रांची : झारखंड विधानसभा चुनाव में जमशेदपुर पूर्वी इस वक्त सबसे हॉट सीट बनी हुई है. यहां से से सीएम रघुवर दास, तीन सीएम को जेल का रास्ता दिखाने वाले सरयू राय और कांग्रेस के संबित पात्रा नाम से मशहूर गौरव वल्लभ चुनाव लड़ रहे हैं. लेकिन एक और सीट है जो चर्चा का विषय बन गई है, यह है रांची जिले में आने वाली तमाड़ सीट. यहां चौथे चरण में चुनाव होना है. यहां से सुपारी देने वाला, सुपारी लेने वाला और उस सुपारी से मरने वाले का बेटा एक दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में हैं.
मधु कोड़ा सरकार में मंत्री रहे रमेश सिंह मुंडा की हत्या की कथित तौर पर सुपारी देने का आरोप राजा पीटर पर है. वह अर्जुन मुंडा की सरकार में उत्पाद एवं मद्य निषेध मंत्री भी रह चुके हैं. सुपारी लेने के आरोपी पूर्व नक्सली कमांडर और 15 लाख रुपए का ईनामी कुंदन पाहन पर फिलहाल 100 से अधिक मामले दर्ज हैं.
इस सुपारी से जिस मंत्री की हत्या हुई रमेश सिंह मुंडा, के बेटे विकास सिंह मुंडा इस विधानसभा क्षेत्र के वर्तमान विधायक हैं. मामला एनआईए के पास है.
विकास मुंडा झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के टिकट पर, कुंदन पाहन निर्दलीय और राजा पीटर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) से चुनाव लड़ रहे हैं. सोमवार को तीनों ने अपना नांमांकन भरा. यहां दूसरे चरण में यानी 7 दिसंबर को चुनाव होना है.
सुपारी और हत्या के मामले में राजा पीटर की पत्नी आरती पीटर ने कहा कि किसी की हत्या कर चुनाव नहीं जीता जा सकता है. जनता किसी हत्यारे को वोट नहीं देती है. पहले भी मेरे पति जनता के प्यार से जीते थे, इस बार भी जीतेंगे. मेरे पति दोषी हैं या निर्दोष, ये न्यायालय को तय करने दीजिए.
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जेल से तैयार होगी चुनाव प्रचार की रणनीति
कुंदन पाहन पहले झारखंड पार्टी (झापा) के उम्मीदवार घोषित किए गए थे लेकिन नामांकन से ठीक एक दिन पहले पार्टी ने उनकी उम्मीदवारी वापस ले ली. फिर उन्होंने 19 नवंबर को निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल किया. कुंदन के वकील ईश्वर दयाल किशोर ने बताया कि इस महीने 8 तारीख को उन्होंने कहा कि वो लोगों की सेवा करना चाहते हैं तब मैंने कोर्ट से अनुमिती मांगी थी. फिलहाल उनके कुछ लोग हैं जो चुनाव प्रचार देख रहे हैं.
वहीं राजा पीटर के वकील अरविंद कुमार लाल ने बताया कि वह एनसीपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. चुनाव प्रचार कैसे होगा, यह उनके और उनके मुव्वकिल के बीच की बात है, जिसे वह मीडिया के सामने नहीं रख सकते हैं. फेसबुक पर आपका अपना राजा पीटर नाम से एक पेज चल रहे हैं. उनकी पत्नी और कार्यकर्ता चुनाव प्रचार का जिम्मा संभाल रहे हैं.
रॉबिनहुड की छवि वाले राजा पीटर
2009 में मधु कोड़ा की सरकार गिरी. शिबू सोरेन मुख्यमंत्री बने. उस वक्त वह झारखंड विधानसभा के सदस्य नहीं थे. सीएम पद पर रहते हुए तमाड़ से चुनाव लड़ा. सामने थे जदयू के टिकट से राजा पीटर. ऐन वक्त पर बीजेपी ने इन्हें समर्थन कर दिया और शिबू सोरेन चुनाव हार कर सरकार गंवा बैठे. किशोर कुमार के गाने बहुत फीलिंग के साथ गाने वाले इस नेता का पूरा नाम गोपाल सिंह पातर उर्फ राजा पीटर है.
राजा पीटर ने 1979 में टाटा स्टील में ट्रेड अप्रेंटिस की परीक्षा दी थी. आदिवासी और मूलवासी कैटगरी में रिजल्ट में अव्वल रहे. नौकरी शुरू की तो विवाह हुआ मनीषा उर्फ बेला खेस से. इसी बीच कुख्यात डकैत युनूस के सहयोगी शेखर शर्मा ने राजा पीटर की पत्नी से अभद्रता की. राजा को यह नागवार गुजरा और उसने शेखर को बुरी तरह मारा. चूंकि शेखर अपराधियों से सांठ-गांठ रखता था, ऐसे में खुद को बचाने के लिए पीटर भी अपराध की दुनिया की तरफ बढ़ता चला गया.
