सिल्ली/रांची/रामगढ़: सन् 2000 में झारखंड और छत्तीसगढ़ एक साथ ही बने थे. दोनों राज्यों में ट्राइबल पॉपुलेशन अच्छी खासी संख्या में है. लेकिन दोनों राज्यों का चुनावी मसला अलग-अलग रहा है. छत्तीसगढ़ में लगातार गैर आदिवासी मुख्यमंत्री ही बनते आ रहे हैं. वहीं झारखंड में पहली बार रघुवर दास के रूप में गैर आदिवासी मुख्यमंत्री मिला है. इसी साल हुए विधानसभा चुनावों में छत्तीसगढ़ में एंटी इनकम्बेंसी भाजपा के खिलाफ गई और कांग्रेस ने बहुमत हासिल किया. वहीं झारखंड में भाजपा का मामला फिलहाल फंसता दिख रहा है, इस चुनाव में मतदाता अपना सरताज किसे बनाएंगे, कोई नहीं जानता.
12 दिसंबर को धनबाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली में जुटे रांची में भाजपा के दफ्तर में कार्यकर्ता व्यस्त दिखे तो क्षेत्रीय पार्टियां बूथ मैनेजमेंट को लेकर जुटी हुई नज़र आईं. दिप्रिंट से बात करते हुए झारखंड भाजपा के जनरल सेक्रेटरी दीपक प्रकाश कहते हैं, ‘इस चरण में हम 17 में से 16 सीटों पर उतरे हैं और जीत के लिए आश्वस्त हैं. इसमें कोई शक नहीं है लेकिन ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन (आजसू) से हमारे मतभेद जरूर हुए हैं, मनभेद नहीं. हम पूर्ण बहुमत से सरकार बना रहे हैं चाहे कोई सा भी चरण हो.’
आजसू के किंगमेकर बनने की स्थिति?
बता दें कि झारखंड में कभी किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है. लेकिन झारखंड में विपक्ष एकमत है इसलिए इसबार भाजपा को दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है. रघुवर दास की इमेज को हाल-फिलहाल में काफी धक्का लगा है. दो मुख्यमंत्रियों को जेल भिजवाने का क्रेडिट लेनेवाले भाजपा नेता सरयू राय पहले ही रघुवर दास के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं और अब उन्हें पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया गया है. इससे पार्टी की इमेज को भी काफी धक्का लगा है.
मनभेद और मतभेद वाली बात पर आजसू पार्टी के प्रवक्ता देव शरण भक्त कहते हैं, ‘पिछले विधानसभा में हम आठ सीटों पर लड़े थे पांच जीते थे. लोकसभा चुनाव में हम एक सीट पर लड़े और जीते. हमारी जीत का अंदाजा इसी रिजल्ट से लगा लीजिए. अगर 53 उम्मीदवार मैदान में हैं तो कितनी सीटों पर जीतेंगे. इस फेज में हमारे 14 उम्मीदवार हैं. हम जनादेश का सम्मान करेंगे और राज्य को स्थिर सरकार देंगे.’
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मतलब साफ है कि आजसू और भाजपा नतीजों के बाद के गठबंधन को लेकर पहले से ही सोच कर चल रही हैं. दिप्रिंट से हुई बातचीत में हेमंत सोरेन इसपर तंज कसते हैं, ‘ये दोनों पार्टियां अलग कब हुई थीं?’ ध्यान रहे कि भाजपा ने सुदेश महतो के खिलाफ कोई प्रत्याशी नहीं उतारा है.
भाजपा और आजसू के लिए तीसरा फेज निर्णायक
11 दिसंबर को झारखंड विधानसभा चुनावों के तीसरे फेज का कैंपेन खत्म हो चुका है और 12 दिसंबर को तीसरे फेज की आठ जिलों में फैली 17 सीटों का फैसला हो जाएगा. इन सीटों में से दो सीटें कांके और सिमरिया एससी के लिए और एक सीट खिजरी एसटी के लिए रिजर्व हैं. पिछले चुनाव में भाजपा ने इन 17 सीटों में से 7 पर जीत हासिल की थी. तीसरा फेज भाजपा का सबसे मजबूत किला है. तीन-तीन सीटें झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) की थीं. कांग्रेस की दो और आजसू की एक थी. सीपीआई की भी एक सीट थी. लेकिन चुनाव के बाद भाजपा में झाविमो के छह विधायक शामिल हो गये थे.
