नई दिल्ली: G-20 सम्मेलन के लिए राष्ट्रपति द्वारा मेहमानों को भेजे गए आमंत्रण पत्र में रिपब्लिक ऑफ ‘इंडिया’ की जगह रिपब्लिक ऑफ ‘भारत’ शब्द का इस्तेमाल किए जाने पर कांग्रेस ने मंगलवार को कहा, यह विपक्ष के लिए मोदी सरकार की नफरत है या एक डरे और सहमे हुए तानाशाह की सनक?
कांग्रेस ने एक्स पर पोस्ट कर कहा, ‘INDIA से इतना डर?”
कांग्रेस पार्टी के महासचिव जयराम रमेश ने मंगलवार को कहा कि G20 समिट के लिए नौ सितंबर को होने वाले रात्रि भोज के लिए जो निमंत्रण पत्र राष्ट्रपति भवन की तरफ से भेजे गए हैं, उनमें ‘प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया’ को बदलकर और इसमें से इंडिया शब्द को हटाकर ‘प्रेसिडेंट ऑफ भारत’ का इस्तेमाल किया गया है.
जयराम रमेश के ‘भारत’ वाले ट्वीट पर भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरूण चुघ ने कहा, ‘भारत’ बोलने और लिखने पर क्यों दिक्कत हो रही है. पुरातत्व काल में हमारे देश का नाम भारत है और संविधान में भी इसको स्पष्ट किया है. बेवजह और जानबूझकर भ्रम पैदा कर रहे हैं जो दुर्भाग्यपूर्ण है.
आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने मंगलवार को आरोप लगाया कि मोहन भागवत के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) भारत के साथ ‘इंडिया’ शब्द को ‘हटाकर’ देश के संविधान को बदलना चाहता है.
विशेष रूप से इस महीने की शुरुआत में, मोहन भागवत ने कहा था कि लोगों को इंडिया के बजाय “भारत” नाम का उपयोग करना चाहिए और लोगों से यह आदत डालने का आग्रह किया था.
कुछ मीडिया रिपोर्टों का हवाला देते हुए, जिनमें दावा किया गया है कि केंद्र सरकार संविधान से इंडिया शब्द को हटाने की ‘योजना’ बना रही है, संजय सिंह ने सवाल किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मोहन भागवत को भीम राव अंबेडकर से ‘नफरत’ क्यों है, जो संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए जिम्मेदार थे.
संजय सिंह ने ‘एक्स’ पर अपनी पोस्ट में कहा, बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर ने संविधान में लिखा–”इंडिया दैट इज़ भारत”. लेकिन बाबा साहेब से नफरत करने वाले मोदी और आरएसएस संविधान बदलना चाहते हैं. भागवत और मोदी बाबा साहब से इतनी नफरत क्यों करते हैं?”
सिंह ने संविधान के अनुच्छेद 1 में उल्लिखित प्रावधानों को भी साझा किया.
कांग्रेस नेता जयराम रमेश के इस दावे के बाद विवाद खड़ा हो गया कि राष्ट्रपति भवन ने 9 सितंबर को जी20 रात्रिभोज के लिए सामान्य ‘भारत के राष्ट्रपति’ के बजाय ‘भारत के राष्ट्रपति’ के नाम पर निमंत्रण भेजा है.
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भारत नाम प्राचीन काल से चला आ रहा है
आरएसएस प्रमुख ने गुवाहाटी में अपने संबोधन के दौरान कहा कि भारत नाम प्राचीन काल से चला आ रहा है और इसे आगे बढ़ाया जाना चाहिए.
सकल जैन समाज द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में भागवत ने कहा, “हमारे देश का नाम सदियों से भारत रहा है. भाषा कोई भी हो, नाम एक ही है.”
कांग्रेस नेता जयराम रमेश के इस दावे पर कि राष्ट्रपति भवन में G20 शिखर सम्मेलन के रात्रिभोज का निमंत्रण ‘भारत के राष्ट्रपति’ के नाम पर भेजा गया था, राजद सांसद मनोज झा ने कहा, “…अभी कुछ ही हफ्ते हुए हैं जब हमने अपने गठबंधन का नाम रखा था.” इंडिया और बीजेपी ने ‘रिपब्लिक ऑफ इंडिया’ की जगह ‘रिपब्लिक ऑफ भारत’ लिखकर निमंत्रण भेजना शुरू कर दिया है. संविधान के अनुच्छेद 1 में लिखा है ‘इंडिया दैट इज भारत’ न आप हमसे इंडिया छीन पाएंगे और न ही भारत…”
‘इंडिया’ की जगह ‘भारत’ का इस्तेमाल करने को लेकर विवाद के बीच असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मंगलवार को कहा कि उन्हें खुशी और गर्व है कि देश की सभ्यता साहसपूर्वक अमृत काल की ओर आगे बढ़ रही है.
असम के मुख्यमंत्री एक्स ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा, “भारत गणराज्य- खुश और गौरवान्वित है कि हमारी सभ्यता अमृत काल की ओर साहसपूर्वक आगे बढ़ रही है.”
‘इंडिया, दैट इज भारत’
कांग्रेस नेता जयराम रमेश के इस दावे पर कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा, पीएम मोदी ने ‘मेक इन इंडिया’, ‘स्किल इंडिया’, ‘खेलो इंडिया’…जैसे नाम दिए थे. वे (भाजपा) ‘इंडिया’ शब्द से डरते हैं, संविधान का अनुच्छेद 1 कहता है ‘इंडिया, दैट इज भारत’…यह नाम (इंडिया) कैसे हटाया जा सकता है.
आधिकारिक जी20 शिखर सम्मेलन के निमंत्रणों पर ‘भारत के राष्ट्रपति’ से ‘भारत के राष्ट्रपति’ के संदर्भ को बदलने के भाजपा के हालिया कदम ने भौंहें चढ़ा दी हैं और एक सार्वजनिक बहस छेड़ दी है। भाजपा ‘भारत’ को कैसे ख़त्म कर सकती है? देश किसी राजनीतिक दल का नहीं है; यह 135 करोड़ भारतीयों का है। हमारी राष्ट्रीय पहचान भाजपा की निजी संपत्ति नहीं है जिसे वह अपनी इच्छानुसार बदल सके।
मनीष तिवारी ने एक्स पर पोस्ट कर कहा अनुच्छेद 52 – भारत का संविधान. भारत का एक राष्ट्रपति होगा इससे अधिक स्पष्ट कुछ नहीं हो सकता – क्या ऐसा हो सकता है ???????
भाजपा बार-बार यह घोषणा करके नए विपक्षी गुट INDIA (भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन) पर हमला कर रही है कि ‘INDIA’ नाम औपनिवेशिक अतीत का अवशेष है.
भाजपा के राज्यसभा सांसद नरेश बंसल ने भी उच्च सदन में हाल ही में संपन्न मानसून सत्र के दौरान इस प्रस्ताव को पेश करते हुए कहा कि ‘इंडिया’ नाम “औपनिवेशिक गुलामी” का प्रतीक है और “इसे संविधान से हटा दिया जाना चाहिए”.
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