अमरावती: आंध्र प्रदेश विधान परिषद में राज्य में तीन राजधानियों के प्रावधान वाले दो अहम विधेयक पारित नहीं होने से असहज स्थिति का सामना कर रही वाई एस जगन मोहन रेड्डी सरकार ने गुरुवार को संकेत दिया कि वह उच्च सदन को समाप्त कर सकती है.
मुख्यमंत्री ने गुरूवार शाम विधानसभा में कहा, ‘हमें गंभीरता से सोचना होगा कि क्या हमें ऐसे सदन की जरूरत है जो केवल राजनीतिक मकसद से ही काम करता दिखाई देता है.’
उन्होंने कहा कि विधान परिषद होना अनिवार्य नहीं है जो हमने ही बनाया है और केवल हमारी सुविधा के लिए है.
रेड्डी ने कहा, ‘इसलिए इस विषय पर सोमवार को आगे और चर्चा हो तथा निर्णय लिया जाए कि विधान परिषद आगे भी रहनी चाहिए या नहीं.’
मुख्यमंत्री बुधवार को विधान परिषद के घटनाक्रम पर हुई आकस्मिक चर्चा का जवाब दे रहे थे. विधान परिषद के सभापति ने नियम 154 के तहत विशेषाधिकारों का इस्तेमाल करते हुए ‘आंध्र प्रदेश विकेंद्रीकरण और सभी क्षेत्रों का समावेशी विकास विधेयक, 2020’ तथा एपीसीआरडीए (निरसन) विधेयक को गहन अध्ययन के लिए एक प्रवर समिति को भेज दिया था.
विधेयक पर विधानसभा में हुई चर्चा में मुख्य विपक्षी तेलुगू देशम पार्टी ने हिस्सा नहीं लिया था.
विधान परिषद में कार्यवाही संचालित करने के तरीके पर सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस के विधायकों ने सभापति एम ए शरीफ तथा विपक्ष के नेता यनामला रामकृष्णेंदु को आड़े हाथ लिया. उन्होंने सभापति पर नियमों का उल्लंघन करते हुए दोनों महत्वपूर्ण विधेयकों को एक प्रवर समिति को भेजने का आरोप लगाया.
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘सभापति का निर्णय नियम पुस्तिका के खिलाफ है और जो प्रक्रिया अपनाई गयी वह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है.’’
उन्होंने कहा कि उच्च सदन होने के नाते परिषद का काम केवल सरकार को सुझाव देना है.
उन्होंने कहा, ‘‘अगर उच्च सदन जनता के हित में अच्छे निर्णय नहीं होने देगा और कानून पारित होने में अवरोध पैदा करेगा तो शासन का क्या मतलब हुआ.’’
रेड्डी ने कहा कि हमें इस बारे में गंभीरता से विचार करना होगा कि उच्च सदन होना चाहिए या नहीं होना चाहिए.
उन्होंने कहा कि विधान परिषद पर हर साल 60 करोड़ रुपये खर्च किये जा रहे हैं. देश में 28 राज्यों में से केवल छह में विधान परिषद कार्यरत हैं.
इससे पहले रेड्डी ने आज दिन में अपने कैबिनेट मंत्रियों और वरिष्ठ विधायकों से इस विषय पर विस्तार से चर्चा की.
खबरों के मुताबिक उन्होंने पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी से भी विचार-विमर्श किया जिन्हें सरकार ने तीन राजधानियां रखने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर उच्च न्यायालय में मुकदमा लड़ने के लिए नियुक्त किया है.