नई दिल्ली: अगर ‘हलाल’ कोई ‘क्वालिटी सर्टिफिकेट’ नहीं है और ये धार्मिक कारणों से दिया जाता है, तो सवाल ये उठता है कि क्या सेक्युलर पार्टियां इसका समर्थन कर सकती हैं- ये कहना है भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राष्ट्रीय महासचिव और कर्नाटक के वरिष्ठ नेता सीटी रवि का.
रवि की टिप्पणियां ऐसे समय आई हैं, जब कुछ दिन पहले ही कर्नाटक में ‘हलाल मीट’ के मुद्दे पर विवाद उठ खड़ा हुआ है, जिसमें कर्नाटक सरकार ने एक आदेश जारी करके बेंगलुरू के सभी बूचड़ख़ानों और चिकन की दुकानों को, ये सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि काटने से पहले पशुओं को अनिवार्य रूप से ‘अचेत’ किया जाए.
दिप्रिंट के साथ एक इंटरव्यू में रवि ने कहा, ‘एक बहस शुरू किए जाने की ज़रूरत है. देश में बहुत से लोगों को मालूम भी नहीं है कि ये सर्टिफिकेट्स दरअसल कौन जारी कर रहा है. ख़ुद मुझे मालूम नहीं है’.
उन्होंने आगे कहा, ‘अगर ये एक क्वालिटी सर्टिफिकेट है, तो फिर ठीक है. इसे दूसरी जगहों पर भी लागू किया जा सकता है. लेकिन अगर ये क्वालिटी सर्टिफिकेट नहीं है, और मज़हब की वजह से जारी किया जा रहा है, तो क्या सेक्युलर लोग इसका समर्थन कर सकते हैं?’. उन्होंने आगे कहा, ‘क्या हलाल एक सेक्युलर सर्टिफिकेट है? क्या ऐसा है? मुझे कुछ मालूम नहीं है. अगर हलाल एक सेक्युलर सर्टिफिकेट है, तो हर कोई हलाल सर्टिफिकेट जारी कर सकता है. तो फिर कांग्रेस को भी हलाल सर्टिफिकेट्स दिए जा सकते हैं’.
इंटरव्यू में रवि ने इन आरोपों पर विस्तार से बात की, कि बीजेपी एक सांप्रदायिक दरार पैदा करने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कुछ हिंदू संगठनों की इस मांग पर भी चर्चा की, कि नमाज़ के लिए इस्लाम की पुकार-अज़ान के लिए लाउडस्पीकरों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया जाए.
कर्नाटक में मई 2023 तक विधान सभा चुनाव होने हैं, और रवि ने कहा कि बीजेपी को विश्वास है कि वो 224-सदस्यीय सदन में 150 से अधिक सीटें जीतेगी.
‘क्या ये कोई FSSAI सर्टिफिकेट है’?
रवि, जिन्होंने पिछले सप्ताह हलाल मीट व्यवसाय को एक तरह का ‘आर्थिक जिहाद’ बताया था- ने कांग्रेस के इन आरोपों का खंडन किया कि इस विवाद का सहारा लेकर, बीजेपी दोनों समुदायों के बीच दरार पैदा करने की कोशिश कर रही है.
‘ये सही नहीं है. हलाल क्या है? मैं ये सवाल पूछ रहा हूं और इस पर एक बहस शुरू कर रहा हूं. क्या ये कोई क्वालिटी सर्टिफिकेट है? इसे कौन जारी कर रहा है? ये कब शुरू हुआ?
उन्होंने पूछा, ‘क्या ये कोई एफएसएसएआई (भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण) सर्टिफिकेट है? क्या ये कोई आईएसआई (भारतीय मानक संस्थान) सर्टिफिकेट है? क्या ये क्वालिटी के बारे में है? वो कौन अथॉरिटी है जो ये सर्टिफिकेट्स जारी कर रही है? क्या ये सर्टिफिकेट्स भारत सरकार या कर्नाटक सरकार जारी कर रही है? अगर सर्टिफिकेट जारी किया जा रहा है, तो लैब कहां है? मैंने एक बहस शुरू की है. मैंने कुछ सवाल उठाए हैं. क्या लोकतंत्र में सवाल उठाना ग़लत है?’
