चंडीगढ़: पंजाब के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद, सोमवार को जब चरणजीत सिंह चन्नी अपनी पहली प्रेस कान्फ्रेंस कर रहे थे, तो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू उनकी बग़ल में खड़े थे.
पूर्व क्रिकेटर उस समय भी मौजूद थे, जब उसी दिन चन्नी ने कार्यभार संभाला, और सिद्धू सीएम तथा उनके दो डिप्टी और मंत्री मनप्रीत बादल, त्रिपत राजिंदर सिंह बाजवा और सुखबिंदर सरकारिया के बीच बंद कमरे में हुई मीटिंग में भी मौजूद रहे.
चन्नी के बतौर सीएम दूसरे दिन, सिद्धू उनके और उनके दोनों उप-मुख्यमंत्रियों के साथ, नए मंत्रिमंडल पर चर्चा के लिए नई दिल्ली गए. अगली सुबह जब चन्नी स्वर्ण मंदिर में मत्था टेकने के लिए अमृतसर पहुंचे, तो वहां भी सिद्धू को सीएम का हाथ थामे, उनका मार्गदर्शन करते देखा गया.
जब सीएम दुर्गियाना मंदिर की ओर रवाना हुए, तो भी सिद्धू उनके साथ थे, और वो उस समय भी चन्नी के साथ थे, जब वो बुधवार को जालंधर में रविदासिया समाज के एक प्रमुख धार्मिक स्थल, डेरा सचखंड बल्लां पहुंचे.
Paid obeisance at Shri Harmandir Sahib, Shri Durgiana Mandir & Bhagwan Valmiki Tirath Sthal, Amritsar Sahib with our CM @CHARANJITCHANNI Bai, Dy CMs @Sukhjinder_INC Bhaji & O.P. Soni Ji along with @INCPunjab MLAs, while stopping by at the famous Giani tea stall !! pic.twitter.com/8goxVvTw9q
— Navjot Singh Sidhu (@sherryontopp) September 22, 2021
चन्नी के सीएम नियुक्त किए जाने के बाद, सिद्धू ऐसे समय लगातार उनके साथ बने हुए हैं, जब चन्नी के पूर्ववर्त्ती कैप्टन अमरिंदर सिंह- जिन्होंने सिद्धू से टकराव के बाद पिछले हफ्ते सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था- आरोप लगा रहे हैं कि नए सीएम के कामकाज पर, पूर्व क्रिकेटर का साया लगातार मंडराता रहेगा. सिंह ने कहा कि ‘सुपर सीएम’ के तौर पर सिद्धू की भूमिका, मौजूदा स्थिति से बदलाव है, जिसमें सीएम और प्रदेश पार्टी प्रमुख की भूमिकाएं अलग अलग होती हैं.
अमरिंदर ने बुधवार को एक न्यूज़ चैनल से कहा, ‘सिद्धू, जो कांग्रेस पार्टी प्रमुख हैं, उनकी भूमिका मुख्यमंत्री से अलग है जिसके पास असली ताक़त है. सिद्धू किसी भी तरह सीधे तौर पर, सरकार चलाने के काम से नहीं जुड़े हैं. लेकिन वो हर जगह नज़र आते हैं. मैं पार्टी का प्रदेश प्रमुख रहा हूं, और सीएम भी रहा हूं, लेकिन पार्टी प्रमुख के नाते मैंने कभी सीएम के कामकाज में दख़ल नहीं दिया, और न ही मेरे पार्टी चीफ ने ऐसा (बर्ताव) किया’.
जहां कुछ अटकलबाज़ियां हैं कि चन्नी केवल एक कामचलाऊ व्यवस्था हो सकते हैं, जो चुनाव पूरे होने तक सिद्धू के लिए कुर्सी गर्म रखेंगे, वहीं राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है, कि पंजाब में तेज़ी से बदलते हालात का मतलब है, कि ये बिल्कुल भी निश्चित नहीं है. कुछ के अनुसार ऐसा लगता है कि सिद्धू, ‘किसी और के बिरते पर उछल रहे हैं’.
जाने-माने पंजाब एक्सपर्ट सरबजीत सिंह पंधेर ने कहा, ‘सीएम के तौर पर चरणजीत सिंह चन्नी की नियुक्ति ने, पंजाब में पारंपरिक वंशवादी आधिपत्य को तोड़ दिया है. लेकिन नवजोत सिद्धू, जिन्हें उनके हाईकमान की ओर से यथास्थिति को बाधित करने के लिए भेजा गया था, बदले परिदृश्य में ख़ुद अपना आधिपत्य दिखाने की कोशिश कर रहे हैं’. उन्होंने आगे कहा, ‘ऐसा लगता है कि वो किसी और के बिरते पर उछल रहे हैं’.
