scorecardresearch
Sunday, 22 December, 2024
होमराजनीतिजेटली एक ‘सुधारक और सांसदों के लिए मिसाल’ थे- उनकी तीसरी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलियों का तांता

जेटली एक ‘सुधारक और सांसदों के लिए मिसाल’ थे- उनकी तीसरी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलियों का तांता

पुस्तक के विमोचन पर नायडू ने कहा कि जेटली ने अपने आचरण से साथी सांसदों के लिए एक मिसाल क़ायम की, और आज कुछ MPs जिस तरह का व्यवहार करते हैं,उसे देखकर उन्हें दुख और निराशा होती है.

Text Size:

नई दिल्ली: पूर्व उप-राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने अरुण जेटली की लिखी पुस्तक ‘अ न्यू इंडिया- सलेक्टेड राइटिंग्स फ्रॉम 2014 टु 2019 के विमोचन समारोह में बोलते हुए कहा, कि पूर्व केंद्रीय मंत्री ने अपने आचरण से साथी सांसदों के लिए एक मिसाल क़ायम की और उन्होंने ये भी कहा कि आज कुछ सांसद जिस तरह का व्यवहार करते हैं, उसे देखकर उन्हें दुख और निराशा होती है.

नई दिल्ली के डॉ आम्बेडकर इंटरनेशनल सेंटर में ये समारोह, अरुण जेटली की तीसरी पुण्य तिथि के मौक़े पर आयोजित किया गया था. किताब को जगरनॉट पब्लिशिंग हाउस ने प्रकाशित किया है.

पुस्तक के विमोचन के बाद भारत और आर्थिक सुधारों पर जेटली के विचारों पर एक पैनल चर्चा का भी आयोजन किया गया. पैनल सदस्यों में उद्योगपति सुनील मित्तल, पूर्व सीएजी राजीव महर्षि, पूर्व सांसद स्वपन दासगुप्ता और एनके सिंह शामिल थे.

पुस्तक का औपचारिक विमोचन वेंकैया नायडू, जम्मू-कश्मीर उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने किया. दर्शकों में अन्य लोगों के अलावा राज्यवर्द्धन सिंह राठौड़, रवि शंकर प्रसाद, गौतम गंभीर, राजीव शुक्ला और सुशील मोदी जैसे प्रमुख नाम शामिल थे.

नायडू ने कहा कि उनके (जेटली) के परिवार और भारत के लोगों के अलावा, सांसद और पार्टी दोनों वास्तव में उन्हें याद करते हैं. पूर्व वीपी ने कहा, ‘राज्यसभा अध्यक्ष होने के नाते मेरा उनसे हर रोज़ वास्ता पड़ता था. वो संसद के केंद्रीय कक्ष का भी एक प्रमुख आकर्षण थे. अगर कहीं पर भीड़ होती थी तो समझ लीजिए कि जेटली वहां ज़रूर मौजूद होंगे. उनके राजनीतिक आलोचक भी उनमें ख़ामियां  नहीं निकाल पाते थे. उनका आचरण, उनका शिष्टाचार और जोश एक प्रेरणा है, और जिस तरह कभी-कभी (अब) संसद में चीज़ें होती हैं, उसे देखकर मुझे दुख और निराशा होती है. मैं ये नहीं कहता कि हर किसी को सरकार की प्रशंसा करनी चाहिए, लेकिन एक रचनात्मक बहस और संवाद होना चाहिए. मेरे दोस्त जेटली सुधार लाने की प्रक्रिया में आगे आगे थे’.


यह भी पढ़ेंः आजादी केवल कांग्रेस के प्रयासों और सत्याग्रह का नतीजा नहीं—हिंदू दक्षिणपंथी प्रेस ने RSS की भूमिका सराही


जेटली ने एक विरासत छोड़ी’: J&K उप-राज्यपाल

जम्मू-कश्मीर के उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा ने हिंदू कॉलेज में जेटली के साथ बिताए अपने छात्र जीवन के दिनों को याद किया और कहा कि अगर जेटली आज ज़िंदा होते तो जम्मू-कश्मीर में आए बदलाव को देखकर बहुत ख़ुश होते.

उन्होंने आगे कहा, ‘उनकी मौजूदगी भारत में तर्क और राजनीतिक अभिव्यक्ति के एक नए युग की शुरुआत थी. उन्होंने एक विरासत छोड़ी है जिसने वित्त, राजनीति, और शिक्षा के क्षेत्र में एक नई विचार श्रंखला की शुरुआत की है.’

जेटली के आख़िरी ब्लॉग का ज़िक्र करते हुए, जो धारा 370 को रद्द किए जाने पर था, सिन्हा ने कहा कि वो इस बात को लेकर बहुत मुखर थे कि अनुच्छेद 35ए किस तरह भारतीयों के बीच भेदभाव करता है. सिन्हा ने कहा, ‘इस साल, स्वतंत्रता दिवस पर जेएंडके में जितने तिरंगे थे, उन्हें उठाने के लिए उतने हाथ भी नहीं थे और इसे देखकर उन्हें बहुत ख़ुशी होती.’