यह भी पढ़ें: भ्रष्ट अधिकारियों की सूची बनाएं, ज्यादा वोटर्स तक पहुंचें – BJP महासचिव संतोष का हरियाणा के लिए नुस्खा
अज़ान के मामले में ‘धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं’
हलाल मीट विवाद के बाद कर्नाटक में बहुत से हिंदू संगठनों ने, जिनमें बजरंग दल और श्री राम सेने शामिल हैं, मस्जिदों में लाउडस्पीकरों पर पाबंदी लगाए जाने की मांग की है. इसपर प्रतिक्रिया देते हुए रवि ने कहा कि बहुत से लोग इसे एक धार्मिक रंग दे रहे हैं, जबकि ये अदालतें हैं जिन्होंने इस बारे में सरकार को निर्देश दिए हैं.
उन्होंने कहा, ‘पर्यावरण विभाग ने कुछ निर्देश और नियम दिए हैं. डेसिबल स्तर कितना होना चाहिए, लाउडस्पीकर की क्या सीमा होनी चाहिए, उनकी अनुमति कितने बजे तक है. क्या ये हिंदू, मुसलमान और ईसाई सब के लिए लागू किया जा रहा है’. उन्होंने आगे कहा, ‘धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं है, चाहे वो पक्ष में हो या खिलाफ हो. सिर्फ अज़ान नहीं बल्कि भजन भी बहुत ज़ोर से नहीं बजाए जा सकते (एक ख़ास डेसिबल स्तर बनाए रखना होता है)’.
उन्होंने आगे कहा, ‘आप लोग (मीडिया और विपक्ष) इसे केवल अज़ान के विरोध के तौर पर दिखा रहे हैं. लेकिन ये भजनों के भी खिलाफ है. इस विशेष मुद्दे पर अदालतों के कई फैसले आ चुके हैं. हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट (एससी) दोनों ने इस पर फैसले दिए हुए हैं’.
रवि ने कहा, ‘हर कोई समान है और संविधान तथा एससी सबके लिए बराबर हैं’.
उन्होंने आगे कहा, ‘ये न किसी धर्म विशेष के पक्ष में है न उसके खिलाफ है. अथॉरिटी विशेष अनुमति दे सकती हैं, लेकिन अगर वो अनुमति नहीं दी जाती, और ऐसे में लोग मांग करते हैं कि हमें एससी के आदेश को लागू करना चाहिए, तो इसमें क्या ग़लत है? क्या ये धर्मनिर्पेक्षता के खिलाफ है? क्या ये समाज में एक दरार पैदा करने की कोशिश है? अगर हम कह रहे हैं कि एससी का फैसला लागू होना चाहिए, तो इसे समाज में दरार पैदा करने की कोशिश क्यों बताया जा रहा है?’
उन्होंने कहा, ‘एससी ने फैसला दे दिया है, और हम चाहते हैं कि इसे सभी के लिए समान रूप से, धर्म के आधार पर विभाजन किए बिना लागू किया जाए. हम बस यही चाहते हैं’.
रवि ने दावा किया कि ये कुछ कांग्रेस नेता हैं जो धर्म के नाम पर समाज को तोड़ना चाहते हैं, और एक दरार पैदा करना चाहते हैं. उन्होंने कहा, ‘ये ग़लत है. फैसला सभी के लिए बराबर है’.
बीजेपी नेता ने आगे कहा, कि कुछ लोग दावा कर रहे हैं कि लाउडस्पीकर्स काफी समय से हैं और उनके मज़हब से जुड़े हैं, लेकिन ये तकनीक 100 से ज़्यादा पुरानी नहीं हो सकती.
उन्होंने आगे कहा, ‘माइक टेक्नॉलजी कब सामने आई? मुझे मालूम नहीं है. ये कोई 100 वर्ष पहले आई होगी. उससे पहले ये टेक्नॉलजी नहीं थी. ये समझना ज़रूरी है कि माइक इस तकनीक के आने के बाद से ही इस्तेमाल हो रहे हैं, लेकिन उससे पहले क्या था? इसलिए समाज में इसे लेकर एक बहस किए जाने की ज़रूरत है’.
