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Friday, 20 December, 2024
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झारखंड के ये चार चर्चित उम्मीदवार, जो थे मुख्यमंत्री पद के दावेदार

झामुमो के हेमंत सोरेन के हाथ बाजी लगती दिख रही है. इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, मौजूदा मुख्यमंत्री रघुवर दास, आजसू चीफ सुदेश महतो प्रमुख दावेदार रहे.

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नई दिल्ली: झारखंड चुनाव नतीजों की घोषणा हो चुकी है. गठबंधन को बहुमत मिला है. सत्ताधारी पार्टी भाजपा को 65 पार के नारे के मुताबिक सीटें हासिल नहीं हुईं. चुनाव से पहले तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं. साथ ही राजनीतिक विश्लेषकों की नजर इस बात पर भी रही कि क्या विधानसभा चुनावों में राष्ट्रीय मुद्दों की बजाय स्थानीय मुद्दे हावी हो पाएंगे? इस विधानसभा चुनाव में चार चेहरे मुख्य रूप से चर्चा में रहे. ये चेहरे हैं- पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, मौजूदा मुख्यमंत्री रघुवर दास, आजसू चीफ सुदेश महतो और गठबंधन के उम्मीदवार हेमंत सोरेन.

मुख्यमंत्री रघुवर दास हार रहे हैं चुनाव

रघुवर दास इस विधानसभा चुनाव के सबसे चर्चित चेहरों में से एक रहे. एक तरफ तो उन्हें अपनी पार्टी के अंदर विरोध झेलना पड़ा और दूसरा आम जनता के बीच उनके घमंडी होने की छवि बन चुकी थी. उनके पक्ष में एक बात ये रही कि रघुवर दास राज्य के पहले गैर आदिवासी मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने अपने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया है. भाजपा ने रघुवर दास को ही मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाकर चुनाव लड़ा. इसके चलते पार्टी के नेता सरयू राय बागी हो गए हैं और नाराजगी में उन्होंने रघुवर दास के खिलाफ ही पूर्वी जमशेदपुर सीट से चुनाव लड़ा. चुनावी नतीजों में रघुवर दास 15,808 हजार वोटों से पिछड़ गए हैं. उन्होंंने हार स्वीकार कर ली है.

गौरतलब है कि झारखंड को बने हुए 19 साल ही हुए हैं और इस दौरान जनता ने 6 मुख्यमंत्री देख लिए हैं. रघुवर से पहले कोई भी मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया था. उनके खिलाफ गठबंधन की तरफ से कांग्रेस ने अपने राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ को उतारा था. गौरव वल्लभ 10,000 हजार वोट लाकर इस सीट से तीसरे नंबर पर रहे.

बाबूलाल मरांडी, झाविमो पार्टी

चुनावी रूझानों में झारखंड विकास मोर्चा को इस बार सत्ता में किंगमेकर के तौर पर देखा जा रहा था. 2014 के विधानसभा चुनावों में भाजपा को 37 सीटें मिली थी लेकिन भाजपा ने झाविमों के छह विधायक तोड़कर भाजपा में शामिल कर लिए. इसलिए भी ये चुनाव झाविमों प्रमुख बाबूलाल मरांडी की साख बचाने के हिसाब से महत्वपूर्ण रहा है क्योंकि एक समय में वो खुद भाजपा का हिस्सा रहे थे. चुनावी नतीजों में वो भाजपा के उम्मीदवार लक्ष्मण प्रसाद सिंह से 20 हजार वोटों से आगे चल रहे हैं.

गौरतलब है कि झारखंड के गठन के बाद बाबूलाल मरांडी राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने थे. 2006 में वो भाजपा से अलग हो गए और झारखंड विकास मोर्चा पार्टी बना ली. पिछले विधानसभा चुनाव में दो सीटों पर चुनाव लड़े थे. एक थी गिरीडीह सीट थी और दूसरी धनवार. इन दोनों ही सीटों पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. इस बार वो अपनी पैतृक क्षेत्र धनवार से चुनावी मैदान में थे और इस सीट भारी वोटों से जीते. उन्होंने भाजपा के लक्ष्मण सिंह को 17550 वोट से हराया.

आजसू पार्टी से सुदेश महतो जीते

सिल्ली विधानसभा सीट से ऑल झारखंड स्टूडेंट पार्टी चीफ सुदेश महतो चुनावी मैदान में थे. सिल्ली विधानसभा सीट उनका गढ़ रहा है. 2000 में अलग राज्य बनने के बाद से वो लगातार 2005 और 2009 में लगातार विधायक रहे. लेकिन 2014 में वो  झारखंड मुक्ति मोर्चा के अमित महतो ने से हार गए. बाद जब इस सीट पर उपचुनाव हुए तो भी सुदेश को अमित की पत्नी सीमा के हाथों हार का सामना करना पड़ा था.

इस बार सिल्ली सीट पर भाजपा ने कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है. उन्होंने सीधी टक्कर में गठबंधन के उम्मीदवार सीमा देवी को 20195 वोटों से हरा दिया है.

झामुमो से हेमंत सोरेन की जीत

झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरने ने पिछली बार दुमका और बरहेट विधानसभा सीटों से चुनाव लड़ा था. लेकिन वो दुमका विधानसभा सीट से हार गए थे. बरहेट से उन्होंने भाजपा उम्मीदवार हेमलाला मूर्मू को लगभग 23 हजार वोटों से हराया था. इस बार भी वो इन दोनों ही सीटों से चुनावी मैदान में उतरे थे.

दुमका सीट से सोरेन भाजपा के लुईस मरांडी 13188 वोट से जीत गए हैं. बरहेट विधानसभा सीट से वो भाजपा के उम्मीदवार सिमोन मालतो से 25740 वोटों से जीत दर्ज की है.

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