नई दिल्ली: लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सोमवार को कहा कि INDIA गुट के साझेदारों के बीच भले ही कुछ वैचारिक मतभेद हों, लेकिन ये विपक्षी दलों को देश की शिक्षा व्यवस्था को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के हाथों में जाने से रोकने के लिए संयुक्त प्रयास करने से नहीं रोकेंगे.
उन्होंने यह टिप्पणी नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर इंडिया ब्लॉक के छात्र संगठनों के नेतृत्व में केंद्र की शिक्षा नीतियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को संबोधित करते हुए की. गांधी ने गुट के भीतर मतभेदों को मौन स्वीकृति ऐसे समय में दी है जब गठबंधन के साझेदारों ने लोकसभा और राज्यसभा के लिए रणनीति बनाने में कॉर्डिनेट करना भी बंद कर दिया है.
गांधी ने विरोध प्रदर्शन में कहा, “आप इंडिया गुट के छात्र हैं. हमारे बीच या नीतियों के मामले में कुछ वैचारिक मतभेद हो सकते हैं, लेकिन भारत की शिक्षा प्रणाली पर कोई समझौता नहीं हो सकता. हम एक साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ेंगे और आरएसएस और भाजपा को हराएंगे.”
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— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) March 24, 2025
कांग्रेस के भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ (एनएसयूआई) के अलावा, विरोध प्रदर्शन में 11 छात्र संगठनों — सीपीएम के स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई), सीपीआईएमएल के ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा), सीपीआई के ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ), सपा की समाजवादी छात्र सभा, आरजेडी के छात्र राष्ट्रीय जनता दल और आईयूएमएल के मुस्लिम स्टूडेंट्स फेडरेशन के प्रतिनिधि शामिल थे.
छात्र संगठनों ने गांधी को राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020, यूजीसी मसौदा (विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों और शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति और पदोन्नति के लिए न्यूनतम योग्यता और उच्च शिक्षा में मानकों के रखरखाव के लिए उपाय) विनियम, 2025 और प्रतियोगी परीक्षा के पेपर लीक पर एक ज्ञापन भी सौंपा.
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विपक्षी दलों के नेताओं की कोई बैठक नहीं
यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि संसद के चालू बजट सत्र के दौरान विपक्षी दलों के नेताओं की अभी तक एक भी बैठक नहीं हुई है. पिछले सत्रों के दौरान, सत्तारूढ़ भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से मुकाबला करने के लिए विपक्षी दलों द्वारा ऐसी बैठकों में संयुक्त रणनीति बनाई गई थी.
सदन के बाहर भी इंडिया गुट के दलों ने विभिन्न राज्यों में विधानसभा चुनावों के लिए सीट-बंटवारे में समायोजन की भावना दिखाने में “विफल” होने के लिए कांग्रेस को कटघरे में खड़ा किया है. हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार, साथ ही जम्मू-कश्मीर और दिल्ली में निराशाजनक प्रदर्शन ने पार्टी की परेशानियों को और बढ़ा दिया है.
अपने भाषण में, गांधी ने आरोप लगाया कि भाजपा का वैचारिक अभिभावक आरएसएस भारत की शिक्षा प्रणाली और इसके परिणामस्वरूप, इसके भविष्य को “बर्बाद” करने के लिए अकेले जिम्मेदार है.
गांधी ने कहा, “अगर शिक्षा व्यवस्था उनके हाथों में चली गई, तो देश बर्बाद हो जाएगा. लोगों को नौकरी नहीं मिलेगी. सभी कुलपति आरएसएस द्वारा मनोनीत हैं और आने वाले दिनों में, राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपति भी आरएसएस द्वारा मनोनीत किए जाएंगे. यह देश के लिए खतरनाक है. हमें उन्हें रोकना होगा.”
गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधा और कहा कि जब मोदी संसद में कुंभ मेले के बारे में बात करते हैं, तो उन्हें युवाओं की बेरोज़गारी की चिंताओं पर भी बोलना चाहिए, “जो देश का सबसे बड़ा मुद्दा है.”
उन्होंने कहा, “उन्होंने मुझे (लोकसभा में) बोलने नहीं दिया, लेकिन मैं कहना चाहता था कि कुंभ मेले के बारे में बात करना अच्छा है, लेकिन उन्हें देश के भविष्य के बारे में भी बात करनी चाहिए. उन्हें बेरोजगारी के खिलाफ बोलना चाहिए, लेकिन वह ऐसा नहीं करते क्योंकि उनका मॉडल देश के संसाधनों को अडाणी और अंबानी को और शैक्षणिक संस्थानों को आरएसएस को सौंपना है.”
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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