नई दिल्ली: शुक्रवार को असम के बारपेटा जिले की एक अदालत से जमानत मिलने के बाद गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवानी ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार पर आरोप लगाया कि उसने मेरे खिलाफ षड्यंत्र रचा है. मेवाणी ने कहा कि उन्हें न्यायतंत्र पर भरोसा है.
उन्होंने कहा, ‘मुझे न्यायतंत्र पर भरोसा था, है और रहेगा. मुझे पुलिस से दुर्व्यवहार करना होता तो गुजरात से मुझे उठाया तब करता. ये बीजेपी सरकार का षड्यंत्र है, वे मेरा हौसला तोड़ना चाहते हैं.’
मुझे न्यायतंत्र पर भरोसा था, है और रहेगा… मुझे पुलिस से दुर्व्यवहार करना होता तो गुजरात से मुझे उठाया तब करता। ये भाजपा सरकार का षड्यंत्र है, वे मेरा हौसला तोड़ना चाहते हैं: बारपेटा(असम) में पुलिसकर्मी पर कथित हमले के मामले में ज़मानत मिलने पर गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवाणी pic.twitter.com/JzVR68JE1I
— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 29, 2022
बता दें कि शुक्रवार को असम के बारपेटा जिले की एक अदालत ने गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवानी को एक महिला पुलिस अधिकारी पर कथित ‘हमले’ से संबंधित एक मामले में जमानत देते हुए ‘झूठी प्राथमिकी’ दर्ज करने के लिए राज्य पुलिस की खिंचाई की.
बारपेटा जिला और सत्र न्यायाधीश अपरेश चक्रवर्ती ने जमानत याचिका पर सुनवाई करते पिछले एक साल में पुलिस मुठभेड़ों का जिक्र करते हुए गुवाहाटी हाई कोर्ट से आग्रह किया कि वह राज्य पुलिस बल को ‘खुद में सुधार’ करने का निर्देश दे.
बारपेटा रोड पुलिस थाने में दर्ज मामले में मेवानी को एक हजार रुपए के निजी मुचलके पर जमानत दी गई.
मेवानी को महिला पुलिस अधिकारी पर कथित रूप से उस समय हमला करने के आरोप में सोमवार को गिरफ्तार किया गया था, जब उन्हें एक पुलिस दल द्वारा गुवाहाटी से कोकराझार ले लाया जा रहा था.
अदालत ने कहा कि दो अन्य पुलिस अधिकारियों की उपस्थिति में महिला पुलिस अधिकारी का शील भंग करने की मंशा का आरोप आरोपी के खिलाफ नहीं लगाया जा सकता, जब वह उनकी हिरासत में था और जिसे किसी और ने नहीं देखा.
न्यायाधीश ने कहा कि हाई कोर्ट असम पुलिस को ‘मौजूदा मामले की तरह झूठी प्राथमिकी दर्ज करने और आरोपियों को गोली मारने और मारने या घायल करने वाले पुलिस कर्मियों को रोकने के लिए खुद में सुधार करने का निर्देश देने पर विचार कर सकता है, जो राज्य में एक नियमित घटना बन गई है.’
आदेश में कहा गया है कि हाई कोर्ट कानून और व्यवस्था की ड्यूटी में लगे प्रत्येक पुलिस कर्मी को ‘बॉडी कैमरा पहनने, किसी आरोपी को गिरफ्तार करते समय या किसी आरोपी को सामान या अन्य कारणों से किसी स्थान पर ले जाने के दौरान गाड़िों में सीसीटीवी कैमरे लगाने, सभी पुलिस थानों के अंदर सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्देश देने पर भी विचार कर सकता है.’
इसमें कहा गया है, ‘हमारा राज्य एक पुलिस राज्य बन जाएगा जिसे समाज बर्दाश्त नहीं कर सकता.’
अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि इस आदेश को हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को प्रस्तुत किया जाए ताकि इसे मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखा जाए और वह इस पहलू पर गौर करें और इस बात पर विचार करें कि क्या इस मामले को ‘राज्य में जारी पुलिस ज्यादतियों पर रोक लगाने के लिए एक जनहित याचिका (पीआईएल) के रूप में लिया जा सकता है.’
कांग्रेस समर्थित गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी को पिछले हफ्ते असम पुलिस के एक दल ने गुजरात से पकड़ा था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर कथित रूप से किये गए एक ट्वीट के लिए उनके खिलाफ एक मामले में गिरफ्तार किया था जिसमें उन्होंने दावा किया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘गोडसे को भगवान मानते हैं.’
ट्वीट को लेकर मामले में सोमवार को जमानत पर रिहा किए जाने के बाद गुजरात के दलित नेता को उस महिला पुलिसकर्मी पर हमले के आरोप में फिर से गिरफ्तार कर लिया गया था जो उस पुलिस दल में शामिल थी जो मेवानी के साथ कोकराझार गया था. हमले के मामले में एक शिकायत बारपेटा में दर्ज की गई.
मेवानी के वकील अंगशुमान बोरा ने बताया कि मेवानी को पहले कोकराझार ले जाया जाएगा क्योंकि वहां की अदालत से जमानत मिलने के बाद कुछ औपचारिकताएं पूरी की जानी बाकी हैं. उन्होंने कहा, ‘जमानत मिलने और बारपेटा लाए जाने के तुरंत बाद उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया गया. कोकराझार में औपचारिकताएं अभी पूरी की जानी बाकी हैं.’
इन औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद मेवानी को गुवाहाटी ले जाए जाने की संभावना है.
भाषा के इनपुट से
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