गुरुग्राम: कांग्रेस द्वारा यह आरोप लगाए जाने के बाद कि हरियाणा देश में सबसे अधिक बेरोज़गारी दर वाले राज्यों में से एक होने के बावजूद सरकार ‘बाहरी लोगों’ को सरकारी नौकरियां दे रही है, मनोहर लाल खट्टर सरकार ने फैसला किया है कि पुलिस भर्ती परीक्षा में 20 प्रतिशत प्रश्न राज्य के बारे में पूछे जाएंगे.
30 अक्टूबर को, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने राज्य के गृह विभाग द्वारा इस संबंध में लाए गए एक प्रस्ताव को मंजूरी दे दी, जिससे अगली कैबिनेट बैठक के एजेंडे में इसे शामिल करने का मार्ग प्रशस्त हो गया.
इस बात की पुष्टि करते हुए, प्रस्ताव लाने वाले राज्य के गृह और स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने गुरुवार को दिप्रिंट को बताया, “इसे कैबिनेट की अगली बैठक में मंजूरी के लिए एजेंडा आइटम में शामिल किया जाएगा और मंजूरी मिलने के बाद इसे अधिसूचित किया जाएगा.”
यहां तक कि उन्होंने स्वीकार किया कि अन्य राज्यों के कई उम्मीदवारों को हरियाणा में सरकारी नौकरियां मिल रही हैं, हालांकि, विज ने यह भी कहा कि ये ‘बाहरी’ लोग देश के हैं और उन्हें योग्यता के आधार पर चुने जाने का अधिकार है.
उन्होंने कहा, “इस प्रस्तावित संशोधन के पीछे तर्क यह है कि जो लोग हरियाणा में सरकारी नौकरियों में शामिल होना चाहते हैं, उन्हें राज्य, इसकी सामाजिक संरचना, प्रशासनिक व्यवस्था, राजनीति आदि का बुनियादी ज्ञान होना चाहिए. हरियाणा का इतिहास बहुत समृद्ध है. महाभारत का युद्ध यहीं लड़ा गया था. भगवान कृष्ण ने हरियाणा में अर्जुन को भगवद्गीता का सार दिया था….”
कांग्रेस सरकार पर बाहरी लोगों को सरकारी नौकरियां देने का आरोप लगाती रही है. चंडीगढ़ में हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता और अपने पिता भूपिंदर सिंह हुड्डा के आधिकारिक आवास पर एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने पिछले महीने कहा था कि राज्य में बीजेपी-जेजेपी सरकार द्वारा हरियाणा के बेरोजगार युवाओं को एक “साजिश” के तहत सरकारी नौकरियों से वंचित किया जा रहा है.
मीडियाकर्मियों से बात करते हुए दीपेंद्र हुड्डा ने आरोप लगाया कि सरकार निजी नौकरियों में स्थानीय लोगों को 75 प्रतिशत आरक्षण देने की बात करती है, लेकिन वास्तव में वह 75 प्रतिशत सरकारी नौकरियों में बाहरी लोगों को भर्ती करने की नीति पर चल रही है.
इस बीच, रिक्रूटमेंट एक्टिविस्ट्स का कहना है कि सरकार का कदम पर्याप्त नहीं है. भर्ती प्रक्रिया में कथित विसंगतियों को लेकर राज्य सरकार पर हमला करने वाली रिक्रूटमेंट एक्टिविस्ट्स श्वेता ढुल ने कहा कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठा रही हैं कि स्थानीय युवाओं को राज्य में अधिकतर नौकरियां मिलें.
उन्होंने गुरुवार को दिप्रिंट से कहा, “हर राज्य अपने युवाओं के लिए नौकरियां सुनिश्चित करने के लिए उपाय करता है. राज्य पूरी परीक्षा (भर्ती परीक्षा) अपनी भाषा में लेते हैं. उनकी यह भी शर्त होती है कि उम्मीदवार ने कम से कम मैट्रिक स्तर तक राज्य की भाषा का अध्ययन किया हो. उत्तर और पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों में कैंडीडेट्स के लिए वहां का डोमिसाइल या निवास प्रमाण पत्र होने की भी अनिवार्यता होती है. 20 प्रतिशत प्रश्न राज्य के बारे में पूछे जाने जैसा कदम उठाना बहुत कम और बहुत देर से है.”
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कांग्रेस का आरोप- ‘सरकारी साजिश’
अपने आरोप को साबित करने के लिए कुछ उदाहरण देते हुए दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि इस साल जुलाई में कृषि विभाग में कृषि विकास अधिकारियों (एडीओ) के 600 पदों के लिए केवल 57 उम्मीदवार लिखित परीक्षा में उत्तीर्ण हुए और उन्हें हरियाणा लोक सेवा आयोग (एचपीएससी) द्वारा साक्षात्कार के लिए बुलाया गया. इनमें से 50 का चयन किया गया. लेकिन सामान्य वर्ग के तहत चयनित 23 उम्मीदवारों में से 16 हरियाणा के बाहर से थे.
उन्होंने कहा कि 2019 में बिजली डिपार्टमेंट में सब-डिवीज़नल इंजीनियर्स की 99 पदों भर्ती के लिए 90 उम्मीदवारों का चयन किया गया था. लेकिन इनमें से 77 हरियाणा से बाहर के थे.
उन्होंने दावा किया कि जहां अन्य राज्यों में स्टाफ नर्स और वेटेरनरी सर्जन के पदों के लिए राज्य परिषद में रजिस्ट्रेशन होना अनिवार्य है, वहीं हरियाणा में ऐसा नहीं है. परिणामस्वरूप, बाहरी युवाओं को भी राज्य में स्टाफ नर्स और वेटरनरी सर्जन के रूप में भर्ती किया जा रहा है, जिससे स्थानीय निवासियों से अवसर छिन जा रहा है.
ढुल ने कहा कि सरकार के पास यह सुनिश्चित करने के लिए एक प्रणाली होनी चाहिए कि राज्य के युवाओं का चयन केवल हरियाणा पुलिस के लिए ही नहीं, बल्कि सभी प्रकार की सरकारी नौकरियों के लिए किया जाए.
उन्होंने कहा, “कुछ समय पहले, मैंने सरकार को एक ज्ञापन दिया था जिसमें ग्रुप बी, सी और डी पदों के लिए प्रवेश परीक्षाओं में हरियाणा पर 50 प्रतिशत प्रश्न और ग्रुप ए (वरिष्ठ अधिकारी) नौकरियों खासकर हरियाणा सिविल सेवा नौकरियां में शामिल होने के इच्छुक लोगों के लिए हरियाणा पर एक फुल पेपर की मांग की गई थी.” ग्रुप बी भी राजपत्र में अधिसूचित अधिकारी हैं लेकिन जूनियर स्तर के हैं, ग्रुप सी में क्लर्क और अकाउंटेंट जैसे अधिकारी हैं जबकि ग्रुप डी में चपरासी, चौकीदार, माली जैसे कर्मचारी हैं.
(संपादनः शिव पाण्डेय)
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