भाजपा की पूर्व सहयोगी पार्टी आजसू के लिए भी 12 दिसंबर ही सबसे निर्णायक है. कुछ दिनों पहले सीटों की संख्या को लेकर आजसू ने भाजपा ने अपना नाता तोड़ लिया था. आजसू चीफ सुदेश महतो की सीट पर भी इसी चरण में चुनाव हो रहा है. पर पिछले पांच सालों में बाकी सीटों पर भी आजसू ने खुद को मजबूत किया है. ज्ञात रहे कि आसू नेता चंद्रप्रकाश चौधरी मोदी लहर में सांसद बन गये और उनकी पत्नी इसी फेज में विधानसभा चुनाव लड़ रही हैं. वहीं चुनाव से ठीक पहले भाजपा के बड़े नेता राधाकृष्ण किशोर आजसू में शामिल हो गए थे. 2000 के बाद पहली बार भाजपा और आजसू अलग-अलग चुनाव लड़ रही हैं.
इस चरण में भाजपा व आजसू के अलावा झारखंड विकास मोर्चा 17 सीटों पर है. इनके अलावा लोजपा, सपा, आप, सीपीआई, तृणमूल कांग्रेस, हिंदुस्तानी अवामी मोर्चा, जनता दल यूनाइटेड और शिवसेना भी अलग अलग सीटों पर लड़ रही हैं.
इस फेज में लड़ रहे 91 उम्मीदवारों पर आपराधिक मुकदमें दर्ज
चुनाव आयोग के मुताबिक इन 17 सीटों पर लगभग 56 लाख वोटर हैं और लगभग 300 उम्मीदवार हैं. 7000 के ऊपर पोलिंग बूथ बनाये गये हैं. रांची, हटिया, कांके, बरकट्ठा और रामगढ़ में सुबह 7 बजे से शाम 5 बजे तक वोटिंग होगी और बाकी 12 सीटों कोडरमा, बरही, बड़कागांव, मांडू, हजारीबाग, सिमरिया, धनवार, गोमिया, बेरमो, ईचागढ़, सिल्ली तथा खिजरी पर 3 बजे तक. सबसे रोचक लड़ाई मांडू सीट पर है. यहां पर दो भाई एक दूसरे के खिलाफ खड़े हैं. भाजपा से जे पी पटेल और झामुमो से राम प्रकाश पटेल खड़े हैं.
एडीआर के मुताबिक इन 17 सीटों के एक चौथाई उम्मीदवार करोड़पति हैं. 91 पर आपराधिक मुकदमे हैं. 62 पर गंभीर आपराधिक मुकदमे हैं. 10 ऐसे उम्मीदवार हैं जिन पर औरतों के खिलाफ अपराध के मुकदमे हैं. 2 पर हत्या का मुकदमा है. 13 पर हत्या के प्रयास का. वहीं 2 कन्विक्ट हो चुके हैं. हटिया, इचागढ़ और बरकट्ठा में सबसे ज्यादा आपराधिक मुकदमों वाले उम्मीदवार हैं.
मतदाता देख सकेंगे मोबाइल ऐप पर बूथ का हाल
रांची, रामगढ़ और हजारीबाग के मतदाताओं को बूथ ऐप की सुविधा दी गई है. वो मोबाइल ऐप पर ही वह देख लेंगे कि मतदाताओं की लाइन कितनी लंबी है. इस बार 81 में से 10 विधानसभाओं में ये सुविधा दी जा रही है. मतदाताओं को क्यूआर कोड वाले वोटर स्लिप दिये जा रहे हैं. बूथ पर इसे स्कैन कर टोकन नंबर दिया जाएगा, फिर अपनी बारी आने पर वो वोट करेंगे. जिन्हें ये स्लिप नहीं मिली है, वो वोटर हेल्पलाइन ऐप से डाउनलोड कर सकते हैं.
