रांची: बिहार विधानसभा चुनाव में अब एक महीने से भी कम का समय रह गया है. इस बीच जोड़ तोड़ और आरोप प्रत्यारोप की राजनीति भी जोड़ पकड़ रही है. आरजेडी के पिछले दिनों किए गए सीटों के बंटवारे की घोषणा के बाद वहां मौजूद वीआईपी पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी ने जहां वहीं विरोध का झंडा बुलंद किया था वहीं अब झाऱखंड मुक्ति मोर्चा ने भी आरजेडी से गठबंधन को तोड़ दिया है.
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टूटा जेएमएम और आरजेडी का गठबंधन
आरजेडी से गठबंधन टूटने की जानकारी देते हुए जेएमएम के पार्टी महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा, ‘हम खैरात की राजनीति नहीं करते हैं. हमने राष्ट्रीय जनता दल को झारखंड में अंधेरे पार्टी कार्यालय में दिया जलाने के लिए मौका दिया. लोकसभा में सीट दिया, विधानसभा में सीट और मंत्री दोनों दिया. लेकिन तेजस्वी यादव राजनीतिक मर्यादा भूल गए हैं.’
भट्टाचार्य आगे कहते हैं, ‘आरजेडी ने हमारे साथ राजनैतिक मक्कारी की है. राज्य हमने संघर्ष करके लिया है, खैरात में नहीं लिया है. हमें बिहार में किसी की खैरात नहीं चाहिए. हम अकेले चुनाव लड़ने के लिए सक्षम हैं. हमें आरजेडी का समर्थन नहीं चाहिए. ‘
रांची के राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (रिम्स) के ठीक सामने वाली गली में स्थित झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के पार्टी महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य बिहार में आरजेडी के साथ गठबंधन टूटने की जानकारी प्रेस कांफ्रेंस कर दी.
उनकी आवाज में कभी दर्द तो कभी गुस्से का भाव साफ नजर आ रहा था. लेकिन लगभग 300 मीटर की दूरी पर रह रहे लालू प्रसाद यादव के कानों तक शायद ही उनकी आवाज पुहंच रही होगी. अगर पहुंच भी रही होगी तो शायद फिलहाल लालू यादव उसे सुनना नहीं चाहते होंगे. वह इस समय रिम्स के डायरेक्टर के बंगले में शिफ्ट किए गए हैं. कोविड के खतरे को देखते हुए वार्ड से उन्हें वहां शिफ्ट किया गया है.
उन्होंने कहा, ‘हम सम्मान के साथ समझौता कभी नहीं करते. आरजेडी की 2019 झारखंड विधानसभा चुनाव में कोई रानजीतिक हैसियत नहीं थी. एक सीट तक नहीं थी. हमने आपकी रानजीतिक हैसियत से ज्यादा सीटें दी. कैसे भूल जाते हैं ये सब जो आरजेडी के नए नए नेता बने हैं. हम लालू जी का आदर करते हैं, आगे भी करेंगे.
वह कहते हैं, ‘ लालू जी के लिए भी आज सवाल ये है कि आप सामाजिक न्याय की बात करते हैं. उसके तहत राजनीतिक भागीदारी की बात करते हैं. बिहार के संदर्भ में जेएमएम के लिए इस राजनीतिक भागीदारी की बात कहां चली जाती है. इस सवाल का जवाब तो देना पड़ेगा. अब हम भी राजनीति करना सीख गए हैं.’
जेएमएम के इस बढ़े हुए दर्द का कारण भी साफ है. पिछले महीने लालू यादव को कोरोना के संक्रमण से बचाने के लिए उन्हें अस्पताल से शिफ्ट किया गया. इसके बाद तो वहां बिहार से मिलने वालों का तांता लग गया. गेट पर तैनात सिक्योरिटी गार्ड टिकट को आतुर नेताओं की पर्ची लेकर हर दिन उन तक पहुंचाने लगा. बीजेपी ने हंगामा किया, जेएमएम ने इसे इग्नोर किया. रात के अंधेरे में बिना कोर्ट की अनुमति के नेता लालू तक पहुंचने लगे. जेएमएम ने फिर चुप्पी साधे रखा. निरिक्षण के बहाने स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता मिलने गए. खुद सीएम हेमंत सोरेन मिलने गए. बीते 8 जून को तेजस्वी यादव पिता का जन्मदिन मनाने पहुंचे. कैदी वार्ड को बैलून से सजाया गया और केक भी काटा गया. बदले में जो मिला उसे सुप्रियो भट्टाचार्य के इस बयान से साफ झलक रहा है.
