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Saturday, 21 December, 2024
होमराजनीतिअगर हमें पाकिस्तान से निर्देश मिले हैं तो राम माधव सबूत पेश करें: उमर अब्दुल्ला

अगर हमें पाकिस्तान से निर्देश मिले हैं तो राम माधव सबूत पेश करें: उमर अब्दुल्ला

उमर बोले, 'आप मेरे सहयोगियों की कुर्बानी का अनादर कर रहे हैं, जिन्होंने पाकिस्तान के निर्देश पर चलने से इनकार किया और मारे गए.'

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नई दिल्ली: जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री व नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने गुरुवार को भाजपा महासचिव राम माधव की इस टिप्पणी पर कड़ी नाराजगी जताई कि नेशनल कांफ्रेंस व पीडीपी ने शहरी स्थानीय निकाय के चुनावों का बहिष्कार पाकिस्तान के इशारे पर किया था और अब वे पाकिस्तान के निर्देश पर गठबंधन बनाने की कोशिश कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा है कि हमें पाकिस्तान से निर्देश मिले हैं. मैं राम माधव व उनके सहयोगियों को साक्ष्य के साथ इसे साबित करने की चुनौती देता हूं.’

उन्होंने कहा, ‘आप मेरे सहयोगियों की कुर्बानी का अनादर कर रहे हैं, जिन्होंने पाकिस्तान के निर्देश पर चलने से इनकार कर दिया और मारे गए.’

भाजपा के सहयोगी भाजपा से असहमत

राजग के कम से कम दो प्रमुख सहयोगियों ने राममाधव के बयान से दूरी बना ली. जदयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने दिप्रिंट से कहा कि राम माधव का बयान गैरजिम्मेदाराना है.

त्यागी ने कहा, ‘मैं और मेरी पार्टी राम माधव के इस बयान से असहमत हैं कि नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी पाकिस्तान के निर्देश पर साथ आने वाले थे. भाजपा खुद दोनों पार्टियों के साथ गठबंधन में रही हैं. मुझे नहीं लगता कि भारत की मुख्यधारा की पार्टियों की राजनीति में पाकिस्तान का कोई दखल है.’


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उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने भी माधव के बयान की निंदा की. पार्टी नेता सुबोध कुमार ने दिप्रिंट से कहा, ‘हमारा सात दशक पुराना मजबूत लोकतंत्र है. हम यह गंभीर आरोप नहीं लगा सकते कि हमारी मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टियों को पड़ोसी देश मदद कर रहा है. हम पूरी तरह से इस बयान की निंदा करते हैं.’

कोर्ट जाने का फैसला पीडीपी पर

दूसरी तरफ जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि राज्यपाल द्वारा विधानसभा भंग किए जाने को चुनौती देने का फैसला पीडीपी पर निर्भर है.

अब्दुल्ला ने कहा कि चूंकि पीडीपी ने सरकार बनाने का दावा पेश करते हुए राज्यपाल को पत्र भेजा था, नेशनल कांफ्रेंस ने नहीं इसलिए सत्यपाल मलिक के बुधवार रात के कदम को चुनौती देने का फैसला पीडीपी पर निर्भर है.

अब्दुल्ला ने कहा, ‘हमने राज्यपाल को कोई पत्र नहीं भेजा। राज्यपाल के फैसले को चुनौती देने का प्राथमिक निर्णय पीडीपी पर निर्भर है.’

अब्दुल्ला ने मजाकिया लहजे में कहा कि यह पहली बार है कि राज्यपाल कार्यालय में फैक्स मशीन ने काम नहीं किया और लोकतंत्र की हत्या के लिए जिम्मेदार बन गई.

उन्होंने कहा, ‘राज्यपाल कार्यालय की फैक्स मशीन वन वे है, इससे फैक्स सिर्फ बाहर जा रहा है, आ नहीं रहा है। यह विशेष फैक्स मशीन है और इसकी जांच होनी चाहिए.’

उमर अबदुल्ला की यह प्रतिक्रिया पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती के बयान पर आई है कि उनकी पार्टी ने राजभवन को 56 विधायकों के समर्थन का फैक्स भेजा था, लेकिन वह राजभवन नहीं पहुंचा.

