखा है औऱ 6 बजे तक बहुमत साबित करने को कहा. वहीं अब यह डेडलाइन भी निकल चुकी है.
सीएम ने कहा, ‘प्रस्ताव पर बहस अभी चल रही है. माननीय अध्यक्ष ने यह भी कहा है कि बहस के अंत में ही विभाजन का प्रस्ताव पेश होगा. इन परिस्थितियों में, माननीय राज्यपाल सदन को उस तरीके से निर्देशित नहीं कर सकते हैं जिस तरह से अविश्वास प्रस्ताव पर बहस होनी है.’
कुमारस्वामी ने कहा कि उन्होंने पहले ही शुक्रवार को इस संबंध में राज्यपाल को लिखा है कि सदन पहले ही विश्वास प्रस्ताव पर विचार कर रहा है और इस समय बहस चल रही है.
उन्होंने कहा, ‘हालांकि, माननीय राज्यपाल ने फिर से एक पत्र भेजा है कि विश्वास मत 6 बजे से पहले होना चाहिए. माननीय राज्यपाल का निर्देश गवर्नर शक्तियों के संबंध में पूरी तरह से माननीय न्यायालय के आदेश के खिलाफ हैं.’
मुख्यमंत्री ने याचिका में यह भी कहा कि राज्यपाल उन्हें एक समय सीमा के भीतर बहुमत साबित करने के लिए पत्र जारी नहीं कर सकते.
मुख्यमंत्री ने कहा, 10वीं अनुसूची के तहत एक राजनीतिक दल को अपने विधायकों को व्हिप जारी करने का संवैधानिक अधिकार है.