चुनावी संभावनाएं
कर्नाटक में मई 2023 तक विधान सभा चुनाव होने हैं, और रवि ने दावा किया कि पार्टी को विश्वास है, कि वो 224-सदस्यीय सदन में 150 से अधिक सीटें जीतेगी.
उन्होंने कहा, ‘एक साल बाद चुनाव होने तय हैं. (प्रधान मंत्री नरेंद्र) मोदी जी का नाम और काम देश में हर जगह है, और राज्य सरकार भी अच्छा काम कर रही है. इस बार हम 150 का आंकड़ा पार करेंगे- हमें इसका यक़ीन है’.
उन्होंने आगे कहा, ‘अमितभाई जी (गृह मंत्री अमितशाह) ने कुछ निर्देश दिए हैं कि हमें ज़मीन पर कैसे काम करना चाहिए. हम उन पर अमल करेंगे. हम मोदी जी के नाम और काम, तथा राज्य सरकार के किए गए कार्यों को उजागर करेंगे. हम निश्चित रूप से सत्ता में आएंगे’.
पिछले साल नवंबर में कर्नाटक बीजेपी ने एक ‘जन स्वराज यात्रा’ निकाली थी, जिसमें वरिष्ठ पार्टी नेताओं बीएस येदियुरप्पा, केएस ईश्वरप्पा, जगदीश शेट्टार, और नलिन कुमार कतील की अगुवाई में, चार टीमों ने ज़मीनी कार्यकर्त्ताओं को लामबंद किया था.
रवि ने कहा, ‘वो (पूर्व सीएम येदियुरप्पा) अभी भी सक्षम हैं. उन्होंने पार्टी को पूरा योगदान दिया है. पार्टी उनकी राजनीतिक सूझबूझ का पूरा फायदा उठाएगी. वो ये सुनिश्चित करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं, कि बीजेपी विधान सभा चुनावों में विजयी हो’.
कांग्रेस के दावों को ख़ारिज करते हुए, कि पार्टी इस बार सत्ता में आने में सफल हो जाएगी, रवि ने कहा कि उसका वही हश्र होगा जो पिछले महीने संपन्न हुए उत्तर प्रदेश असेम्बली चुनावों में हुआ था.
उन्होंने कहा, ‘कुछ कांग्रेस नेता दिन में सपने देख रहे हैं, लेकिन वो 2023 में सत्ता में नहीं आ पाएंगे. ज़रा सोचकर देखिए. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने 399 सीटों पर चुनाव लड़ा, और 387 सीटों पर उन्हें अपनी ज़मानत ज़ब्त करानी पड़ी. कर्नाटक में भी कांग्रेस की यही स्थिति रहेगी, और उसके उम्मीदवारों को अपनी ज़मानत ज़ब्त करानी पड़ेगी. राज्य में यही माहौल है’.
आम आदमी पार्टी (आप), और इस हफ्ते पूर्व बेंगलुरू पुलिस कमिश्नर भास्कर राव के उसमें शामिल होने पर बात करते हुए रवि ने कहा, ‘कुछ पार्टियां ज़मीन पर मौजूद नहीं हैं, लेकिन वो काफी शोर मचाने में सफल हो जाती हैं’.
उन्होंने आगे कहा कि इस साल पांच राज्यों में हुए असेम्बली चुनावों में, पंजाब को छोड़कर आप ने सभी सूबों में ख़राब प्रदर्शन किया था.
उन्होंने दावा किया, ‘उत्तर प्रदेश में, उसके बहुत सारे उम्मीदवारों को अपनी ज़मानतें गंवानी पड़ीं. उत्तराखंड में 90 प्रतिशत उम्मीदवारों को अपनी ज़मानतें ज़ब्त करानी पड़ीं. गोवा में, उन्होंने 39 सीटों पर चुनाव लड़ा, और 35 सीटों पर उन्हें ज़मानत ज़ब्त करानी पड़ी’.
उन्होंने कहा, ‘हर कोई किसी भी पार्टी को चुनने और उसका हिस्सा बनने के लिए आज़ाद है. संविधान ने ये अवसर सब को दिया है’.
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: अब कोई हिंदू-मुस्लिम भेदभाव नहीं होगा, केंद्रीय सूची में सभी धर्मों के OBCs के लिए समानता चाहता है रोहिणी पैनल