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Thursday, 26 December, 2024
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मध्यप्रदेश में चल रहे सियासी तूफान में कमलनाथ को एक दिन का और जीवनदान, सुप्रीम कोर्ट में कल होगी सुनवाई

बेंगलुरु में मध्यप्रदेश के बागी विधायकों ने प्रेस कांफ्रेस कर कमलनाथ सरकार पर कई आरोप लगाए हैं. विधायक इमरती देवी ने कहा है, 'अगर ज्योतिरादित्य ने कहा वो कुएं में कूदने को भी तैयार हैं.'

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नई दिल्ली: इस महीने के शुरुआत से मध्यप्रदेश में मचा सियासी तुफान थमने का नाम नहीं ले रहा है. एक ओर जहां भाजपा ने मौजूदा कमलनाथ सरकार के बहुमत परीक्षण कराए जाने की मांग के साथ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था जिसे कल तक के लिए टाल दिया गया है. मध्यप्रदेश सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है कि कल सुबह बुधवार को 10.30 बजे सुनवाई होगी.

उच्चतम न्यायालय ने मध्य प्रदेश विधानसभा में तत्काल विश्वास मत कराने संबंधी पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस भेजा है. उच्चतम न्यायालय ने मध्य प्रदेश कांग्रेस के 16 बागी विधायकों को शिवराज सिंह चौहान के मामले में पक्षकार बनाए जाने की अनुमति के लिए याचिका दायर करने की मंजूरी दी है और उन्हें व्हाट्सएप और ईमेल के द्वारा यह नोटिस भेजा जा रहा है.

मध्यप्रदेश मामले की सुनवाई कर रहे न्यायाधीश जे चंद्रचूड़ ने पूछा कि इस मामले में फ्लोर टेस्ट की आवश्यकता है. बागी विधायकों के वकील मनिंदर सिंह ने कहा, ‘अगर छह विधायकों का इस्तीफा स्वीकार किया जा सकता है तो अन्य विधायकों का क्यों नहीं किया जा रहा है.’

कमलनाथ ने राज्यपाल को पत्र लिखकर कहा  ‘मैं दुखी हूं’

सियासी हलचल के बीच राज्यपाल लालजी टंडन और मुख्यमंत्री  कमलनाथ के बीच पत्रों का दौर भी खूब चल रहा है. कमलनाथ ने आज भी राज्यपाल को पत्रलिखकर कहा है कि मैं पिछले 40 वर्षों से राजनीति में हूं लेकिन कभी भी मैंने संसदीय मर्यादा का उल्लंघन नहीं किया है लेकिन आपने मुझपर उल्लंघन का आरोप लगाया है जिसमें लिखा है ‘मैं दुखी हूं.’ मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने पत्र में पिछले 15 महीनों से चली आ रही सरकार में अपना बार-बार बहुमत परीक्षण दिए जाने से लेकर 26 मार्च तक सदन के स्थगन पर भी अपनी बात रखी है. यही नहीं कमलनाथ ने कोरोनावायरस से फैली महामारी को भी विधानसभा के स्थगन की एक वजह बताया है.

वहीं राज्यपाल ने भी कमलनाथ को पत्रलिखकर मंगलवार को ही बहुमत परीक्षण करने को कहा था. इसी बीच मध्यप्रदेश सरकार की अपने बागी विधायकों को भोपाल लाने की कोशिश भी नाकाम होती दिखाई दे रही है. बेंगलुरु पहुंचे बागी कांग्रेसी विधायकों ने आज सुबह मीडिया से बातचीत में कहा कि वह भोपाल में सुरक्षित नहीं हैं. जब ज्योतिरादित्य सिंधिया पर हमला हो सकता है तो हम पर क्या होगा? हम वापस तभी लौटेंगे जब हमें केंद्रीय सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी.

पिछले दस दिनों से अधिक समय से बेंगलुरु में डेरा जमाए विधायकों ने आज कमलनाथ सरकार की कार्यशैली की भी पोल खोल दी है. उन्होंने कहा, ‘ हम कमलनाथ सरकार की कार्यशैली से खुश नहीं हैं.
मीडिया से बातचीत करते हुए गोविंद सिंह राजपूत ने कहा, ‘कमलनाथ ने हमें कभी नहीं सुना, यहां तक की 15 मिनट के लिए भी हमारी बात नहीं सुनी गई. फिर हम अपने क्षेत्र के विकास की बात किससे करेंगे.’

22 बागी विधायकों का एक दल पिछले दस दिनों से अधिक समय से बेंगलुरु में डेरा जमाए हुए है और इन विधायकों ने इस्तीफा भी दे दिया है जिसके बाद से ही कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई है और उसके बाद भाजपा नेता और सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने कमलनाथ सरकार की बहुमत परीक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. जहां सुनवाई चल रही है.

बता दें कि यह सारी कवायद कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य को मौजूदा सरकार में सम्मान नहीं दिए जाने के बाद शुरू हुआ है. वहीं पिछले हफ्ते ज्योतिरादित्य ने 18 साल का अपना कांग्रेस का साथ छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए हैं.

मीडिया से बातचीत के दौरान एक और बागी विधायक इमरती देवी ने कहा, ‘ज्योतिरादित्य हमारे नेता हैं. उन्होंने हमें बहुत कुछ सिखाया है और हम हमेशा उनके साथ रहेंगे. अगर उन्होंने कहा कि हमें कुंए में कूदने के लिए कहा तो हम कुएं में कूदने को भी तैयार हैं.’

बता दें कि सोमवार को मध्यप्रदेश का घटना क्रम बहुत तेजी से बदला है. उच्चतम न्यायालय मप्र की कमलनाथ सरकार को राज्य विधानसभा में विश्वास मत हासिल करने का निर्देश देने के लिये पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान की याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करने पर सोमवार को तैयार हो गया था लेकिन आज सुनवाई के बाद बुधवार को सुनवाई होगी. चौहान ने अपनी याचिका में कहा है कि कमलनाथ सरकार के पास सत्ता में बने रहने का ‘कोई नैतिक, कानूनी, लोकतांत्रिक और संवैधानिक अधिकार’ नहीं रह गया है.

सोमवार को तेजी से हुए घटनाक्रम में चौहान और भाजपा के नौ विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष एन पी प्रजापति के राज्यपाल लालजी टंडन के निर्देशों का उल्लंघन करते हुए शक्ति परीक्षण कराए बिना 26 मार्च तक विधानसभा की कार्यवाही स्थगित किये जाने के तुरंत बाद शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया. प्रजापति ने कोरोना वायरस का हवाला देकर विधानसभा की कार्यवाही स्थगित कर दी थी.

बता दें कि पल पल बदल रही मध्यप्रदेश के सियासी उठापटक के बीच बागी नेताओं ने यह भी कहा है कि हम भाजपा में शामिल होने के बारे में नहीं सोचा है, अभी विचार चल रहा है. विधायकों ने यह भी कहा कि हमें भाजपा ने बंधक नहीं बनाया है हम अपनी मर्जी से यहां रुके हुए हैं.

अध्यक्ष द्वारा छह विधायकों के त्यागपत्र स्वीकार किये जाने के बाद 222 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के सदस्यों की संख्या घटकर 108 रह गयी है. इनमें वे 16 बागी विधायक भी शामिल हैं जिन्होंने इस्तीफा दे दिया है लेकिन उन्हें अभी तक स्वीकार नहीं कर किया गया है. जिससे सूबे की कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई है. जिसे देखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कमलनाथ सरकार के  बहुमत परीक्षण की बात करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

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