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12 सीट और गठबंधन में फूट
जानकारी के मुताबिक जेएमएम 12 सीटें मांग रही थी. लेकिन फिलवक्त उसने सात सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की घोषणा की है. इसमें झाझा, चकई, कटोरिया, धमदाहा, मनीहारी, पिरपैंती और नाथनगर की सीटें शामिल हैं.
जेएमएम के मुताबिक, ‘ये अभी का निर्णय है. तीन चरण में चुनाव होना है. आगे भी निर्णय लिया जाएगा.’
प्रेस कॉन्फ्रेंस के अंत में सुप्रियो ने एक बार फिर कहा, ‘किसी के कृपापात्र होकर हमें रानजीति नहीं करनी है. आपको आपका 144 सीट मुबारक हो. फिर भी आपको जरूरत पड़ेगी. जब आप विधानसभा के दरवाजे पर दस्तक देंगे, इतने ही सीटों की कुंडी हमारे पास होगी. आरजेडी पुराने दिन को भूल चुका है.’
आखिर क्यों नहीं हुआ गठबंधन
बिहार जेएमएम प्रदेश अध्यक्ष प्रणव कुमार ने स्थिति और स्पष्ट की. उन्होंने बताया, ‘आरजेडी एक भी सीटें देने को तैयार नहीं थी. हम पहले 12 की मांग कर रहे थे, पांच सीट पर भी मानने को तैयार थे, लेकिन गठबंधन नहीं तोड़ना चाहते थे. लेकिन तेजस्वी ने जिस तरह मुकेश सहनी के साथ किया, उसी तरह जेएमएम के साथ भी किया.’
कुमार ने दिप्रिंट को बताया, ‘आखिर में आरजेडी ने कहा कि आप अपनी पार्टी से हमारे उम्मीदवार उतार दीजिए. फिर उन्होंने कहा कि आप गठबंधन में रहिये, हमें जिताने में मदद कीजिए.’’
जेएमएम के इस आरोप पर राज्यसभा सांसद और आरजेडी प्रवक्ता मनोज झा ने दिप्रिंट से बातचीत करते हुए पहले तो सीट संबंधी बातों को टाल दिया. फिर कहा, ‘दोंनों ही पार्टियों का गठबंधन बिल्कुल नैचुरल है. अभी भी समय है, उन्हें गठबंधन में शामिल होना चाहिए. जहां तक राजनीतिक मक्कारी की बात है, मैं ऐसी शब्दावली का प्रयोग नहीं करूंगा. जेएमएम को एक बार फिर अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए. सीट के बारे में बैठकर बात हो सकती है.’
वहीं इस पूरे प्रकरण पर बीजेपी ने जले पर नमक छिड़कने जैसी प्रतिक्रिया दी है. पार्टी के राज्य प्रवक्ता प्रुतल शाहदेव ने कहा, ‘मक्कारी लेकिन सत्ता में साझेदारी. जिसे जेएमएम ने तेजस्वी को झूठा कहा, ये कहा कि लालू यादव के सामाजिक न्याय की बात झारखंड में खत्म हो जाती है, उसी से झारखंड में सत्ता में साझेदारी निभा रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि जेल के अंदर जो हॉस्पिटल है, उसकी साफ-सफाई की अपुष्ट खबर उनतक आई है. इधर रिम्स के नए निदेशक भी ज्वाइन करनेवाले हैं. हालांकि दोनों ही बातों का आपस में कोई संबंध है, यह मैं नहीं कर रहा हूं.’
जेएमएम के दावे और कमजोर आंकड़े
बता दें कि जेएमएम बीते 2015 बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी अध्यक्ष शीबू सोरेन ने पहले तो 50 सीटों पर लड़ने का दावा किया था लेकिन 32 सीटों पर लड़ी और सभी हार गई. इन सभी सीटों पर कुल 1,03,946 वोट मिले. यानी मात्र 2.02 प्रतिशत वोट ही वह हासिल कर पाई. वहीं 2010 के विधानसभा चुनाव जिसमें आरजेडी को करारी हार मिली थी और वह 22 सीटों पर सिमट गई थी, तब भी जेएमएम को कोई खास सफलता नहीं मिली थी. कुल 41 सीटों पर चुनाव लड़ी और एक में जीत हासिल हुई थी. पार्टी को कुल 1,76,400 वोट मिले थे. यानी पूरे राज्य में पड़े कुल वोट का 3.50 प्रतिशत ही उसे हासिल हुआ.
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(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)