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Sunday, 2 November, 2025
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जयराम रमेश ने क्लाउड सीडिंग पर दिल्ली सरकार की आलोचना की, बताया ‘क्रूर मजाक’

क्लाउड सीडिंग एक ऐसी आधुनिक तकनीक है जिसमें सिल्वर आयोडाइड या सोडियम क्लोराइड जैसे कण बादलों में डाले जाते हैं ताकि बारिश शुरू हो सके या बढ़ाई जा सके.

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नई दिल्ली: कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने रविवार को दिल्ली सरकार के उस फैसले पर सवाल उठाया, जिसमें राष्ट्रीय राजधानी की वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए 34 करोड़ रुपए सर्दियों में क्लाउड सीडिंग प्रयोग पर खर्च किए गए.

रमेश ने दावा किया कि विशेषज्ञों की सलाह के विपरीत जाकर दिल्ली सरकार ने यह प्रयोग किया. उन्होंने बताया कि 5 दिसंबर 2024 को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री ने राज्यसभा में कहा था कि तीन विशेषज्ञ एजेंसियों—सीएक्यूएम (Commission for Air Quality Management), सीपीसीबी (Central Pollution Control Board) और भारत मौसम विज्ञान विभाग—ने दिल्ली की वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए सर्दियों में क्लाउड सीडिंग के खिलाफ सलाह दी थी.

एक्स पर पोस्ट में रमेश ने लिखा, “दिल्ली सरकार ने वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए सर्दियों में क्लाउड सीडिंग प्रयोग पर 34 करोड़ रुपए खर्च किए हैं. 5 दिसंबर 2024 को राज्यसभा में बताया गया था कि तीन विशेषज्ञ एजेंसियों ने दिल्ली में सर्दियों में क्लाउड सीडिंग करने से स्पष्ट रूप से मना किया था.”

उन्होंने 31 अक्टूबर 2025 को जारी IIT दिल्ली के सेंटर फॉर एटमॉस्फेरिक साइंसेज की रिपोर्ट का भी उल्लेख किया, जिसमें कहा गया कि सर्दियों में क्लाउड सीडिंग से दिल्ली की वायु गुणवत्ता में कोई खास सुधार नहीं होगा. रमेश ने सरकार के “एक-दो दिन के लिए थोड़े सुधार” के दावे को “क्रूर मजाक” बताया.

उन्होंने लिखा, “31 अक्टूबर 2025 को IIT दिल्ली ने विस्तृत रिपोर्ट जारी की, जिसमें कहा गया कि सर्दियों में क्लाउड सीडिंग का दिल्ली की बेहद खराब हवा पर कोई महत्वपूर्ण असर नहीं पड़ेगा. यह कदम केवल दिखावे का लगता है. जब वैज्ञानिक सहमति इसकी प्रभावशीलता पर इतने सवाल उठाती है, तो इसे इतना बड़ा उपाय बताना क्या सही है? एक-दो दिन के लिए सीमित क्षेत्र में थोड़ा सुधार होना वास्तव में एक क्रूर मजाक है.”

क्लाउड सीडिंग एक ऐसी आधुनिक तकनीक है जिसमें सिल्वर आयोडाइड या सोडियम क्लोराइड जैसे कण बादलों में डाले जाते हैं ताकि बारिश शुरू हो सके या बढ़ाई जा सके.

दिल्ली सरकार ने अपनी वायु गुणवत्ता प्रबंधन रणनीति के तहत लगातार दो क्लाउड सीडिंग ऑपरेशन किए. बुधवार को होने वाला क्लाउड सीडिंग ऑपरेशन बादलों में कम नमी होने के कारण रोक दिया गया.

IIT कानपुर द्वारा जारी बयान के अनुसार, यह प्रक्रिया सही वायुमंडलीय परिस्थितियों पर निर्भर करती है. “नमी केवल 15 से 20 प्रतिशत होने के कारण कल बारिश नहीं हो सकी, लेकिन इस ट्रायल ने उपयोगी जानकारी दी,” बयान में कहा गया.

IIT कानपुर ने बताया कि दिल्ली में लगाए गए मॉनिटरिंग स्टेशनों ने वास्तविक समय में प्रदूषण और नमी स्तर में बदलाव दर्ज किए.

“डेटा से पता चलता है कि PM2.5 और PM10 स्तर में 6 से 10 प्रतिशत की कमी आई. इससे साबित होता है कि कम नमी की स्थिति में भी क्लाउड सीडिंग वायु गुणवत्ता में कुछ सुधार ला सकती है. ये जानकारियां भविष्य की योजनाओं को मजबूत करती हैं और बताती हैं कि अधिकतम लाभ के लिए यह तकनीक किन परिस्थितियों में काम कर सकती है,” बयान में कहा गया.


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