Former vice-president of India Venkaiah Naidu at the book launch | Manisha Mondal | ThePrint
बुक लॉन्च के मौके पर पूर्व उपराष्ट्रपति वैंकैया नायडू । मनीषा मोंडल । दिप्रिंट

पैनल चर्चा के दौरान, उद्योगपति सुनील मित्तल ने याद किया कि जेटली ने उन्हें किस तरह उनके ‘विवादास्पद’ लेख पर बधाई दी थी, जिसमें उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की प्रशंसा की थी. मित्तल ने कहा, ‘मेरा अभी भी मानना है कि उन्हें (मनमोहन सिंह) बहुत बाद में एक ऐसे व्यक्ति के रूप में याद किया जाएगा, जिनका सहज ज्ञान और इरादे शायद सही थे, लेकिन वो जिन चीज़ों को चाहते थे उन्हें लागू नहीं कर सके. आज हमारे पास एक मज़बूत नेता है, और उसी से सारा फर्क़ हो जाता है’.

पूर्व सीएजी राजीव महर्षि ने कहा कि जिस चीज़ ने इतिहास में विकास को तबाह किया, वो था ‘समाजवाद का एक फैशनेबल स्वरूप’. उन्होंने कहा, ’90 के दशक में बड़े बदलाव आए थे और उसके बाद 2014 से बदलाव आए. अब लोग सुधारों को एक सुखद बदलाव के तौर पर देखने को तैयार हैं’.

महर्षि ने, जिन्होंने वित्त सचिव के तौर पर जेटली के साथ काम किया, वित्तीय नीतियों पर उनकी पकड़ की प्रशंसा की. उन्होंने कहा, ‘समाजवाद से कभी ग़रीबों का नहीं, बल्कि अंग्रेज़ी भाषी लोगों का फायदा हुआ. हमें इस बात का अहसास हो गया है कि आर्थिक विकास सबसे अच्छी ग़रीबी-विरोधी नीति है. शायद सबसे अच्छी विदेशी और जनसंख्या नीति भी है. जेटली के साथ मेरा जो छोटा सा साथ रहा, उसमें मैंने उनके मन की स्पष्टता और सुधार लाने की उनकी इच्छा को क़रीब से देखा. कोई जीएसटी को इस तरह से लागू नहीं कर सकता था जैसे उन्होंने किया. उनके पास एक नज़र थी, एक नज़रिया था, और संबंध थे’.


यह भी पढ़ेंः तिरंगा vs भगवा ध्वज- DP विवाद ने एक बार फिर से तिरंगे के साथ RSS के जटिल रिश्तों को सामने ला दिया


पार्टी के लिए अटल प्रतिबद्धता

पूर्व सांसद स्वपन दासगुप्ता ने कहा कि जेटली लड़ाई को जीत सकते थे और दूसरे पक्ष को पता भी नहीं चलता था कि वो हार गया है. उन्होंने कहा, ‘ये उनकी एक महान उपलब्धि थी. ये उनकी राजनीति का एक अंदाज़ भी था. उनके आख़िरी दिनों तक पार्टी के लिए उनकी प्रतिबद्धता, दृढ़, अटल, और समझौता न करने वाली थी.’

विश्वसनीय विपक्ष की कमी के सवाल पर दासगुप्ता ने कहा, कि आज विपक्ष के अंदर विश्वास की कमी है. उन्होंने आगे कहा कि अगर वो कोई ऐसी चीज़ बेचने की कोशिश कर रहे हैं जो उनके पास है नहीं, तो वे एक मसला बन जाता है. उन्होंने व्याख्या करते हुए कहा, ‘कांग्रेस में कुछ लोग हैं जिन्हें लगता है कि पार्टी में वही एक जोड़ने वाली ताक़त हैं और उनके बिना पार्टी बिखर जाएगी. हर परिवार/वंश के काल में एक लहर आती है…और इस समय वो लहर उनके लिए बहुत उत्साहजनक नहीं है’.

भारत की आज़ादी के 75 वर्ष पूरे होने पर जेटली की परिकल्पना के बारे में मित्तल ने कहा, कि वो भारत को एक शक्तिशाली और विकसित राष्ट्र के तौर पर देखना चाहते थे. मित्तल ने कहा कि जेटली बहुत पहले से ही आने वाली समस्याओं को देख सकते थे. पैनल सदस्यों ने रक्षा उपकरण निर्माण के ज़रिए आत्म-निर्भरता की उनकी परिकल्पना की प्रशंसा की. मित्तल ने कहा, ‘हम सब जानते हैं कि भारत को उन लड़ाकू विमानों (राफेल) की सख़्त ज़रूरत थी. वो इसे इस प्रतिबद्धता के साथ लाए कि इसका निर्माण देश में किया जाएगा. उनकी परिकल्पना थी कि देश रक्षा उपकरणों के निर्माण में स्वतंत्र बन जाएगा. इस सरकार के अंदर एक दृढ़ विश्वास था कि वो आलोचनाओं का सामना कर सकती थी’.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


यह भी पढ़ेंः ‘RRR’ के नायक, ‘भगत आंदोलन’ के अगुआ—मोदी ने स्वतंत्रता दिवस संबोधन में आदिवासी नेताओं का किया जिक्र


 

share & View comments