इस बीच एक दिन पत्नी स्टोव पर खाना पका रही थी कि हादसा हुआ और उनकी जलने से मौत हो गई. बाद में उन्होंने आरती कुरी पीटर से शादी कर ली. 1995 में जमशेदपुर में क्राइम कंट्रोल ऑपरेशन में वहां के तात्कालिक एसपी डॉ अजय कुमार (पूर्व झारखंड कांग्रेस अध्यक्ष वर्तमान में आप नेता) के हत्थे राजा पीटर चढ़ गया. तब तक उस पर मर्डर, आर्म्स एक्ट, धमकाने और मारपीट के कई केस दर्ज हो चुके थे. राजा का इतिहास जानने के बाद एसपी डॉ. अजय ने उसे जिलाबदर करा दिया.
जिलाबदर किए जाने के बाद राजा पीटर ने रांची से 58 किसोमीटर दूर तमाड़ इलाके में अपना जनाधार बनाना शुरू किया. लेकिन उसी इलाके में मजबूत पैठ और जनाधार रखने वाले विधायक रमेश सिंह मुंडा बड़ी चुनौती थे. 9 जुलाई 2009 को बुंडू के एक स्कूल के कार्यक्रम में शामिल होने गए मुंडा की हत्या नक्सलियों ने कर दी.
मंत्री, डीएसपी, पुलिसकर्मियों के हत्या का आरोपी है कुंदन पाहन
2015 में राममोहन नाम का एक नक्सली पुलिस की गिरफ्त में आया. अपनी स्वीकारोक्ति में उसने इस घटना का जिक्र किया कि विधायक रमेश सिंह मुंडा हत्याकांड में उसका हाथ था. इसमें एक सफेदपोश भी शामिल थे. राममोहन उस वक्त तक नामी नक्सली कुंदन पाहन का दाहिना हाथ हुआ करता था. गिरफ्तारी के समय वह जोनल कमांडर भी बन चुका था.
इधर साल 14 मई 2017 को रांची में कुंदन पाहन ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया. उस पर पर बुंडू विधानसभा क्षेत्र के विधायक रमेश सिंह मुंडा की हत्या, बुंडू डीएसपी प्रमोद कुमार समेत 6 पुलिसकर्मियों की हत्या, आईसीआईसीआई बैंक के 5.5 करोड़ रुपए और एक किलो सोने की लूट के अलावा सांसद सुनील महतो की हत्या, पुलिस इंस्पेक्टर फ्रांसिस इंदवार की हत्या समेत कई मामलों में मुख्य रूप से शामिल होने के आरोप हैं.
कुंदन पाहन के वकील ने आरोप पर बोलने से फिलहाल इनकार कर दिया है. उन्होंने कहा कि मामला कोर्ट में है, इसीलिए मीडिया में टिप्पणी नहीं कर सकते.
झारखंड में यह पहला मौका नहीं है जब कोई भाकपा माओवादी चुनाव लड़ रहा हो. इससे पहले केश्वर यादव, कामेश्वर बैठा चुनाव लड़ चुके हैं. वहीं उग्रवादी संगठनों में पीएलएफआई के वर्तमान तोरपा विधायक पौलुस सुरीन, टीपीसी के गणेश गंझू, पीएलएफआई के कमांडर जीदन गुड़िया की पत्नी जोनिका गुड़िया (बीजेपी नेता, खूंटी जिला परिषद अध्यक्ष), माओवादी कुलदीप गंझू अपनी किस्मत आजमा चुके हैं.
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पिता की विरासत बचाने के लिए संघर्ष कर रहे विकास सिंह मुंडा
पिता रमेश सिंह मुंडा 2005 में जेडीयू के टिकट पर तमाड़ विधानसभा से विधायक बने थे. 2008 में उनकी हत्या के बाद हुए उपचुनाव में शिबू सोरेन यहां से लड़े और उन्हें राजा पीटर ने हराया. राजा 2009 में हुए विधानसभा चुनाव में भी जीतकर आए.
अगले विधानसभा चुनाव 2014 में रमेश सिंह के बेटे विकास मुंडा को आजसू ने टिकट दिया और वह जीत गए. हालांकि इस बार वह आजसू को छोड़ जेएमएम के टिकट से चुनाव लड़ रहे हैं. राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा भी जोरों से थी कि वह बीजेपी में शामिल होने वाले हैं. बात न बनने पर 20 अक्टूबर 2019 को जेएमएम का झंडा थाम लिया.
विधायक विकास मुंडा ने कहा कि जो लोग कभी जन अदालत लगाते थे, आज जेल में हैं. न्यायालय का फैसला जो हो, घटना तो हुई है, लोगों के सामने हुई है. समाज सब देख रहा है. जब तक बात पूरी तरह सामने नहीं आयी थी, लोगों ने राजा पीटर को विधानसभा भेजा. अब बात खुलकर सामने आ गयी है, वो जेल में हैं. ऐसे में जनता उसी हिसाब से फैसला देगी.
81 सदस्यीय विधानसभा के लिए राज्य में 30 नवंबर से चुनाव शुरू होने वाले हैं. इस बार चुनाव आयोग ने पांच चरणों में मतदान कराने का फैसला किया है. चुनाव परिणाम 23 दिसंबर को आएंगे. मतदाता तय करेंगे कि पूर्व नक्सली, पूर्व मंत्री या फिर वर्तमान विधायक में से कौन तमाड़ से उनकी आवाज विधानसभा में उठाएगा.
(आनंद दत्ता स्वतंत्र पत्रकार हैं.)