नई दिल्ली: राजनीतिक संकट के बीच यूपीए नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने राज्यपाल से मांग की कि वो मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधायक सदस्यता के निर्णय से जुड़ी चुनाव आयोग की सिफारिश को उजागर करें. इसके लिए प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल बैस को एक ज्ञापन भी सौंपा है.
ज्ञापन में कहा गया, ‘हम आपसे अनुरोध करते हैं कि चुनाव आयोग से प्राप्त सिफारिश (यदि कोई हो) को तत्काल घोषित करें. महामहिम की ओर से त्वरित कार्रवाई लोकतंत्र के उद्देश्य की सेवा करेगी और आगे की देरी संवैधानिक कर्तव्यों और मूल्यों के खिलाफ होगी, जिसे आपके महामहिम के प्रतिष्ठित कार्यालय से बनाए रखने की उम्मीद है.’
ज्ञापन में कहा गया है कि मीडिया में बहुत सारी खबरें हैं जो सनसनीखेज तरीके से प्रस्तुत की जा रही हैं.
ज्ञापन में आगे कहा गया कि इन सभी खबरों को महामहिम कार्यालय से लीक होने की सूचना दी जा रही है और यह दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि राज्यपाल का कार्यालय संवैधानिक होने के कारण जनता का बहुत सम्मान है. यहां तक कि कार्यालय से बाहर आने वाली झूठी अफवाह को भी गंभीरता से लिया जाता है.
यूपीए नेताओं ने यह भी आरोप लगाया कि राज्यपाल के कार्यालय से लगाई जा रही फटकार के कारण प्रशासन का काम प्रभावित हो रहा है और राज्य में अशांति पैदा हो रही है.
ज्ञापन ऐसे समय में सौंपा गया है जब बीजेपी ने सोरेन को एक विधायक के रूप में अयोग्य घोषित करने की मांग की है. बीजेपी ने आरोप लगाया गया है कि उन्होंने 2021 में खनन मंत्री का पोर्टफोलियो अपने पास रखने के दौरान खुद को खनन पट्टा आवंटित किया था.
गौरतलब है कि 81 सदस्यीय झारखंड विधानसभा में, सत्तारूढ़ गठबंधन के पास झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के 30 विधायक, कांग्रेस के 18 विधायक और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का एक विधायक है.
मुख्यमंत्री कार्यालय ने गुरुवार को उन अटकलों के बाद एक बयान जारी किया जिसमें कहा जा रहा था कि चुनाव आयोग ने सोरेन की अयोग्यता के बारे में राज्यपाल बैस को एक रिपोर्ट भेजी है.
इसने आरोप लगाया कि बीजेपी नेताओं ने खुद चुनाव आयोग की रिपोर्ट का मसौदा तैयार किया है, ‘जो अन्यथा एक सीलबंद कवर रिपोर्ट है.’
इस साल फरवरी में, बीजेपी ने राज्य के राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपा जिसमें लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 9 (ए) के तहत सोरेन को सदन से अयोग्य घोषित करने की मांग की गई.
राज्यपाल ने बीजेपी की शिकायत को चुनाव आयोग को भेज दिया था और चुनाव आयोग ने मई में झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता को नोटिस जारी किया था.
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