जम्मू एवं कश्मीर में महागठबंधन अवसरवादी था : राज्यपाल

जम्मू एवं कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने गुरुवार को राज्य विधानसभा को भंग करने के अपने निर्णय का बचाव करते हुए कहा कि पीडीपी, नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस का महागठबंधन ‘अवसरवादी’ था. उन्होंने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘सदन को भंग करने का निर्णय जम्मू एवं कश्मीर के संविधान के अंतर्गत लिया गया. जम्मू एवं कश्मीर के मामले में, मुझे संसद से इजाजत लेने की जरूरत नहीं है और मुझे केवल इस निर्णय के बारे में राष्ट्रपति को सूचित करने की जरूरत थी.’

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस ने सरकार बनाने का दावा किया था. इसके बाद पीपुल्स कांफ्रेंस नेता सज्जाद लोन ने भी भाजपा और पीडीपी के बागी विधायकों के समर्थन से सरकार बनाने के दावा किया. इसके बाद बीती रात नाटकीय घटनाक्रम में राज्यपाल ने राज्य विधानसभा को भंग कर दिया.

इस आरोप पर कि पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस सरकार बनाने के लिए पाकिस्तान के इशारे पर काम कर रहीं हैं, उन्होंने कहा, ‘मैं ऐसे चीजें नहीं कह सकता. मैं एक जिम्मेदार पद पर हूं और बिना किसी सबूत के मैं कुछ भी नहीं कह सकता. यह महागठबंधन अवसरवादी था. इसके लिए कोई समझौता नहीं हुआ था. यहां तक कि एक पार्टी कह रही थी कि सरकार बनाने को लेकर उन लोगों के बीच कोई औपचारिक वार्ता नहीं हुई है.’

उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के इशारे पर काम करने के आरोपों को भी खारिज कर दिया और कहा, ‘वे (पीडीपी, नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस) अच्छी तरह जानते हैं कि भाजपा मुख्यालय क्या चाहता है. भाजपा का यहां एक उम्मीदवार है. अगर मुझे भाजपा को सुनना होता, तो मैं उनके पक्ष को बुलाता. लेकिन, मैंने वही किया जो मुझे संविधान के तहत सही लगा.’

मलिक ने यह भी आरोप लगाया कि बीते 15-20 दिनों से वह विधायकों के खरीद-फरोख्त के बारे में सुन रहे थे. उन्होंने कहा, ‘मैंने शुरुआत में ही कहा कि मैं कपटपूर्ण ढंग से (अंडरहैंड) या दलबदल से या किसी के धमकाने के आधार पर समर्थन नहीं करूंगा. मैं यहां निर्वाचित सरकार चाहता हूं.’

उन्होंने कहा, ‘मैंने सदन को भंग करने का निर्णय लिया क्योंकि इन पार्टियों के विधायक खरीद-फरोख्त में संलिप्त थे. मैं बीते 15-20 दिनों से विधायकों की खरीद-फरोख्त की खबरें सुन रहा था. मुझे खरीद-फरोख्त, विधायकों को धमकाने की रिपोर्ट प्राप्त हो रही थी. अगर मैं किसी को भी सरकार बनाने का अवसर देता, तो खरीद-फरोख्त और ज्यादा बढ़ जाता और राज्य की पूरी राजनीतिक, न्यायिक प्रणाली बर्बाद हो जाती.’

जम्मू एवं कश्मीर के राज्यपाल लोकतंत्र को पुराना मानते हैं: चिदंबरम

जम्मू एवं कश्मीर विधनासभा को अचानक भंग किए जाने पर निशाना साधते हुए पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने गुरुवार को कहा कि भाजपा द्वारा नियुक्त राज्यपाल सत्यपाल मलिक के लिए संसदीय लोकतंत्र पुराना हो गया है.

पीडीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के एक साथ आकर सरकार बनाने का दावा करने के बाद तुरंत विधानसभा भंग करे देने के मलिक के नाटकीय फैसले के एक दिन बाद चिदंबरम ने ट्विटर के जरिए उन पर निशाना साधा है.

चिदंबरम ने कहा, ‘जब तक किसी ने भी सरकार बनाने का दावा नहीं किया था तब तक जम्मू एवं कश्मीर के राज्यपाल विधानसभा को निलंबित रखकर खुश थे. जैसे ही किसी ने सरकार बनाने का दावा किया, उन्होंने विधानसभा को भंग कर दिया.’

पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा, ‘लोकतंत्र का वेस्टमिंस्टर मॉडल (लोकतांत्रिक संसदीय प्रणाली) पुराना हो गया है. अन्य मामलों की तरह, यह गुजरात मॉडल है, जो जम्मू एवं कश्मीर के राज्यपाल को पसंद आया है.’

(समाचार एजेंसी आईएएनएस से इनपुट के साथ)

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