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Saturday, 21 December, 2024
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बंगाल BJP में अंदरूनी कलह बढ़ी, दिलीप घोष ने नड्डा से की बाबुल सुप्रियो, सौमित्र खान की शिकायत

बंगाल भाजपा प्रमुख दिलीप घोष ने सोमवार को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की और उनसे इस बारे में शिकायत की कि कैसे बाबुल सुप्रियो और सौमित्र खान ने सोशल मीडिया पर 'आपत्तिजनक टिप्पणी’ की है.

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नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पश्चिम बंगाल इकाई में अंदरूनी कलह और तेज हो गई है. दिप्रिंट को मिली जानकारी के अनुसार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ अपनी बैठक के दौरान पार्टी सांसदों बाबुल सुप्रियो और सौमित्र खान के खिलाफ अनुशासनहीनता के मुद्दों पर प्रकाश डाला.

पार्टी सूत्रों के अनुसार, घोष ने सोमवार को नई दिल्ली में नड्डा से उनके आवास पर मुलाकात की और शिकायत की
कि कैसे सुप्रियो और खान – जो कि राज्य भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) के अध्यक्ष भी हैं – ने सोशल मीडिया
पर ‘आपत्तिजनक’ टिप्पणी की जब सुप्रियों को केंद्रीय मंत्रिपरिषद से हटाया गया और वहीँ खान को मंत्री पद नहीं
मिला.

घोष ने दिप्रिंट को बताया, ‘बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो चुनाव के बाद, और हाल में भी, गैर-जिम्मेदाराना बयान देते रहे हैं जो कार्यकर्ताओं के मनोबल को प्रभावित करते हैं. इसलिए जरूरी है कि उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए. पार्टी के अंदरूनी मुद्दों पर सार्वजनिक रूप से चर्चा करना सही नहीं है. केंद्रीय नेतृत्व उन बयानों से भी वाकिफ है.’ हालांकि जब इन दोनों नेताओं के बारे में विशेष रूप से पूछा गया तो उन्होंने इनका नाम लेने से इनकार कर दिया. भाजपा द्वारा उन्हें बदले जाने की योजना के बारे में पूछे जाने पर, घोष ने कहा, ‘यह पार्टी को तय करना है.’


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‘अपनी ईर्ष्या प्रकट कर रहे हैं घोष’

केंद्र सरकार से हटाए जाने के तुरंत बाद ही सुप्रियो ने सोशल मीडिया (फेसबुक) का सहारा लिया और लिखा कि उन्हें इस्तीफा देने के लिए कहा गया है. लेकिन मामले के तूल पकड़ने के बाद उन्होंने इस बारे में स्पष्टीकरण भी जारी किया. उन्होंने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा ‘हां, मैंने मंत्रिपरिषद से इस्तीफा दे दिया है (जैसा कि मैंने पहले लिखा था कि ‘मुझे इस्तीफा देने के लिए कहा गया है’ वह शायद इसे सबके सामने रखने का सही तरीका नहीं हो सकता है)

‘मैं माननीय प्रधान मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने मुझे उनके मंत्रिपरिषद के सदस्य के रूप में अपने देश की सेवा करने का विशेषाधिकार दिया.’

दिप्रिंट ने सुप्रियो की इस बारे टिपण्णी के लिए उनसे टेक्स्ट मैसेज और कॉल के माध्यम से संपर्क करने की कोशिश
की, लेकिन इस ख़बर के प्रकाशित होने तक हमें उनकी कोई भी प्रतिक्रिया नहीं मिली. सुप्रियो के एक करीबी ने बताया कि सांसद ने नड्डा जी को उनके सोशल मीडिया पोस्ट के बारे में सूचित किया था, जो केवल मीडिया को जानकारी प्रदान करने के लिए था क्योंकि वे उनसे उनकी प्रतिक्रिया मांग रहे थे और इसका उद्देश्य उनकी नाराजगी व्यक्त करना नहीं था.

सुप्रियो के सहयोगी ने कहा कि ‘घोष अपनी ईर्ष्या को स्पष्ट रूप से प्रकट कर रहे हैं. उन्होंने एक परामर्श पत्र (एडवाइजरी) जारी किया है कि पार्टी के नेताओं को आपत्तिजनक टिप्पणी करने से बचना चाहिए लेकिन वह स्वयं ऐसा ही करते हैं. सुप्रियो ने अच्छा काम किया है और एक प्रतिबद्ध पार्टी कार्यकर्ता है. वे मीडिया के साथ एक सहजीवी संबंध में विश्वास करते हैं. मीडिया में इस तरह के मुद्दों को उजागर करके घोष केवल पार्टी को नुकसान पहुंचा रहे हैं,’

पिछले हफ्ते ही सौमित्र खान ने बंगाल भाजयुमो अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया था और पार्टी की राज्य इकाई पर तीखा हमला करने के लिए फेसबुक का सहारा लिया था. पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के हस्तक्षेप के बाद ही उन्होंने इस्तीफा वापस लिया.

इस मुद्दे पर टिप्पणी करने के लिए पूछे जाने पर, खान ने कहा: ‘मैं एक संसद सदस्य और भाजपा का कार्यकर्ता हूं. इससे आगे मैं कुछ नहीं कहना चाहता.’

घोष ने नड्डा से क्या बात की

अनुशासनहीनता के मुद्दे को उठाने के अलावा, घोष ने नड्डा के साथ राज्य इकाई में होने वाले संभावित फेरबदल पर भी चर्चा की.

अपना नाम न जाहिर करने की शर्त पर एक बीजेपी नेता के मुताबिक, पार्टी के कार्यकर्ता नए लोगों को अहम जिम्मेदारी दिए जाने के खिलाफ हैं और घोष ने केंद्रीय नेतृत्व को भी इस बात से अवगत करा दिया है. सूत्रों ने कहा कि बैठक के दौरान घोष ने यह भी सुझाव दिया कि पार्टी को हाल ही में भाजपा में शामिल होने वाले लोगों को ‘बड़ी और महत्वपूर्ण’ भूमिका नहीं देनी चाहिए.

इस भाजपा नेता के कहा ‘चुनाव से पहले कई लोग भाजपा में शामिल हुए और हम खुद को मुख्य विपक्षी दल के रूप में स्थापित करने में सफल रहे. अब हमें राज्य इकाई को और मजबूत करने पर ध्यान देना होगा. राज्य इकाई में कुछ बदलाव भी होंगे और लंबे समय से भाजपा के साथ रहे पार्टी कार्यकर्ताओं को उचित सम्मान दिया जाएगा.‘

एक दूसरे नेता ने कहा, ‘वर्षों से पार्टी के लिए कड़ी मेहनत करने वाले भाजपा कार्यकर्ता पहले से ही इस बात से परेशान थे कि उनमें से कई को विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया गया था और अगर अब नए लोगों को राज्य इकाई में महत्वपूर्ण स्थान दिया जाएगा तो इससे उनके मनोबल पर नकारात्मक असर पड़ेगा.‘

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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