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2014 में झामुमो, राजद और कांग्रेस अलग अलग लड़ी थीं. जबकि 2019 में तीनों पार्टियां साथ लड़ रही हैं. इस बार नतीजे बदलने की संभावना है. झामुमों पार्टी के एक स्थानीय नेता दिप्रिंट को बताते हैं, ‘लोकसभा के नतीजों के बाद हम थोड़ा आहत थे लेकिन जैसे ही भाजपा पार्टी ने रघुवर दास को अपना सीएम कैंडिडेट बनाया, हमें लगा कि अब तो मैदान में पूरे जोर-शोर से उतरना ही पड़ेगा.’
तीसरे चरण के लिए शीर्ष नेताओं ने किया चुनावी प्रचार
तीसरे फेज में भाजपा के लिए नरेंद्र मोदी, राजनाथ सिंह, जे पी नड्डा और स्मृति ईरानी ने कैंपेन किया है. इसके अलावा भाजपा के स्थानीय सांसदों ने भी मोर्चा संभाला है. वहीं कांग्रेस की तरफ से राहुल गांधी ने मोर्चा संभाला. इस फेज में भाजपा के सीपी सिंह, झारखंड विकास मोर्चा के बाबूलाल मरांडी, कांग्रेस के राजेंद्र प्रसाद सिंह का भाग्य निर्धारण होगा. हाल में ही नरेंद्र मोदी ने बरही और बोकारो में रैली की. राहुल गांधी ने बरकट्ठा और रांची में रैलियां कीं.
भाजपा के सुपरस्टार प्रचारक नरेंद्र मोदी ने अपने अंदाज में झारखंड से अपना नाता जोड़ते हुए सप्ताह भर पहले कहा था कि मैं जब खूंटी एक कार्यकर्ता के रूप में आता था, मैं पूर्व लोकसभा स्पीकर करिया मुंडा से काफी कुछ सीखता था. करिया मुंडा खूंटी से कई बार सांसद रह चुके हैं. आजादी की लड़ाई के ट्राइबल नायकों बिरसा मुंडा और ताना भगतों को भी मोदी ने याद किया है. वहीं 1971 के भारत-पाक युद्ध में परमवीर चक्र प्राप्त शहीद अल्बर्ट एक्का को भी मोदी अपने भाषणों में लाते हैं. मोदी ने झारखंड को उन्नीस वर्ष का युवा भी कहा है जो आगे आनेवाले पांच सालों में काफी प्रगति करेगा.
वहीं राजनाथ सिंह ने झारखंड में बोलते हुए कहा था- हमारा साफ इरादा है. हम दुनिया के किसी देश को छेड़ेंगे नहीं. लेकिन जो हम को छेड़ेगा, हम छोड़ेंगे नहीं.
स्मृति ईरानी ने अपनी सभा में कहा था कि रामराज्य की कल्पना करें और लक्ष्मण को चुनें. राम लक्ष्मण साथ हैं. ईरानी ने ये बात मोदी और रघुवर दास के संदर्भ में कही थी.
रांची के युवा भाजपा कार्यकर्ता नरेंद्र मोदी और राजनाथ सिंह की बातों को ही दुहराते हैं. उनकी नजर में झारखंड देश से अलग नहीं है, इसलिए 370, राम मंदिर, पाकिस्तान और एनआरसी ही मुख्य मुद्दा हैं.
तीसरे फेज में रांची और आस पास के इलाकों में चुनाव है. ये एरिया कारखानों के लिए जाना जाता था. पर फिलहाल उद्योग धंधे बुरी स्थिति में हैं. इस इलाके को पहले छोटानागपुर कहा जाता था.