एसजीजीएस कॉलेज चंडीगढ़ में इतिहास विभाग के फैकल्टी सदस्य हरजेश्वर सिंह का कहना था, कि मौजूदा व्यवस्था एक अस्थायी बंदोबस्त हो सकती है.
‘फिलहाल के लिए, ऐसा लग सकता है कि सिद्धू अपने आपको, सूबे के वास्तविक सीएम के तौर पर चमका रहे हैं, जबकि चन्नी एक कठपुतली सीएम हैं. लेकिन जिस तरह से राज्य में राजनीतिक हालात बदल रहे हैं, मुझे लगता है कि चन्नी जल्द ही परछाईं से निकलकर दबे-कुचलों के आईकॉन बन जाएंगे, और अगर कांग्रेस पंजाब में अगला चुनाव जीत लेती है, तो पार्टी आलाकमान के लिए चन्नी को हटाना आसान नहीं रहेगा’.
दिप्रिंट ने कॉल्स और लिखित संदेशों के ज़रिए, सिद्धू और उनके मीडिया टीम हेड सुमित सिंह से टिप्पणी लेने के लिए संपर्क किया, लेकिन इस रिपोर्ट के छपने तक, उनकी ओर से जवाब नहीं मिला था.
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चार शक्ति केंद्र
इस बीच, सरकार के सूत्रों का कहना है कि चन्नी के कार्यभार संभालने के बाद, ऐसा लगता है सरकार में सत्ता के चार अलग अलग केंद्र उभर रहे हैं. ये हैं चन्नी, सिद्धू, और डिप्टी सीएम सुखजिंदर सिंह रंधावा तथा ओपी सोनी.
चन्नी को पूर्व वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल का बेहद क़रीबी माना जाता है, जिन्होंने कथित तौर पर बतौर सीएम उनकी नियुक्ति में, एक अहम भूमिका निभाई है.
सूत्रों ने कहा कि पार्टी आलाकमान को भी, जिसमें राहुल और प्रियंका गांधी के अलावा कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल और हरीश रावत (पंजाब प्रभारी) शामिल हैं, चन्नी के रूप में एक लचीले सीएम के ज़रिए, पंजाब सरकार की अंदरूनी निर्णय प्रक्रिया में, पैर जमाने का मौक़ा मिल गया है
अमरिंदर ने इस बात की आलोचना की, कि सीएम और उनके दोनों डिप्टी तथा सिद्धू, कैबिनेट मंत्रियों के नामों को अंतिम रूप देने के लिए दिल्ली गए, और वेणुगोपाल तथा प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला के साथ बैठे, जो क्रमश: केरल और हरियाणा से हैं.
कैबिनेट को लेकर कोई आमराय बनती नज़र नहीं आई, लेकिन इस प्रभाव का पहला साफ संकेत मुख्य सचिव अनिरुद्ध तिवारी की नियुक्ति साथ नज़र आया, जिन्हें मनप्रीत बादल का क़रीबी माना जाता है.
सरकारी सूत्रों ने कहा कि संभावित रूप से नए एडवोकेट जनरल डीएस पटवालिया सिद्धू के क़रीबी हैं. एडवोकेट अनुपम गुप्ता ने, जो इस पद के लिए चन्नी की पहली पसंद थे, इस ऑफर को स्वीकार नहीं किया.
सूत्रों ने आगे कहा कि सिद्धू वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी हरप्रीत सिंह संधू को, जो वर्तमान में ड्रग नियंत्रण पर राज्य की टास्क फोर्स के चीफ हैं, राज्य विजिलेंस ब्यूरो चीफ के पद पर लाने की भी कोशिश कर रहे हैं.
माना जाता है कि पूर्वकथित अमृतसर दौरे पर सिद्धू ने सुनिश्चित किया, कि उनके क़रीबी सहयोगी दमनदीप सिंह को अमृतसर इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट का अध्यक्ष नियुक्त किया जाए. एक वीडियो में दिखाया गया कि सिद्धू ने दमनदीप को वहां बुलाया, जहां वो सीएम के साथ बैठे हुए थे, और उनका नियुक्ति पत्र चन्नी के हाथ में दिया. ऐसा लगता था कि चन्नी ने वो नियुक्ति पत्र पहली बार देखा था, चूंकि दमनदीप को देने से पहले उन्होंने पत्र को दो बार पढ़ा.
इस बीच चन्नी ने हुसन लाल को अपने प्रमुख सचिव के तौर पर चुना, जबकि रोजगार सृजन विभाग में उनके प्रमुख सचिव रहे राहुल तिवारी उनके विशेष सचिव हैं.
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