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Tuesday, 5 November, 2024
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आरसीपी सिंह को कारण बताओ नोटिस जनता के बीच पूर्व मंत्री की लोकप्रियता पर JD(U) की नाराजगी का सबूत है?

नोटिस पार्टी के दो नेताओं की उस रिपोर्ट के बाद जारी किया गया है जिसमें आर.सी.पी. सिंह के परिवार के सदस्यों के कथित तौर पर उस भूमि पर काबिज होने को लेकर सवाल खड़े किए गए हैं, जिसका उनके चुनावी हलफनामे में उल्लेख नहीं है.

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पटना: सालों तक कथित भ्रष्टाचार को लेकर विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के निशाने पर रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व पार्टी प्रमुख आर.सी.पी. सिंह को उनकी अपनी ही पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) ने गुरुवार को कारण बताओ नोटिस जारी किया, जो उनके परिवार के सदस्यों की तरफ से नौ वर्षों में 58 भूखंडों के अधिग्रहण किए जाने के संदर्भ में है.

जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने गुरुवार को आर.सी.पी. सिंह को लिखे एक पत्र में कहा, ‘आप भ्रष्टाचार पर हमारे नेता नीतीश कुमार की जीरो टॉलरेंस नीति के बारे में जानते हैं और इतने लंबे समय तक सार्वजनिक जीवन में रहने के बावजूद उन पर कभी भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं लगा है.’

दिप्रिंट के पास इस पत्र और पूर्व मंत्री के खिलाफ जदयू के दो नेताओं की रिपोर्ट, दोनों की प्रतियां मौजूद हैं.

आर.सी.पी. सिंह और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा के दो नेताओं सुरेश प्रसाद और संजय कुमार पटेल ने 27 जुलाई को जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को लिखे पत्र में बताया था कि भूमि के बारे में पूर्व मंत्री के राज्यसभा चुनाव संबंधी हलफनामे में उल्लेख नहीं किया गया था, जबकि नीतीश कुमार ने सभी अधिकारियों, मंत्रियों और नेताओं के लिए अपनी संपत्ति और आय को सार्वजनिक तौर पर घोषित करना अनिवार्य कर रखा है.

दिप्रिंट के पास रिपोर्ट की एक प्रति मौजूद है.

आरोपों का जवाब देते हुए आर.सी.पी. सिंह ने दिप्रिंट से कहा कि ‘भूमि का पूरा लेन-देन पब्लिक डोमेन में था. इस कदम के पीछे का मकसद मुझे अपमानित करना है. उन्होंने आगे कहा, ‘मेरे पिता ने अपनी सारी भूमि अपनी पोतियों को दे दी थी. गांवों में जमीन का अधिग्रहण और बिक्री होती रहती है. मेरे आईटी रिटर्न में इन सभी भूमि लेनदेन का उल्लेख है.’

वहीं, ये कयास लगाए जा रहे हैं कि आर.सी.पी. सिंह के खिलाफ नोटिस के पीछे असल कारण पूर्व मंत्री की बढ़ती लोकप्रियता से जदयू को कथित तौर पर खतरा होना और उन्हें भाजपा का समर्थन मिलने की संभावना हो सकती है. उधर, राजद ने दावा किया है कि यह जदयू नेता के खिलाफ उसके आरोपों को साबित करता है. विपक्षी दल ने कथित अवैध मौद्रिक लेनदेन के संदर्भ में ‘आरसीपी टैक्स’ शब्द गढ़ा था.

इस बीच, भाजपा के एक नेता ने आरोप लगाया है कि पूर्व मंत्री ने ये सारी जमीन उस समय हासिल की जब वह जदयू में एक शीर्ष पद पर थे.


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आर.सी.पी. सिंह के खिलाफ आरोप

प्रसाद और पटेल की तरफ से तैयार रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले नौ वर्षों (2013 के बाद) में आर.सी.पी. सिंह के परिवार के सदस्यों ने 58 भूखंडों (40 बीघा) पर कब्जा हासिल किया.

इसमें नालंदा जिले के अस्थावा और इस्लामपुर ब्लॉक में जदयू नेता की पत्नी गिरिजा (या गिरजा देवी) और बेटियों लिपि सिंह (बिहार कैडर की आईपीएस अधिकारी) और लता सिंह के नाम पर हस्तांतरित भूमि शामिल है.

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि भूमि सौदों में उनकी पत्नी के नाम पर अर्जित संपत्ति में उनका उल्लेख गिरिजा के रूप में किया गया है न कि गिरजा के नाम पर—जो स्पेलिंग उनके चुनावी हलफनामे में लिखी गई है.

रिपोर्ट का समय और नेता के खिलाफ कारण बताओ नोटिस ऐसे समय में जारी किया गया है जब जदयू बिहार में अपने जनाधार को बढ़ाने के प्रयासों को लेकर खासी बेचैनी से जूझ रही है.

आर.सी.पी. सिंह ने जदयू द्वारा उन्हें राज्यसभा के लिए फिर से नामित नहीं किए जाने के बाद इस साल के शुरू में केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था.

तब से, पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष जहानाबाद, गया और नालंदा में जनसभाएं कर रहे हैं, जहां ‘बिहार का मुख्यमंत्री कैसा हो, आरसीपी बाबू जैसा हो’ जैसे नारे लगते रहे हैं.

बिहार के मंत्रियों और जदयू के नेताओं अशोक चौधरी, संजय झा और श्रवण कुमार आदि ने न केवल इन नारों पर नाराजगी भरी प्रतिक्रिया दी है, बल्कि इस दावे को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री का मजाक भी उड़ाया है कि सीएम नीतीश कुमार ने उनकी प्रतिभा और संगठन कौशल को देखकर ही उन्हें पदोन्नत किया था (आर.सी.पी. सिंह यूपी कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी हैं). जदयू नेताओं ने यह भी कहा है कि आर.सी.पी. की राजनीति नीतीश कुमार की मेहरबानी पर चलती रही है और जदयू में बिहार का केवल एक ही सीएम उम्मीदवार है.

माना जाता है कि पार्टी को यह भी आशंका है कि आर.सी.पी. सिंह की जनसभाओं को भाजपा का समर्थन हासिल हो सकता है.

जदयू के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, ‘आर.सी.पी. सिंह को पार्टी से निष्कासित किया जाना बस कुछ ही समय की बात है, नोटिस तो एक शुरुआत है.

इस बीच, राजद नेताओं को लगता है कि पूर्व आईएएस अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी होना उनकी तरफ से पूर्व में लगाए जाते रहे भ्रष्टाचार के आरोपों की पुष्टि है.

राजद विधायक भाई वीरेंद्र ने दिप्रिंट से कहा, ‘जदयू की रिपोर्ट हमारे इस आरोप की पुष्टि करती है कि आर.सी.पी. सिंह बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार में शामिल थे.’

हालांकि, एक भाजपा नेता ने नाम न छापने की शर्त पर दावा किया, ‘ये सभी भूमि हस्तांतरण उस समय के हैं जब आर.सी.पी. सिंह जदयू में दूसरे नंबर की हैसियत रखते थे और नीतीश ने उन्हें राज्यसभा सांसद और राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर पदोन्नत किया था.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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