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Sunday, 22 December, 2024
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उपचुनाव में सिंधिया की साख दांव पर, तुलसी सिलावट को जिताने के लिए पूर्व कट्टर विरोधियों से मिल रहे

कांग्रेस के पूर्व नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया इंदौर में हैं, जहां उनके सहयोगी तुलसी सिलावट उपचुनाव लड़ रहे हैं, और निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा के शीर्ष नेताओं सहयोग मांगने पहुंच रहे हैं.

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नई दिल्ली: राजनीतिक सीमा तोड़ चुके पूर्व कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया जिनके एक समय तक मध्य प्रदेश में कट्टर विरोधी रहे हैं, इंदौर में वह उन बीजेपी के शीर्ष नेताओं का मननुटाव दूर करने के लिए ओवरटाइम काम कर रहे हैं.

सिंधिया, जिनके विद्रोह ने राज्य में कांग्रेस सरकार को गिराई, इंदौर पहुंचे हैं, जहां उनके करीबी विश्वासपात्र तुलसी सिलावट सान्वर निर्वाचन क्षेत्र से उपचुनाव लड़ रहे हैं.

हालांकि चुनाव की तारीखों की घोषणा होनी बाकी है, लेकिन ग्वालियर के शाही परिवार वारिस के लिए बहुत कुछ दांव पर है- लगता है इससे समझते हुए वह निर्वाचन क्षेत्र में दिन-रात काम कर रहे हैं

वर्तमान में शिवराज सिंह चौहान कैबिनेट में मंत्री सिलावट सिंधिया के सबसे करीबी सहयोगी हैं. सिंधिया के साथ भाजपा में शामिल होने वाले वह पहले कांग्रेस के सिटिंग विधायक थे, उपचुनाव बगावत को लेकर एक प्रकार का जनमत संग्रह बन रहा है.

बहुत कुछ दांव पर लगे होने पर, सिंधिया अब एक बार अपने कट्टर दुश्मनों के पास पहुंचे हैं.


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सिंधिया की मुलाकात बीजेपी के बड़े दिग्गजों से

सोमवार को सिंधिया भाजपा के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय के घर पहुंचे, भाजपा के वरिष्ठ नेता जिनकी इंदौर में मजबूत पकड़ है. सिंधिया ने पश्चिम बंगाल में पार्टी के काम में लगे कैलाश विजयवर्गीय, पत्नी और बेटे आकाश के साथ रात का खाना खाया था.

अपने दौरे पर वह भाजपा के उज्जैन से सांसद अनिल फिरोजिया, इंदौर के सांसद अशोक लालवानी, पूर्व मंत्री पारस जैन, कैबिनेट मंत्री ऊषा ठाकुर, जो महाजन के करीबी सहयोगी हैं, से मिलने से पहले मंगलवार को पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के घर गए और फिर रमेश मेंदोला जो विजयवर्गीय के करीबी और सान्वर सीट के पार्टी प्रभारी के घर गए.

सिंधिया के इंदौर यात्रा के कार्यक्रम की योजना बनाने में शामिल भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘यह महसूस किया जा रहा था कि (सिंधिया) भाजपा में शामिल होने के बाद, क्षेत्र के कई पार्टी नेताओं से नहीं मिले थे.’

नेता ने आगे कहा, ‘राजनीति में, कई नेता इगो रखते हैं जिसे संतुष्ट करना होता है. यदि आप उनके इगो को नहीं संभालते, तो वे पार्टी के खिलाफ काम करना शुरू कर सकते हैं.’ ‘भाजपा इस समय यह जोखिम नहीं उठा सकती है और इसलिए यह निर्णय लिया गया कि वह व्यक्तिगत रूप से विभिन्न मतभेदों को दूर करने के लिए शीर्ष नेताओं के घरों का दौरा करेंगे.’

उन्होंने कहा, राज्य के पूर्व मंत्री पारस जैन, जिनसे मंगलवार को सिंधिया मिले, ने कहा कि राज्यसभा सांसद के प्रयासों का वांछित प्रभाव रखता है. ‘कार्यकर्ताओं ने इसे अच्छी तरह लिया कि ‘महाराज’ हमारा समर्थन पाने के लिए खुद हमारे घर आए.’ उन्होंने कहा, ‘वह एक वरिष्ठ नेता हैं और उनकी हाव-भाव हर एक को छू गया है.’

हालांकि, इंदौर में भाजपा के वरिष्ठ नेता गोविंद मालू ने कहा कि बड़ा दांव सिंधिया के लिए ही नहीं हैं. उन्होंने कहा, ‘यह सिंधिया की प्रतिष्ठा का ही सवाल नहीं है बल्कि शिवराज सरकार का पूरा अस्तित्व इन विधायकों की जीत पर टिका है.’ ‘इसलिए हर कोई उनकी जीत सुनिश्चित करने के लिए प्रयास कर रहा है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खुद इंदौर क्षेत्र का दौरा किया, जबकि वरिष्ठ नेताओं का आशीर्वाद लेने के लिए सिंधिया जी की यात्रा ने और गर्मजोशी पैदा की है.’

जब कट्टर दुश्मन थे

अब सारी बर्फ पिघलने पर सिंधिया के लिए मुख्य रूप से कैलाश विजयवर्गीय के साथ इस क्षेत्र में कुछ ऐतिहासिक प्रतिद्वंद्विता का सवाल है.

दोनों मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (एमपीसीए) को कब्जाने के लिए 2010 के चुनाव में लड़ाई लड़ी थी. जब  विजयवर्गीय राज्य पीडब्ल्यूडी मंत्री और तत्कालीन शिवराज सिंह चौहान मंत्रिमंडल में दूसरे सबसे शक्तिशाली व्यक्ति थे.

सिंधिया तब यूपीए कैबिनेट में केंद्रीय मंत्री थे और पूर्व भाजपा सांसद अरुण जेटली का समर्थन हासिल करने में कामयाब रहे, आखिर में अध्यक्ष पद के लिए विजयवर्गीय को 70 मतों से हराया था.

अब, विजयवर्गीय के लेफ्टिनेंट 24 सीटों के बहुमत के प्रभारी हैं जो उपचुनाव की जिम्मेदारी देख रहे हैं. और यह सब भाजपा के लिए आसान नहीं हो सकता. हाल ही में मंत्रिमंडल विस्तार ने अधिक नाराज़गी पैदा की जब विजयवर्गीय के विश्वासपात्र रमेश मेंदोला को नजरंदाज करते हुए, उषा ठाकुर को पर्यटन मंत्री बनाया गया था.


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2018 के विधानसभा चुनावों में, मेंदोला ने कांग्रेस के मोहन सेंगर को हराया था, सिंधिया के एक और समर्थक जो अब इंदौर में भाजपा में हैं. सेंगर ने पिछले हफ्ते उस समय हलचल मचा दी थी जब उन्होंने सिंधिया का स्वागत करते हुए शहर भर में पोस्टर चिपकाए. विजयवर्गीय और मेंदोला की तस्वीरें पोस्टरों से गायब थीं.

सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हाल ही में उपचुनावों की तैयारियों की समीक्षा के लिए एक वर्चुअल बैठक की थी, जिसमें सिंधिया और अन्य नेताओं ने हिस्सा लिया. ‘बैठक में कुछ निर्वाचन क्षेत्रों का जायजा लिया गया जहां इस वर्ष के अंत में चुनाव होंगे, और वह (चौहान) सोशल मीडिया टीम के काम से नाखुश थे. उन्हें चुनाव से पहले अपनी मौजूदगी बेहतर करने के लिए कहा गया था.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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