नई दिल्ली/बेंगलुरु : मध्यप्रदेश की राजनीति में आई उथल पुथल थमने का नाम नहीं ले रही है. पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक विधायक संपर्क से बाहर बताए जा रहे हैं. उनके मोबाइल फोन अचानक बंद हो गए है. सिंधिया गुट के 6 मंत्रियों समेत 11 विधायकों के बेंगलुरु पहुंचने की खबर है.
दिप्रिंट को कांग्रेस पार्टी के उच्च सूत्रों से खबर मिली है कि छह मंत्री जिनमें तुलसीराम सिलावट, गोविंद सिंह राजपूत, प्रद्युमना सिंह तोमर, महेंद्र सिंह सिसोदिया, प्रभुराम चौधरी और इमरती देवी के साथ 11 दूसरे विधायक बेंगलूरू में मौजूद हैं और सभी भाजपा नेताओं के संरक्षण में मौजूद हैं.
यह सभी विधायक पार्टी के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य के वफादार माने जाते हैं.
दिल्ली से मीटिंग छोड़ भोपाल पहुंचे कमलनाथ
इस बीच सीएम कमलनाथ भी दिल्ली से भोपाल पहुंचे और उन्होंने आनन-फानन ने अपने आवास पर विधायकों और मंत्रियों की बैठक बुलाई है जिसमें दिग्विजय सिंह भी मौजूद हैं. कमलनाथ सोमवार को दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मुलाकात की थी. मुलाकात के बाद कमलनाथ ने कहा, ‘कांग्रेस अध्यक्ष से कई मसलों पर चर्चा हुई है. उनका मार्गदर्शन मिला है, उसका पालन करूंगा.’
सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री कमलनाथ अपना दिल्ली दौरा बीच में छोड़कर सोमवार शाम भोपाल के लिए निकल गए थे.
ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी में उभरे असंतोष को थामने के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष या राज्यसभा सदस्य भी बना सकती है.
भाजपा ने बुलाई बैठक
कयास लगाए जा रहे हैं भाजपा राज्य में कोई उलटफेर कर सकती है. कांग्रेसी विधायकों के बगावती सुरों को देखते हुए भाजपा विधानसभा सत्र की शुरुआत में कांग्रेस सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकती है. क्योंकि भाजपा विधायक दल के सभी विधायकों को मंगलवार को भोपाल बुलाया गया है. शाम सात बजे प्रदेश कार्यालय में विधायक दल की बैठक भी बुलाई गई है.
बेंगलुरु में भाजपा की शरण में पहुंचे कांग्रेसी नेता
भाजपा के स्थानीय सूत्रों ने बताया, ‘अभी सभी विधायकों का दल कर्नाटक के माराथहल्ली में बने पंचसितारा होटल में ठहरे हैं. पूरे मामले में धूल छंटने तक सभी के यहीं रहने की उम्मीद है.
दिप्रिंट यह पता लगाने में भी कामयाब रहा है कि महादेवपुर के भाजपा विधायक अरविंद लिम्बावाली बेंगलुरु के व्हाइटफील्ड / मराठाहल्ली क्षेत्रों के सुरक्षित घरों में विद्रोही विधायकों की मेजबानी कर रहे हैं जो लिंबावली के निर्वाचन क्षेत्र में आता है.
कर्नाटक भाजपा का दावा है कि कर्नाटक में कांग्रेस के बागी विधायकों की मेजबानी करने में उनका कोई हाथ नहीं है, लेकिन पार्टी सूत्रों ने कहा, ‘जब एक अवसर खुद सामने से आया है जहां कमलनाथ सरकार अपना बहुमत खो सकती है तो ऐसे में समय और अवसर को बर्बाद नहीं किया जाना चाहिए?’
सूत्र का दावा है, ‘हमें कुछ भी करने की आवश्यकता नहीं है. कर्नाटक में जेडीएस और कांग्रेस के बीच गठबंधन की तरह, सरकार ताश के पत्तों की तरह टूट गई, मप्र में भी स्थिति कुछ ऐसी ही है. अगर बीजेपी की सरकार नहीं बनती है, तो यह बर्बादी का मौका बन जाएगा.
विधायकों के फोन बंद
हालांकि, इस बारे में सिंधिया से मोबाइल फोन पर बार-बार संपर्क करने के प्रयास किये गये, लेकिन सफलता नहीं मिली. सिंधिया के अलावा, उनके समर्थक मध्यप्रदेश के छह मंत्रियों के मोबाइल फोन भी आज शाम से बंद हैं.
जिन मंत्रियों के मोबाइल फोन बंद हैं, उनमें लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री तुलसी सिलावट, श्रम मंत्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया, राजस्व एवं परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी, खाद्य नागरिक आपूर्ति मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर एवं स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी शामिल हैं. इनके अलावा, सिंधिया समर्थक 11 विधायकों से भी मोबाइल पर संपर्क नहीं हो पा रहा है.
यह लगभग वैसा ही घटित हो रहा है जैसा दो दिन पहले श्रम मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने अपने निर्वाचन क्षेत्र, गुना से भोपाल में मीडिया के लिए एक वीडियो बयान जारी करते हुए कहा था, उन्होने कहा था, ‘अगर कमलनाथ सरकार ने सिंधिया का ‘अनादर’ किया और ‘उपेक्षा’ की तो सत्तारूढ़ दल को गंभीर संकट का सामना करना पड़ेगा.’ बंगलुरू में मौजूद विधायकों में सिसोदिया भी एक हैं.
वीडियो में सिसोदिया ने दावा किया है, ‘भाजपा दबाव की राजनीति में लिप्त है. मैं निश्चित रूप से कह सकता हूं कि अगर हमारे नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की उपेक्षा और अपमान करते हैं, तो कमलनाथ जी की सरकार पर संकट आ सकता है. मध्य प्रदेश सरकार पर काले बादल जरूर छाएंगे, ‘
हाल ही में राज्य की तीन राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव भी होना है. नामांकन भरे जाने की अंतिम तारीख 13 मार्च है. अभी तक भाजपा का दो सीटों पर कब्जा है.वहीं एक कांग्रेस पार्टी के पास है. अंक गणित के हिसाब से कांग्रेस पार्टी के पास दो सीटें जा सकती है.
इसी को लेकर कांग्रेस पार्टी में मंथन चल रहा है. वहीं भाजपा इन चुनावों में भी आर पार के मूड में दिखाई दे रही है. भाजपा ने 2 सीटों पर उम्मीदवार खड़े करने का फैसला लिया है.पार्टी ने 25 दावेदारों का पैनल केंद्रीय नेतृत्व को भेज दिया है. कयास लगाए जा रहे हैं कि होली के बाद दोनों नामों की घोषणा हो जाएगी.
मध्य प्रदेश विधानसभा में कुल 228 सीटें हैं, जिनमें से कांग्रेस के पास 114 विधायक हैं, जिनमें बहुजन समाज पार्टी के दो विधायकों का समर्थन है, एक समाजवादी पार्टी से और चार निर्दलीय हैं. दूसरी ओर भाजपा के पास 107 विधायक हैं और उसे 115 के आधे अंक को पार करने के लिए 9 और की आवश्यकता है.
नाथ जिन्होंने सदन के पटल पर चार बार बहुमत साबित किया है, ने दावा किया कि 10 में से छह विधायक भोपाल वापस आ गए हैं और उनकी सरकार सुरक्षित है. हालांकि, यह माना जा रहा है कि चार विधायक भोपाल नहीं लौटे और दक्षिणी बेंगलुरु में निजी बंगलों में ठहरे हुए हैं.